Haryana News: हरियाणा में पूर्व मंत्री, 6 IAS समेत 105 अधिकारियों - कर्मचारियों के लिए खिलाफ जांच की मंजूरी का इंतजार कर रहा ACB 

 
Haryana News: हरियाणा में कई विभागों में घोटालों और गड़बड़ियों को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो के पास पहुंचे मामलों कार्यवाही विभागीय अधिकारियों के कारण अटक गई है। विभागीय अधिकारियों व सरकार की मंजूरी का नियमों में प्रावधान किया हुआ है। तीन तरह के मामले ऐसे हैं जहां। पहेल जिसमें केस दर्ज है और अब चालान पेश करना है। दुसरा जिन्में आरोप लगे है। शिकायतें हुई व जांच शुरु करनी है। 

तीसरा जिनमें एंटी करप्शन ब्यूरो पूरी तरह जांच कर पूरी कर चुकी है और केस द्रज करना है। इन सभी में अधिकारियों और कर्मचारियों से जुड़े विभागों में मंजूरी अटकी हुई है। तीनों तरह के 109 मामलों में 1 पूर्व मंत्री, 6 आईएएस अधिकारी 105 अधिकारी-कर्मचारी शामिल है। 

इनमें एसई,चीफ इंजीनियर से लेकर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, एक्सईएन, आरटीए सचिव, एसडीओ, एसआई,एएसआई, क्लर्क, सुपरवाइजर आदि है।

कई मामलों में एसीबी ने 11 पत्र विभाग को लिखे गए लेकिन कोई असर नहीं हुआ। मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने सभी प्रशासनिक सचिवों के साथ इन मामलों में मंथन किया है।  उन्होंने आदेश दिए हैं कि जो भी मामले लंबित है उन्हें जल्द निपटाया जाए। समय पर एक्शन लेना जरुरी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी है।

जिन मामलों में जांच चल रही है या शिकायतें हुई है वह जमीन से जुड़े मामले है। इसके अलावा प्लाट आवंटन,फर्जी काम दिखाकर पेमेंट करने, निर्माण कार्य़ में गड़बड़ी करने,फेक दस्तावेज में छात्रवृति देने,नियमों से बाहर जाकर प्रमोशन करने जैसे मामले शामिल है।

चार्जशीट से जुड़े मामले

कुल ऐसे 33 मामले लंबित है जिसमें अधिकारियों-कर्मचारियों पर गड़बड़ी करने का आरोप है। एफआईआर दर्ज हो चुकी है। एसीबी को चालान पेश करना है। इसके लिए विभाग की मंजूरी चाहिए।

इनमें बड़ा नाम आईआरएस धीरज गर्ग, एटीपी रोहतक जितेंद्र, हरियाणा एग्रीकल्चर मार्केंटिंग बोर्ड के चीफ इंजीनियर महेंद्र सिंह, नायब तहसीलदार,भजनदास व  एचएसवीपी के एसडीओ राम किशन शामिल है। हालांकि आईआरआए  गर्ग का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है।

 जांच के बाद मागी विभागीय टिप्पणी

इस कैटेगरी में 44 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिला 29 मामले लंबित है। जिसमें एसीबी ने जांच पूरी कर ली है और विभागीय टिप्पणी मांगी है। इसके लिए धारा 17 ए की मंजूरी जरुरी है। सबसे ज्यादा मामले यूएलबी डिपार्टमेंट में लंबित है।

शिकायतों पर चाहिए विभागीय टिप्पणी

इस कैटेगरी के कुल 46 मामले है। जिसमें 26 अधिकारी-कर्मचारी शामिल है। इनके खिलाफ शिकायत हुई है। करोड़ों रुपये के घोटालों के आरोप इन शिकायतों में लगे हैं।  हालांकि इन सभी मामलों में जांच नहीं हुई है। क्योंकि पहले इन शिकायतों पर विभागीय टिप्पणी मांगी हुई है।