कम पानी में होने वाली धान की ये 12 किस्में, किसानों की आय के साथ बढ़ाएगी पैदावार
धान की फसल में किसानों को बार बार सिंचाई करनी पड़ती है। कई बार पानी की कमी से धान की फसल भी खराब हो जाती है। इससे किसानों को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान झेलना पउ़ता है। धान की फसल में सबसे ज्यादा पानी का प्रयोग होता है. लेकिन अब निजी कंपनी ने धान की 12 किस्मों को विकसित किया है, जो कम पानी में अच्छी उपज देगी।
आपको बता दें कि कंपनी की इन किस्मों में खास बात यह है कि इन्हें रोपाई की बजाय सीधे खेत में बीज के रूप बिजाई की जा सकेगी। पिछले कुछ सालों में में ज्यादातर प्रदेशों में तेजी से भूजल स्तर नीचे जा रहा है। खासकर हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ प्रदेशो में, इनमें सबसे ज्यादा धान की फसल की बिजाई भी होती है।
जलसंकट को ध्यान में रखते हुए किसानों के कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनी किसानक्राफ्ट ने धान की 12 किस्मों को विकसित किया गया है। कम पानी में तैयार होने के साथ ही खास बात यह है कि इन्हें सीधे खेत में बीज के रूप बोया जा सकता है। यानी इन किस्मों में पौधे की रोपाई की जरूरत नहीं होगी और धान की नर्सरी में खर्च होने वाले अतिरिक्तवक्त, पानी और लागत से बचा जा सकता है।
12 नई किस्में विकसित की
बता दें कि बेंगलुरु स्थित कृषि फर्म किसानक्राफ्ट ने धान की 12 नई किस्में विकसित की हैं जो सीधे बीज की बिजाई करने वाले चावल की खेती के लिए उपयुक्त हैं, इन्हें उगाने के लिए कम पानी का प्रयोग होता है, किसानक्राफ्ट छोटे और मंझोले किसानों के लिए इंटरकल्टीवेटर और हार्वेस्टर जैसे किफायती कृषि उपकरण बनाती है। कंपनी ने कुछ साल पहले बीज अनुसंधान और विकास में भी तेजी दिखाई है। अब उसने धान की 12 किस्में विकसित कर एग्री सेक्टर में तहलका मचा दिया है.
बीज विकसित करने में जुटी है कंपनी
आपको बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक किसानक्राफ्ट के अध्यक्ष रवींद्र अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2017 से खेती की सीधे बुवाई वाले बीज यानी डीएसआर विधि के लिए चावल की किस्मों को विकसित करने पर फोकस किया है।
उन किस्मों के प्रजनन पर है जो बदलते जलवायु पैटर्न के लिए उपयुक्त हैंद्व इसी को लेकर हमने धान की इन 12 डीएसआर किस्मों को विकसित करने के लिए देशभर से धान की लगभग 175 किस्मों की जांच की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कंपनी ने चालू ग्रीष्मकालीन फसल सीजन में कर्नाटक के 3 स्थानों पर इन डीएसआर धान किस्मों का परीक्षण शुरू किया गया।
क्राफ्ट के अध्यक्ष अग्रवाल ने कहा कि बताया कि हम आगामी खरीफ 2024 फसल सीजन में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, यूपी, बिहार सहित लगभग 14 प्रमुख चावल उत्पादक प्रदेशों में 40 स्थानों पर 12 डीएसआर चावल की किस्मों का परीक्षण करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसानक्राफ्ट का लक्ष्य 2025 के खरीफ सीजन में इन डीएसआर चावल किस्मों का व्यावसायीकरण करना है, डीएसआर किस्में बारीक दाने, मध्यम पतली और मोटी किस्मों का मिश्रण हैं। इनकी पैदावार औसत से बेहतर है और उच्च उपज देने वाली किस्मों के बराबर है, जो प्रति एकड़ में उपज 22 से 25 क्विंटल के बीच है।