धर्म का सच्चा अर्थ बताने वाला प्रदेश हरियाणा जीवन जीने की उत्कृष्ट कला सीखता है, कर्तव्य पथ दिखाता है

 

mahendra india news, new delhi

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
इंसान की भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण जीवन में अवसाद बढ़ता जा रहा है, जीवन जीने की राह कठिन होती जा रही है, लोग अपने कर्तव्य से भटक रहे है, लोग संतोषी रहन सहन से दूर जा रहे है। हमारे हरियाणा प्रदेश के लोग जीवन की बेहद स्पष्ट धारा में जीने वाले है, जिन्हे वचनों में स्पष्टता का होना बहुत गौरांवित करता है, जरूरतमंद लोगों की सहायता करना हरियाणा वादियों के खून में है, लेकिन अगर कोई उनके साथ चालाकी करे तो फिर ऊंचे स्वर का डरावना रूप भी उनके पास है, इसी लिए तो यहां कहावत है कि " प्यार से तो गुड भी दे दे, लेकिन अच्छा ना लगे तो गन्ना भी ना दें"।

हरियाणा की पवित्र भूमि पर ही भगवान श्रीकृष्ण जी महाराज ने धर्म का सच्चा अर्थ बताया था, जिस धर्म को लोगों ने कर्मकांड बना दिया, जिसको पाखंड बना दिया है, इसी को यहां जीवन के अलग अलग पड़ाव में जरूरी कर्तव्य बताया था। यही पर ज्ञान योग, कर्म योग तथा भक्ति योग को हर इंसान के व्यक्तित्व विकास के आवश्यक अंग बताएं थे, जीवन में अपने अपने कर्तव्य के पालन का पथ प्रशस्त किया था। हरियाणा की धरती की यही स्पष्टता, यही निर्भयता, यही कर्तव्य परायणता तथा कर्मठता ने यहां के लोगों को मेहनती, जुनूनी तथा राष्ट्रभक्त बनाया है।

धर्म को कर्मकांड के लबादे में ना ढककर इसे अपने कर्तव्य के रूप में लेकर ही तो यहां के युवाओं ने खेलों में मैडल दिलाए है, सेना में भर्ती होकर राष्ट्र सुरक्षा का जिम्मा उठाया है। धर्म को कर्तव्य की कसौटी पर कसने वाली पवित्र भूमि के लोगों की भाषा बोली शैली भले ही थोड़ी खड़ी, थोड़ी तीखी वा थोड़ी कड़क हो, लेकिन यहां के वासी दिल के बड़े नरम, मन के बड़े स्पष्ट तथा शरीर के मजबूत होते है, इसी लिए तो दूसरे लोगों को इनकी बोली भले ही टेढ़ी लगे लेकिन मन कर्म वचन के बड़े पक्के होते है, यही तो धर्म का असली अर्थ है। यहां के भोले लोग अपनी उम्र के साथ साथ ही अपनी वेशभूषा भी इसलिए बदलते है कि एक तो हमारी हरियाणा की वेशभूषा जीवित रहें और दूसरा अपनी आयु के अनुसार उसकी प्रदेश की वेशभूषा को संभालने की जिम्मेदारी भी अदा की जा सकें, जिसके कारण  यहां के अधिकतर बुजुर्ग अपनी धोती कुर्ता वा पगड़ी में ही सजते है, गौरांवित महसूस करते है। जीवन की भागदौड़ तो यहां भी पूरा प्रभाव दिखा रही है लेकिन फिर भी यहां का जीवन बहुत ही सरल है।

एक विशेष बात पर मै चर्चा करना चाहता हूं यहां लोगों में क्षत्रियता अधिक है, इसीलिए यहां के युवा मजबूती के साथ खड़ा होना जानते है, दंगलों में कुश्ती लड़ना जानते है, बॉक्सिंग के रिंक में मुक्का मारना जानते है, देश की सीमा पर दुश्मनों के साथ लड़ना जानते है, विदेशी भूमि पर जाकर भारत के लिए खेलो में स्वर्ण पदक लाना जानते है, यही की बेटियों में बहादुरी का जज्बा जीवन की पहचान है तभी तो कुश्ती, मुक्केबाजी, निशानेबाजी, भारोत्तोलन, हॉकी में मैडल लाना जानती है, खेतों में मर्दों से अधिक कमाना जानती है। इस धरती के युवाओं में व्यक्तिवाद से अधिक राष्ट्रवाद है, यहां लोगों में व्यावसायिकता से अधिक व्यवहार की सर्वोच्चता है, जिसके कारण ये बड़ा सोचते है और कर्तव्य पथ पर निजी हित को त्यागकर राष्ट्र हित के लिए जीवन भी न्यौछावर कर देते है। दुश्मनों के साथ होने वाले किसी भी युद्ध की बात करो, हरियाणा के छोरों ने ही अपना बलिदान अधिक दिया है,

