बोतल से दूध पिलाने से बच्चों के दांतों में हो सकता है ये खतरा, ऐसे बरतें सावधानियां

 
mahendra india news, new delhi

छोटे बच्चों की सेहत पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी हो गया है। इसके लिए बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें। आज देखने में आया है कि छोटे बच्चों को माताएं बॉटल पकड़ा देती हैं, इसके बाद बच्चें घंटों बॉटल से दूध, जूस, जैसे मीठे लिक्विड्स पीते रहते हैं। 


वैसे देखे तो रात्रि के समय में सोते समय बच्चों को बॉटल लेकर सोने दिया जाता है, इससे लिक्विड्स में मौजूद शक्कर घंटों तक दांतों पर रहती है, यही बैक्टीरिया का कारण बन जाता है, इसे ही बेबी बॉटल सिंड्रोम कहते है. इसको लेकर डा. ऊर्जा सचदेवा ने बच्चों के अच्छे ओरल हेल्थ के लिए कुछ जरूरी कदम बताएं हें, जिन्हें माता-पिता को जरूर फॉलो करें। 

डा. सचदेवा ने बताया कि अपनी बच्ची को बॉटल के साथ सोने देने से बचें, खासकर अगर उसमें दूध, फॉर्मूला या जूस हो. इन लिक्विड्स में मौजूद शक्कर घंटों तक दांतों पर रहती है, यह बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है और कैविटी का कारण बनती है, इसी के साथ ही अगर बच्चे को रात्रि में बॉटल की जरूरत होती है, तो उसे नॉर्मल पानी दें। 

डा. सचदेवा ने बताया कि करीबन छह माह की आयु से सिप्पी कप का इस्तेमाल शुरू करें और 12 से 18 माह के बीच बच्चे को बॉटल से हटा दें, कप से पीने से शक्कर लंबे वक्त तक मुंह में जमा नहीं रह पाता है और हेल्दी ओरल हैबिट्स डेवलप होती है। 


इसी के साथ ही उन्होंने बताया कि पहले दांत आने से पहले भी, एक साफ, गीले कपड़े से अपने बच्चे के मसूड़ों को पोंछें. जब दांत आ जाएं, तो दिन में 2 बार नरम टूथब्रश के साथ बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले टूथपेस्ट से ब्रश करें। 


इसी के साथ ही उन्होंने बताया कि बच्चे में बैलेंस्ड डाइट की आदत डालें, जिससे मीठे स्नैक्स और लिक्विड्स कंट्रोल हो. जूस की जगह पानी या दूध दें और फलों के जूस के बजाय पूरे फल दें.


नोट : ये खबर केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है, इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की सहायता ली है, अपनी सेहत के लिए कुछ भी अपनाने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें।