हरियाणा के इन क्षेत्रों में अधिक बारिश से ग्वार में चारकोल रोट बीमारी का प्रकोप बढ़ना शुरू: डॉ. यादव

 
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के ओढ़ां, रानियां, सिरसा व नाथूसरी चौपटा के काफी गांवों में अधिक बरसात होने पर मौसम में अधिक नमी बढ़ने से ग्वार फसल पर चारकोल रोट बीमारी की समस्या काफी बढ़ रही है। जिन किसानों ने जीवाणु अंगमारी (फंगस रोग) का समय पर स्प्रे नहीं किया, ये बीमारी उन किसानों के खेतों पर ज्यादा उभर के आ रही है। फंगस की बीमारी का स्प्रे जिन किसानों ने सिफारिश की गई दवाई का समय पर स्प्रे किया ये बीमारी उनके खेतों पर देखने को नहीं मिली। अब जो फसल करीबन 60 से 70 दिन के आस-पास हो रही है, जिन्होंने फंगस की बीमारी का स्प्रे सैडूल सिफारिश की गई दवाईयों को नहीं अपनाया, उनके खेतों में ये रोग काफी बढ़ती जा रही है। किसानों को जागरूक करने के लिए य डा. मदन सिंह, एटीएम नाथूसरी के तत्वावधान में ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव के सहयोग से गांव ढुकड़ा, खण्ड नाथूसरी चौपटा में जागरूकता शिविर आयोजित किया गया।

 बीमारी की पहचान कैसे करें:
डॉ. यादव ने बताया कि जब फसल करीबन 60 दिन की हो जाती है तो तने के उपर के हिस्से पर हल्का सा कलवास निषान शुरू होते ही इसके लिए फफूंदीनाशक दवाई टेट्राकोनाजोल 3-8 % का स्प्रे 2 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से करें, इससे इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इस बीमारी के बढ़ने पर तने का उपर का हिस्सा काला हो जाता है और उपर से पौधे की बढ़वार बिल्कुल रूक जाती है और पौधे का मुंह बन्द हो जाता है। अब यह बीमारी बहुत बढ़ चुकी है और स्प्रे करने से ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा। 

परन्तु फिर भी किसानों को सलाह दी जाती है कार्बन्डाजिम-12 % प्लस मेन्कोजैब-63 प्रतिशत का स्प्रे 2 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से स्प्रे करें इससे एक बार बीमारी पर कुछ हद तक राहत मिल सकती है और एक बार उपर का फुटाव कुछ समय के लिए शुरू हो जाएगा। इस अवसर पर षिविर में मौजूद 55 किसानों को पंाच स्ट्रैप्टोसाईक्लिन पाऊच तथा स्प्रे के नुकसान से बचने के लिए हर किसान को हिन्दुस्तान गम् एण्ड कैमिकल्स भिवानी की तरफ से मास्क भी दिए गये। इस अवसर पर पृथ्वी सिंह, भागमल, रामधन, विनोद, ओमप्रकाश, सत्यपाल, मांगेराम, देवीलाल आदि मौजूद थे।