और यह हमारे हरियाणा में कर्तव्य को निभाने का एक गौरांवित करने वाला तरीका है। अधर्म पर धर्म की जीत के लिए यहीं पर महाभारत का युद्ध लड़ा गया था, क्योंकि इस धरती के लोग स्पष्टवादी, बहादुर, निष्पक्ष, न्याय का साथ देने वाले है। गलत सही की पहचान करने का अनोखा जज्बा यहां के लोग रखते है, अगर कोई गलत करें तो भले ही अपना हो, उसे भी सजा देना यहां के लोग जानते है। पंजाब से अलग होकर हरियाणा प्रदेश ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, चाहे विकास का मामला हो, खेलो का क्षेत्र हो, खेती का मामला हो, अन्न उत्पादन का क्षेत्र हो, भाईचारे की बात को या फिर समाज में समरसता की बात हो, हमने सदैव खुले मन से अपनी बेहतरी के लिए कार्य किया है। धर्म का सच्चा अर्थ यहीं के लोग जानते है, पाखंड को जीवन से दूर रखकर अपनी खुद की मेहनत पर भरोसा करते है। आजकल तो हरियाणवी भाषा बोली का क्रेज बढ़ता जा रहा है,

अगर किसी को थोड़ा भी मजबूत दिखना है, किसी को थोड़ा भी कड़क दिखना है तो वो भी हरयाणवी बोली का उपयोग करते है। हरियाणवी गानों का दीवाना तो आज पूरा भारत है, हर विवाह शादी में डी जे पर बजने वाला गीत हरियाणवी ही होता है। फिल्म इंडस्ट्री में भी हरियाणवी बोली का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है, हरियाणवी बोली में एक तरह का आत्मविश्वास है, एक तरह का अल्हड़पन है, हरियाणवी बोली में एक तरह का संकल्प है, प्रण शपथ है, इस बोली में एक तरह का खुलापन तथा देशभक्ति है, इसी से हमारा जज्बा जुनून झलकता है। हरियाणा प्रदेश जीवन जीने की अलग राह दिखाता है जिसमें मोह, लोभ, लालच से अधिक राष्ट्रभक्ति का तड़का होता है, इसका सीधा सा मतलब है कि भगवान श्रीकृष्ण जी ने यही पर तो श्रीमद्भगवद् गीता का उपदेश दिया था, इसीलिए यहां के लोगों में पाखंड कम, कर्तव्य पालन का जज्बा अधिक दिखता है। यहां के लोग हाजिरजबाव है,

किसी तल्ख बात को भी हंसी में टालना इनको आता है, लेकिन गलत को गलत ठहराना भी ये जानते है, क्योंकि बात बात पर लड़ने से अच्छा है कि कुछ बातों को इग्नोर किया जाएं। देशी खाना पीना अगर किसी को सीखना है तो हरियाणा के लोगों से सीखा जा सकता है, तभी तो आज भी यहां के युवा चूरमा, देशी घी का हलवा खुशी से खाते है, दूध, दही, मक्खन घी के बिना तो यहां का खाना पूरा ही नहीं होता है, एक एक लीटर लस्सी पीना तो यहां आम बात है, दूध पीए बगैर तो यहां के लोगों को नींद ही नहीं आती है। युवाओं में खेलों के प्रति गजब का जज्बा है, सेना में भर्ती होने का गजब का जज्बा है। एक एक गांव में सैकड़ों की संख्या में युवा शाम को खेल के मैदान पर कसरत करते दिख जाएंगे। यहां का हुक्का पंचायतों की शान है, यहां की खाप पंचायतें सामाजिक ताने बाने का आधार हुआ करती है, भाईचारा इतना है कि हर बेटी की शादी में कन्यादान डालना तो जैसे हर किसी का कर्तव्य माना जाता है। हरियाणा प्रदेश के गांवों में किसी प्रकार की उदंडता नहीं चल सकती है, गुंडागर्दी नहीं चल सकती है।

आज भी यहां के बुजुर्ग संस्कार देने के लिए आगे आते है, इसी लिए यहां खेलों के आयोजन अधिक होते है, युवाओं को बच्चों को खेलों की ओर प्रेरित किया जाता है, गांव के बुजुर्ग भी खेलों में बच्चों को प्रोत्साहित करते है, सहयोग करते है। यहां धर्म का अर्थ कर्तव्य है, पाखंड नहीं, यहां धर्म का अर्थ कल्याण है, किसी का अहित नहीं, यहां धर्म का अर्थ सच्चाई ईमानदारी है, झुंठ बोलना नहीं, यहां धर्म का अर्थ न्याय है, अन्याय नहीं, यहां धर्म का अर्थ बहन बेटियों की सुरक्षा है,

यहां धर्म का अर्थ जरूरतमंदों की सहायता है, यहां धर्म का अर्थ देशभक्ति है, यहां धर्म का अर्थ बलिदान है, यहां धर्म का अर्थ गरीबों की सहायता करना है, समरसता है, यहां धर्म का अर्थ सच्ची वा अच्छी बात करना है, संस्कार है, नीति है नियत है। यहां धर्म का अर्थ कभी भी पाखंड इसलिए नहीं रहा , क्योंकि ये क्षेत्र आर्यसमाज से प्रभावित रहा है, यहां गीता का उपदेश दिया गया है, यहां धर्म की ही जीत हुई है, और यही जीवन जीने की सच्ची राह है, कला है। हरियाणा दिवस की सभी को शुभकामनाएं और एक संकल्प हरियाणा के नाम नहीं रहेगा नशे का पान।
जय हिंद, वंदे मातरम