शिक्षा तब सार्थक बनती है जब वह सोच को दिशा और सपनों को उड़ान दे: सुमन शर्मा
mahendra india news, new delhi
सिरसा। शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को सोचने, निर्णय लेने और समाज का नेतृत्व करने में सक्षम बनाना है।
इन्हीं प्रेरक विचारों के साथ प्रधानाचार्या सुमन शर्मा ने चिटकारा विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा सम्मेलन में सहभागिता की, जहां उन्होंने शिक्षा में नवाचार, मूल्यों और नेतृत्व के समन्वय पर अपने विचार सांझा किए। इस अवसर पर उन्हें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण, आधुनिक अधोसंरचना एवं विभिन्न अकादमिक इकाइयों का सम्पूर्ण परिसर भ्रमण करवाया गया।
इस अनुभव ने यह स्पष्ट किया कि चिटकारा विश्वविद्यालय शिक्षा को केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रखते हुए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, व्यावहारिक कौशल और नैतिक मूल्यों को समान रूप से महत्व देता है। सम्मेलन के दौरान विश्वविद्यालय के धरिवाल, पंकज धमीजा एवं डा. पिंकी अरोड़ा द्वारा किया गया गरिमामय एवं आत्मीय स्वागत इस शैक्षणिक संवाद को और भी प्रेरणादायक बना गया।
ऐसे राष्ट्रीय मंच शिक्षाविदों को आपसी सहयोग, विचार-विमर्श और सांझा दृष्टि के साथ आगे बढऩे का अवसर प्रदान करते हैं। प्रधानाचार्या सुमन शर्मा ने अपने संदेश में यह भी रेखांकित किया कि जब शैक्षणिक संस्थान मिलकर सीखने और नवाचार को अपनाते हैं, तब शिक्षा समाज में सकारात्मक, स्थायी और दूरगामी परिवर्तन लाने की शक्ति बन जाती है। चिटकारा विश्वविद्यालय के प्रबंधन, शिक्षाविदों एवं समस्त टीम को इस उत्कृष्ट राष्ट्रीय सम्मेलन, प्रभावशाली परिसर भ्रमण एवं आदर्श आतिथ्य के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।