SSB जवान सुरजीत का गांव ढूकड़ा के खेल मैदान में राजकीय सम्मान के साथ किया अंतिम संस्कार 

 

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सिरसा जिले के गांव ढूकड़ा निवासी एसएसबी जवान शहीद सुरजीत सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जैसे ही शहीद का शव गांव पहुंचा, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। जानकारी के अनुसार, शहीद सुरजीत सिंह पहले राजस्थान सीमा से सटे अपने पैतृक गांव गुड़ायाखेड़ा पहुंचे।

वहां श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद चौपटा से जमाल होते हुए करीब दोपहर 2 बजे उनका पार्थिव शरीर ढूकड़ा लाया गया। इस दौरान क्षेत्र के हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी। गांव ढूकड़ा, जमाल, गुडियाखेड़ा सहित आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। गांव के खेल मैदान में सलामी के बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के बेटे राहुल ने चिता को मुखाग्नि दी।

इस दौरान इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला, ऐलनाबाद MLA भरतसिंह बैनीवाल, चेयरमैन सूरजभान बुमरा, भाजपा नेता हनुमान कुंडू, नाथुसरी चौपटा तहसीलदार, पवन बैनीवाल, थाना प्रभारी राधेश्याम, सरपंच राजेंद्र ढूकड़ा सहित हजारों की संख्या में वीर सपूत को नमन किया।

बता दें कि एसएसबी जवान सुरजीत सिंह 20 दिसंबर को गुवाहाटी के सीवान क्षेत्र में ट्रक पलटने से हुए सड़क हादसे में शहीद हो गए थे। इस दुखद घटना की सूचना सोमवार को उनके परिवार को मिली। खबर मिलते ही पूरे गांव में मातम छा गया। शहीद के घर पर सांत्वना देने के लिए ग्रामीणों और रिश्तेदारों की भीड़ लगी हुई है। सरपंच राजेंद्र ढूकड़ा ने बताया कि शहीद सुरजीत सिंह ने वर्ष 2013 में एसएसबी जॉइन की थी। वह किसान भंवरलाल सिंह के सबसे बड़े पुत्र थे। उनके दो छोटे भाई अमर सिंह और रमेश कुमार (वीएलडीए) हैं। सुरजीत सिंह ने गांव ढूकड़ा के राजकीय स्कूल से दसवीं कक्षा उत्तीर्ण की थी। सुरजीत के परिजनों ने बताया कि वह जब भी गांव आता था तो गांव के खेल मैदान में जाकर युवाओं को देशसेवा के लिए प्रेरित करता था। 

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जैसे ही शहीद का शव नाथुसरी-चौपटा पहुंचा तो वहां पर लोगों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी इसके बाद जमाल से होते हुए शहीद के पैतृक गांव राजस्थान के गुडियाखेड़ा ले जाया गया। वहां पर हजारों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने नमन किया। वहां से वापिस गांव ढूकड़ा में लाया गया और गांव के मुख्य चौक पर शहीद के अंतिम दर्शन के लिए ग्रामीणों का हूजूम उमड़ पड़ा हर किसी की आंख नम थी। इसके बाद जब शहीद सुरजीत का शव घर पर ले जाया गया। तो उसकी पत्नी गश खाकर गिर पड़ी और बेसुध होकर गिर पड़ी। मां और बाप का रो-रोकर बुरा हाल था। सुरजीत के परिजनों ने अंतिम दर्शन किये तो सभी की आंखों में पानी भर आया। शहीद सुरजीत के साथ आए फौजी साथियों ने बताया कि सुरजीत ड्यूटी पर जा रहा था तो वाहन में पांच जवान सवार थे और अचानक वाहन पलट गया और पांचों जवान शहीद हो गये। ग्रामीणों ने बताया कि सुरजीत मिलनसार और समझदार युवा था। सुरजीत से प्रेरणा लेकर कई युवाओं ने फौजी बनने की ईच्छा व्यक्त की। 

दो बच्चों के पिता थे सुरजीत सिंह

शहीद सुरजीत सिंह का विवाह गांव नेजाडेला कलां निवासी सीमा रानी से हुआ था। उनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा राहुल दसवीं कक्षा में पढ़ता है, जबकि छोटा बेटा अश्वनी सातवीं कक्षा का छात्र है। परिजनों ने बताया कि सुरजीत सिंह 15 दिन की छुट्टी बिताकर 20 दिसंबर को ही ड्यूटी पर लौटे थे। ड्यूटी जॉइन करने के कुछ ही समय बाद उनके शहीद होने की सूचना आ गई।