विद्यार्थियों को अपने जीवन में कुछ गतिविधियों को "ना" कहने की आदत विकसित करनी पड़ेगी
mahendra india news, new delhi
हमारे भारत में आजकल विद्यार्थियों तथा युवाओं के लिए मोटिवेशनल गुरुओं की बाढ़ सी आई हुई है, जिसे देखो वो ही युवाओं तथा स्टूडेंट्स के पीछे पड़े हुए है, और कुछ पैसे इक्कठे करने के लिए कुछ भी बताने लगते है, कुछ जोर जोर से चिला कर बच्चों प्रेरित करने की नई विधि ले आएं है, प्रति ऐसा मोटिवेशन केवल ऊपरी तो हो सकता है, इससे स्वभाव नहीं बदलता है और ऐसे महानुभाव मुड़कर ये भी नहीं जानना चाहते है कि जिन बच्चों से मोटिवेशन के नाम पर पैसे बटोरे थे,
उनके भविष्य का क्या हुआ? हमारे सभी बच्चों वा युवाओं के सामने यही सवाल होता है कि किस गतिविधि को हां कहें और किसको ना कहे, क्योंकि उन्हें तो बस यस यस करना ही सिखाया जाता है। मोटीवेट करने वाले लोग भी यही सिखाते है कि यस आई कैन डू दिस और दैट। उन्हें इसी बात पर फोकस करने के लिए जोर जोर से मोटिवेशनल गुरुओं द्वारा कहा जाता है कि यस मैं कर सकता हूं, यस मैं कर सकता हूं और ये हवा तभी तक भरी रहती जब तक वो भाषण चलता है। उसके बाद वो गुब्बारा कब पंक्चर हो जाता है, कब वो संकल्पशीलता चली जाती है, पता भी नहीं चलता है।
हमे और हमारे विद्यार्थियों को केवल पॉजिटिव कहना ही सिखाया जाता है। परंतु मुझे तब तकलीफ होती है जब जो लोग उन बेचारे विद्यार्थियों को जीवन बदलने की बात करते है वो फिर ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं। उनकी जिंदगी में कितना भी बुरा घटित हो जाए, उन्हें कोई नहीं पूछता हैं। मै ऐसे मोटिवेशनल गुरुओं से कहना चाहता हूँ कि पैसे इक्कठे करने वाले गुरु तो कभी नहीं हो सकते है, ये हमारी भारतीय अर्थात वैदिक परम्परा स्वीकार नहीं करती है। हमारे संस्कार केवल एक ही बात स्वीकार करते है या तो गुरु बनो या फिर पैसे इक्कठे करों, दोनो किसी भी कीमत पर नहीं।
मै यहां इन धन इक्कठा करने वाले गुरुओं को कहना चाहता हूँ कि मोटिवेशन पर कुछ शोध करें, जिससे बच्चों का स्वभाव बदलें।किसी भी प्रकार के गुरुओं को छोड़कर सभी विद्यार्थियों को बिना गुरु बने कहना चाहता हूँ कि हर विद्यार्थी जीवन में कुछ आदतों को "ना " कहना सीखें, जिससे विद्यार्थियों का जीवन संवर जाए। मै बहुत ही स्पष्टता के साथ कहना चाहता हूँ कि आज से ही विद्यार्थियों को कुछ गतिविधियों को नहीं कहना सीख लेना चाहिए , जिससे जबरजस्ती यस यस नहीं करनी पड़ेगी। आओ मैं अब सभी विद्यार्थियों को जीवन में कुछ घिसी पिटी हरकतों को " ना " कहने की हिम्मत दिखाने का संकल्प कराता हूं। आओ मिलकर उन सभी ना कहने वाली गतिविधियों पर चर्चा करते हैं, जैसे ;
1. किसी भी प्रकार के नशे को ना कहना सीखें। ना का अर्थ ना है, किसी भी अवसर पर ना का मतलब ना ही रहेगा।
2. सभी विद्यार्थी अपने मातापिता को झूठ बोलने को "ना " कहना सीखें और अपनी विश्वसनीयता कायम करने का संकल्प लें।
3. जंक फूड को खाने से ही नहीं, छूने को भी ना कहना सीखें।
4. जीवन में किसी भी सूरत में अपने कार्य के प्रति बेईमानी को ना कहने की हिम्मत करें।
5. भारत की ही नहीं, इस धरती पर किसी की भी बेटी को छेड़छाड़ करने को ना कहना सीखें, ताकि सभी बेटियां सुरक्षित हो सकें।
6. सभी विद्यार्थी किसी के भी बहकावे में आने को ना कहें और खुद को तार्किक बुद्धि का मालिक बनाए। अपना विज्ञानमय कोश विकसित करें।
7. विद्यार्थी अपने जीवन में आलस्य को ना कहने के लिए उत्साह को जागृत करें, तथा उच्च ध्येय बनाएं।
8. विद्यार्थी अपने जीवन में समय की बर्बादी को ना कहने के लिए सचेत रहें।
9. विद्यार्थी अपने जीवन में अपनी नकारात्मक संगत के संग को ना कहना सीखें। अगर रहना भी पड़े तो खुद को सशक्त बनाओं।
10. हर विद्यार्थी को अपने जीवन में मोबाइल तथा मोबाइल पर चलने वाली ऐप के प्रयोग को ना कहने का संकल्प करें। मोबाइल की बजाय पुस्तकों को पढ़ने में रुचि लें।
11. विद्यार्थी अपनी सभी छुपकर की जाने वाली गतिविधियों को ना कहना सीखें।
12. भारतीय क्लाइमेट में रहकर पाश्चात्य संस्कृति को ना कहना सीखें।
13. विद्यार्थी अपने देश में किसी भी प्रकार की विसंगति को ना कहने की हिम्मत जुटाएं
14. अपने देश की नदियों, तालाबों तथा जोहड़ में गंदगी डालने को ना कहने का प्रण लें।
15. पॉलीथिन के उपयोग को ना कहने की शपथ लेने के लिए खुद आगे आवे। अस्वच्छता को ना कहने के लिए स्वच्छता को आज ही अपनाएं।
16. विद्यार्थी होने के नाते अपने जीवन में बनाए हुए आरामदायक जोन को ना कहें। आलस्य को त्याग देने का प्रण लें।
17. विद्यार्थी होने के नाते जीवन में अपव्यय को ना कहने के लिए सादगी पूर्ण जीवन जीने की आदत विकसित करें। धन का अपव्यय जीवन को नेगेटिव बनाता है।
18. अपने मातापिता के साथ टॉक्सिक व्यवहार को सदैव के लिए ना कहें। विनम्रता का भाव विकसित करना सीखें।
19. शादी विवाह में दहेज लेने को बहुत जोर से ना कहने की हिम्मत करें।
20. किसी भी प्रकार के अन्याय करने और सहने को ना कहने की ताकत जुटाएं। झूठ के बजाय सत्य के साथ खड़ा होना सीखें।
ऐसी कुछ और भी गतिविधियां है जिन्हें विद्यार्थियों को ना कहने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे जीवन सफलता व प्रसन्नता की ओर बढ़ सकें।
जीवन केवल "हां " से ही नहीं चलता है, बहुत सी गतिविधियों को ना भी कहा जाता है और बहुत स्पष्टता तथा जोर से कहना पड़ता है। यहां यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि ना का अर्थ यहां ना ही है।
जय हिंद, वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर