कैसे लाइव देखें क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग, जानिए क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग कैसे होगी 

आपको बस करना होगा यह काम
 

mahendra india news, new delhi

चांद पर चंद्रयान की सफलता के साथ सूरज पर आदित्य वन की कामयाबी के बाद देश फिर इतिहास रचने वाला है। इसरो द्वारा अभी कुछ ही देर में यानि शनिवार को सुबह 8 बजे देश के प्रथम मानव मिशन गगनयान के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करेगा। यह सुबह 8 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 लॉन्च होगा। 

आपको बता दें कि इस मिशन में रॉकेट में कोई गड़बड़ी होने पर अंदर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर सुरक्षित लाने वाले सिस्टम की टेस्टिंग होगी। 

आप क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग को लाइव कैसे देखे 
आपको बता दें कि जान लें कि आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन देश के प्रथम मानव मिशन गगनयान के लिए महत्वपूर्ण टेस्ट करने वाला है। दरअसल अब से कुछ देर बाद आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम का टेस्ट फायर होगा। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि यह क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग है। इसमेंं नए रॉकेट का प्रयोग होगा।


यह लिक्विड इंजन फायर्ड रॉकेट है, इसके ऊपर प्रो मॉड्यूल और प्रो एस्केप सिस्टम होगा। इस टेस्टिंग में क्रू मॉड्यूल का लॉन्च, उसे वापस उतारने और समुद्र से रिकवर करने का प्रोसेस शामिल है। अगर  क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट को लाइव देखना चाहते हैं तो इसरो के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर जाकर देख सकते हैं। इसी के साथ साथ आप इसरो के फेजबुक पेज और वेबसाइट पर भी टेस्टिंग को लाइव देख सकते हैं।


ऐसे होगी क्रू मॉड्यूल की टेस्टिंग 
इस ट्रायल में सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट से क्रू एस्केप सिस्टम अंतरिक्ष में लॉन्च होगा.
इसे 11.7 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रू एस्केप सिस्टम रॉकेट से अलग हो जाएगा.
यह रॉकेट से अलग होते ही क्रू एस्केप सिस्टम नीचे आएगा.
इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम से क्रू मॉड्यूल अलग होगा.
 क्रू मॉड्यूल में लगे एक जोड़ी पैराशूट खुलेंगे.
इसके कुछ देर बाद मुख्य पैराशूट खुलेगा, जो मॉड्यूल की रफ्तार को बहुत कम कर देगा.
इसके बाद फिर क्रू मॉड्यूल श्रीहरिकोटा में तट से करीब 10 किलोमीटर दूर समुद्र में उतरेगा.
नौसेना की टीम क्रू मॉड्यूल को समुद्र से निकालेगी और क्रू एस्केप सिस्टम और रॉकेट को रिकवर करेगी.क्यों किया जा रहा है 


क्रू एस्केप सिस्टम टेस्ट
आपको बता दें कि दरअसल, मिशन में किसी अनहोनी के हालात में एस्ट्रोनॉट्स को बचाने में ये क्रू एस्केप सिस्टम कार्य में आएगा। इसके लिए उड़ान भरते समय अगर मिशन में गड़बड़ी हुई तो यह सिस्टम क्रू मॉड्यूल के साथ यान से अलग हो जाएगा और एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित समुद्र में उतार देगा। स्पेस में मानव मिशन भेजने से पहल इसरो ऐसे कई परीक्षण करेगा। ताकि अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। गगनयान इंडिया का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, इसे अगले वर्ष के अंतिम या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। इससे पहले 2024 में मानव रहित टेस्ट उड़ान होगी, इसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा।