बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थी गर्ल फ्रेंड, बॉय फ्रेंड बनाने से पहले खुद से करें छह सवाल, फिर निर्णय करें
mahendra india news, new delhi
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
मानव जीवन में टीनएज ऐसी अवस्था है जिसमें किसी भी विद्यार्थी के जीवन की सही दिशा तय होती है। वह जीवन में क्या बनेंगे, किधर जाएंगे, उनका व्यक्तित्व कैसा होगा, उसकी बुद्धि कितना काम करेगी, ये सब किशोरावस्था ही तय करती है। टीनएज का अर्थ है, 13 से 19 वर्ष तक की आयु और बारहवीं पास करने में अमूमन 18 वर्ष लगते है। आजकल कुछ जल्दी ही किशोरावस्था का आगमन हो जाता है क्योंकि बच्चों की दिनचर्या, उनका भोजन या खानपान, पियर ग्रुप, या मोबाइल फोन का इस्तेमाल, सोशल मीडिया तथा सबसे महत्वपूर्ण विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण उनके जीवन को प्रभावित करते है।
इस आयु में लड़के व लड़कियां अपने को बड़ा दिखाने की कोशिश में भी कुछ गतिविधियों का सहारा लेते है, उनके किशोरावस्था में शारीरिक बदलाव के साथ साथ मानसिक बदलाव अधिक होते है, उनके भीतर हिचक आने लगती है, यानी हैसिटेशन अधिक होती है, वो खुद के भीतर ही सिमटने लगते है, जिससे वो अपनी बात को अभिव्यक्ति करने से कतराने की कोशिश करते है, यहां भी ये असर लड़कों पर ज्यादा होता है, वो दूसरों के सामने जाने से छुपने लगते है लेकिन बेटियों का कॉन्फिडेंस कम नहीं होता है।
हम यहां किशोरावस्था में होने वाले बहुत से बदलाव की चर्चा कर रहे है, लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रभावित करता है वो ऑपोजिट सेक्स के प्रति अट्रैक्शन है, जिसमें इतना खिंचाव बनता है जैसे चुंबकीय बल मिल गया हो, सेक्स के प्रति अधिक आकर्षण हो जाता है, इसके अलावा किशोरों में आर्टिफिशियल मैथुन की ओर अग्रसर हो जाना भी एक ऊर्जा क्षरण का एक बड़ा कारण बन जाता है,
इसी में हार्मोनल बदलाव होता है। दूसरी तरफ यही वो आयु है जो हमारे बच्चों के भविष्य को तय करेगी, यह वो उम्र है जो हमारे टीनएजर्स की दिशा तय करेगी और यही वो अवस्था है जिसमें किसी किशोर का संपूर्ण व्यक्तित्व तय होना है, इसी आयु में विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं में बहुत अच्छे अंक लाने है और किसी बेहतरीन संस्थान में एडमिशन लेना है,
ये आयु समुद्रमंथन का समय है, बहुत बड़ी दुविधा का समय है, यह अवस्था बहुत बड़ी परीक्षा का समय होता है कि इसमें बच्चें बह जाएंगे या अपने को इस भंवर से सुरक्षित निकाल ले जाएंगे। मै इस लेख के माध्यम से उन सभी विद्यार्थियों से जो अपनी टीनएज में है और जो गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड बनाने में अपना समय व्यर्थ करना चाह रहे है, या उसकी ओर बढ़ना चाहते है,
उनसे कुछ बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न करना चाहता हूँ जो उनके इस निर्णय को बदलने को शायद मजबूर कर देंगे। प्रिय टीनएजर्स दोस्तों, मै यहां आपके एक बहुत करीबी मित्र या अभिभावक के रूप में आप लोगों से छह सवाल कर रहा हूँ, और हां अगर आपके उत्तर ना में आ जाए तो फिर अपने निर्णय को बदलने का प्रयत्न करना और ऐसी अवस्था me जाने से जरूर बचना। दोस्तों मै आप सभी से अपने बच्चों की तरह ये प्रश्न कर रहा हूँ, जो निम्न प्रकार से है,
जैसे:
1. क्या आप इस आयु में कोई गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड नहीं बनाओगे तो कुछ नुकसान हो जाएगा? क्योंकि आपके लिए इस आयु में बहुत सारे महत्वपूर्ण कार्य है।
2. क्या आप इमोशनली इतने परिपक्व है कि अगर आपके गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड से हुई दोस्ती टूट गई तो उसको झेलने के लिए इमोशनली तैयार हो? क्योंकि ये आयु में परिपक्वता नहीं, बल्कि आकर्षण अधिक होता है, इसका ध्यान अवश्य रखें।
3. क्या आप इस आयु में बनाए गए गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड के बारे में सच्चाई से अपने मातापिता को बता सकते हो ? क्योंकि ये आयु केवल शिक्षा ग्रहण करने और चारित्रिक विकास की है।
4. क्या इन गतिविधियों में होने वाले अनावश्यक समय की बर्बादी व धन की बर्बादी को झेलने में सक्षम हो? क्योंकि आप सभी की पढ़ाई आपके मातापिता बड़े कष्ट कमाई से उठा रहे है व पढ़ाई तुम्हारे लिए सबसे अधिक जरूरी है।
5. क्या आप को आपके मातापिता ने स्कूल कॉलेज में गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड बनाने के लिए भेजा है? क्योंकि इस आयु में तो बच्चे अपनी शिक्षा तथा करियर बनाने पर ही ध्यान देते है, यही एक विद्यार्थी का धर्म है।
6. क्या आप एक विद्यार्थी होने के नाते किशोरावस्था की ऊर्जा को अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए लगाना चाहते है या भटकाव में? क्योंकि तुम्हारी ऊर्जा तो शिक्षा ग्रहण करने के लिए ही है।
इन छह प्रश्नों के उत्तर मुझे लगता है , ना में ही होंगे, अगर ईमानदारी से जबाव दिए होंगे तो। ना में दिए गए उत्तर यह साबित करते है कि यह उम्र न तो गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड बनाने की है और न ही समय बर्बाद करने की है, क्योंकि ये समय वापिस नहीं आता है। किशोरावस्था में जब हार्मोनल बदलाव होने लगते तो ओज बनने लगता है, जिसका उर्ध्वगमन होना चाहिए ताकि बच्चों का शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक विकास हो सकें।
यही वो समय होता है जब नवयुवा मूलाधार चक्र से ऊपर उठकर सहस्त्र चक्र तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करते है। अगर इस आयु में ओज का क्षरण हुआ तो समझ लो फिर शारीरिक, बौद्धिक तथा विवेकशीलता कमजोर होगी। शरीर सुस्त रहेगा, बुद्धि कमजोर होगी, स्मृति क्षय होगा, आलस्य रहेगा, नींद अधिक होगी, पढ़ाई में मन नहीं लगेगा, जीवन में भटकाव के कारण अपने करियर से विमुख हो जाएंगे। वैसे तो प्रिय युवाओं, अगर पच्चीस वर्ष की उम्र तक इन सभी गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड के चक्करों से बच कर ही रहना चाहिए, जिससे आपकी ऊर्जा आपके खुद के विकास तथा राष्ट्र विकास में लगाया जा सकें।
जय हिंद, वंदे मातरम