ऐलनाबाद के विधायक भरत सिंह बैनीवाल का बड़ा बयान, बोले अभय चौटाला व पूरा चौटाला परिवार, हैं बीजेपी...

 
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ऐलनाबाद हलका से कांग्रेस विधायक भरत सिंह बेनिवाल ने कहा है कि पूरा चौटाला परिवार, बीजपी के साथ जुडा हुआ हैं। इन्होंने हमेशा गठबंधन और छिपे हुए गठबंधन की राजनीति की है। इनेलो का इतिहास गवाह है कि पिछली चार पीढ़ियों से चौटाला परिवार पूरी तरह बीजेपी की गोद में खेल रहा है। इनको ना किसानों की फ़िकर है ना कोई और वर्ग की उनको चिंता है तो सिर्फ़ अपनी राजनीति चमकाने की।अभय सिंह चौटाला व इनेलो के दो विधायक सत्ताधारी बीजेपी का विरोध ना कर के कांग्रेस व किसान हितेषी चौ भूपेंद्र हुड्डा के ख़िलाफ़ झूठा परचार कर रहे है । 

अभय सिंह चौटाला ने तो विपक्ष के नेता रहते हुए भी हमेशा भाजपा का साथ दिया था। आज भी अभय समेत पूरा चौटाला परिवार बीजेपी की बजाए कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ ही बोलता है। 2019 में अभय चौटाला स्वयं पूर्व सीएम खट्टर सरकार में शामिल होने के लिए तैयार बैठे थे। वह दिल्ली जाने के लिए भी तैयारी कर चुके थे। लेकिन इस बीच दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया। जो दुष्यंत चौटाला बीजेपी को कोसते हुए चुनाव लड़े थे, वो चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार में शामिल हो गए। 

2019 से लेकर 2024 तक राज्यसभा से लेकर उप-राष्ट्रपति तक हर चुनाव में अभय चौटाला ने बीजेपी उम्मीदवारों को वोट की। यहां तक किसान कानूनों के विरोध में जब कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया तो बीजेपी के खिलाफ वोट करने से बचने के लिए अभय ने विधानसभा से ही इस्तीफा दे दिया। 

2024 विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा की पार्टी के साथ मिलकर इनेलो ने चुनाव लड़ा। गोपाल कांडा ने पहले ही साफ कर दिया था कि चुनाव के बाद उनका गठबंधन बीजेपी को समर्थन करेगा। इसीलिए बीजेपी ने सिरसा से अपने उम्मीदवार का पर्चा भी उठवा लिया। इनेलो को जितवाने की कोशिश में ही बीजेपी ने सिरसा की 3 सीटों डबवाली, ऐलनाबाद और रनियां समझौते के तहत कमजोर कैंडिडेट उतारे।

वहीं, जहां भी कांग्रेस की जीत तय थी, वहां इनेलो ने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दी, जिन्होंने कांग्रेस के वोट काटे और बीजेपी को लाभ पहुंचाया। 

यह बीजेपी और चौटाला परिवार की सांठगांठ है कि आज की तारीख में भी उसके निशाने पर बीजेपी या उसके मुख्यमंत्री नहीं होते, हमेशा उनके निशाने पर कांग्रेस और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा होते हैं। क्योंकि बीजेपी और इनेलो-जेजेपी गठबंधन को पता है कि उनके सामने हुड्डा ही सबसे बड़ी चुनौती हैं। अकेले हुड्डा से लड़ने के लिए 3-3 दल सांठगांठ करके चुनाव लड़ते हैं और दुष्प्रचार करते हैं।