खेतीबाड़ी : किसान बाजरा की खेती करते वक्त इन बातों का रखें विशेष ध्यान, फसल में बीमारी का भी नहीं रहेगा खतरा
खरीफ की फसल में किसान बड़े ही पैमाने पर बाजरा की खेती करते हैं। पिछले सालों में किसानों का बाजरा की तरफ रूझान भी बढ़ा है। इस समय बाजरा की खेती पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी हो गया है। क्योंकि इस मानसून के मौसम में कई बीमारी फैलने का भी खतर बना रहा है। ा
इस समय किसान अपनी फसल को नजरअंदाज करें तो संभवत: पूरी फसल बर्बाद हो सकती है। केवल कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर ध्यान दे कर किसान अगर देखरेख कर दें, तो उनकी फसल न केवल सुरक्षित रहेगी, बल्कि अच्छी पैदावार भी किसान ले सकता है।
आजकल बाजरा और उपयोगी हो गया है क्योंकि जहां तेजी से डायबिटीज की समस्या आ रही है, ऐसी स्थिति में बाजारा हमारे भोजन में अति महत्वपूर्ण स्थान रख रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार ने बताया कि इस समय बाजरा की फसल पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी हो गया है। एक महीने की फसल हो चुकी है, तो निराई गुड़ाई कर दें. ताकि बढ़वार अच्छी हो सके।
उन्होंने बताया कि बाजरे की दो माह की फसल होती है, तो इसमें एक कीट लगता है, जिसको तना छेदक कीट के नाम से जानते हैं, किसान इस कीट से सावधान रहें, आगे चलकर के जब बाजरे की आयु बड़ी हो जाती है, तब उसमें फूल और बालियां आने लगती हैं, तो उसमें भी दिक्कत आती है, इसे फफूंद जनित बीमारी लगाने का खतरा ज्यादा रहता है। इस फसल में कीट और बीमारी के प्रति जागरूक रहना बहुत ही जरूरी होता है।
उन्होंने बताया कि बाजरे की जब फसल 45 से 50 दिन की हो जाए तो तना छेदक कीट से बचाव के लिए डेसिस 2.8त्न का यह अल्फामेथरीन है और इसकी दो मिलीलीटर दवाई 1 लीटर पानी में मिलाकर शाम या सुबह के समय अगर छिड़काव कर दें, तो फसल पूरे सत्र बहुत अच्छे से निकल जाएगी और किसी भी कीट का हमला नहीं होगा।