HARYANA में कर्मचारियों के साथ वायदा खिलाफी से नाराज हैं रोडवेज कर्मचारी: सुमेर सिवाच

 
Mahendra india news, new delhi

हरियाण के सिरसा में हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन संबंधित सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा केंद्रीय कमेटी की मीटिंग राज्य प्रधान नरेन्द्र दिनोद की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस मीटिंग में सर्व कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान धर्मवीर सिंह फोगाट, नरेंद्र दिनोद व सुमेर सिवाच ने कहा कि सरकार द्वारा लगातार रोडवेज कर्मचारियों की मांगों की जा रही अनदेखी व वादाखिलाफी को लेकर 21 सितंबर को भिवानी में राज्य स्तरीय कन्वेंशन करने व सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया। प्रदेश प्रवक्ता व सिरसा डिपो प्रधान पृथ्वी सिंह चाहर ने बताया कि मीटिंग का संचालन महासचिव सुमेर सिवाच ने किया। 

सुमेर सिवाच ने कहा कि ज्ञापन में मांग की जाएगी सभी दल विधानसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट करें, विभाग का निजीकरण बंद कर 10 हजार सरकारी बसें शामिल की जाएगी, लिपिक, चालक परिचालक व अन्य कर्मचारियों के वेतन संशोधन पर स्पष्ट करें। कौशल रोजगार निगम भंग कर सभी कर्मचारियों को पक्का करने सहित विभाग में खाली पदों पर पक्की भर्ती करेंगें या नहीं? सभी मानी गई मांगों को लागू नहीं करके वायदाखिलाफी क्यों? बैठक को स बोधित करते हुए राज्य प्रधान नरेंद्र दिनोद व महासचिव सुमेर सिवाच ने हरियाणा सरकार के पिछले 9 वर्ष के कार्यकाल का कर्मचारी विरोधी रवैये की विस्तार से चर्चा की। 

जिसमें रोडवेज के कर्मचारियों ने गत वर्षों में हड़ताल धरने व प्रदर्शन से लेकर सीएम आवास घेराव जैसे बड़े आंदोलन किये, जिनको देखते हुए परिवहन मंत्री ने तीन-चार दौर की बातचीत की बातचीत में कई मांगों पर सहमती बनी, लेकिन सरकार ने एक भी मांग को लागू नहीं किया। इसलिए रोडवेज कर्मचारियों में भारी गुस्सा है। चाहर ने कहा कि कर्मचारियों को गुस्से को देखते हुए हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन ने आगामी विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्षों को कर्मचारीयों की मांगों और निजीकरण को रद्द करने की मांग को लेकर अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की जाएगी। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि जनता व कर्मचारियों की मांग के विपरित सरकार 362 रूटों पर 3658 प्राइवेट बसों को रुट परमिट देकर विभाग को बर्बाद करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा यूनियन की मांग के अनुसार प्राइवेट रुट परमिट देने की बजाय रोडवेज बेड़े में 10 हजार सरकारी बसें शामिल की जाती तो 60 हजार बेरोजगारों को पक्का रोजगार देने के अलावा जनता को बेहतर व सुरक्षित परिवहन सेवा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, सभी कर्मचारियों पर पुरानी पेंशन स्कीम लागू करनेए परिचालक चालक व लिपिको के वेतनमान बढ़ाने, गुड़गांव एचआरईसी कर्मचारियों को रोडवेज के कर्मचारियों की भांति सभी सुविधाएं लागू करने व सभी प्रकार की बसों की चेसिस बॉडी सैक्शन में बनवाने, सेंट्रल वर्कशॉप हिसार और करनाल को निजी हाथों में न देने, कर्मचारियों की काटी गई छु वापस कर पहले की तरह छुट्टियों का पत्र जारी करनेए ओवर टाइम पॉलिसी को संशोधित करने व कर्मचारियों से जिन मांगों पर सहमति बनी थी, उन्हें लागू नहीं करने पर सरकार की पोल खोलने के लिए 21 सितंबर को भिवानी में रोडवेज कर्मचारियों की राज्य स्तरीय कन्वेंशन की जाएगी। उन्होंने कहा सरकार की निजीकरण नीतियों का डटकर विरोध किया जाएगा। सरकार की गलत नीतियों के कारण रोडवेज में हो रहे नुकसान को जनता के बीच में ले जाने का काम करेंगे। सरकार ने रोडवेज कर्मचारियों के साथ जो वादा खिलाफी की हैए इसका खामियाजा आने वाले चुनाव में सरकार को भुगतना पड़ेगा। जो भी राजनीतिक पार्टी उपरोक्त मांगों को लागू करने व रोडवेज के निजीकरण के खिलाफ  अपने घोषणा पत्र में चर्चा नहीं करती, 

उस राजनीतिक पार्टी के खिलाफ  रोडवेज कर्मचारी अपना गुस्सा जाहिर करने का काम करेंगे और सरकार को आईना दिखाने का भी काम करेंगे। यूनियन मीटिंग में वरिष्ठ उपप्रधान शिव कुमार श्योराण, कोषाध्यक्ष सुशील ईक्कस, मु य संगठन सचिव रमेश श्योकंद व पवन शर्मा, उपाध्यक्ष जयकुंवार दहिया, पृथ्वी सिंह चाहर, कार्यालय सचिव सतबीर मुंढाल ने कहा कि रोडवेज कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार कर लागू करने की बजाय सरकार ल बे समय से टरकाउ रवैया अपना रही है। उन्होंने कहा सरकार ने कर्मचारियों की अनदेखी करने का जो कार्य किया है, इससे प्रदेश के कर्मचारियों में भारी गुस्सा है।