कृषि व किसान कल्याण विभाग की टीमों व स्कूली विद्यार्थियों ने ग्रामीणों को किया जागरूक
mahendra india news, new delhi
फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने व पराली प्रबंधन के लिए ग्रामीण क्षेत्र में विद्यार्थियों व कृषि विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पराली जलाने से मित्र कीट के नष्टï होने, जमीन की उर्वरा शक्ति घटने व प्रदूषण की वजह से होने वाली परेशानियों को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
इसी क्रम में सोमवार को ठोबरियां, मोडियाखेड़ा, मिठनपुरा, बुर्जकर्मगढ, रोड़ी, पनिहारी, गंगा, देसूमलकाना, अभोली, रत्ताखेड़ा, गिंदडख़ेड़ा, सक्ताखेड़ा, सुखेराखेड़ा, मल्लेवाला, अबूतगढ, मल्लेकां, अलीकां व जीवननगर आदि गांवों में स्कूली विद्यार्थियों व विभाग की टीमों ने ग्रामीणों को पराली न जलाने व फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए जागरूक किया। किसानों को बताया गया कि पराली जलाने से पशुओं के लिए चारे का संकट खड़ा होता है।
यदि पराली न जला कर चारे के रूप में प्रयुक्त करें तो तूड़ी की डिमांड कम होगी और पशुओं को आसानी से चारा उपलब्ध रहेगा। इसके अलावा पराली की गांठे बनाकर भी अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर सकते हैं। जागरूकता कार्यक्रम में बताया गया कि पराली में आग लगाने से अनेक ऐसे जीव है जो खेत से बाहर नहीं निकल पाते और आग की चपेट में आकर नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा आग लगाने से पेड़ पौधों को भी नुकसान पहुंचता है, यदि पराली को खेत में ही मिला दिया जाए तो यह खेती की उर्वरा शक्ति को बढाने में कारगर है।
कृषि विभाग के उप निदेशक डा. सुखदेव सिंह ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों को सरकार द्वारा 1200 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति पराली में आगजनी की घटना करते पाए गए तो एक एकड़ भूमि तक पांच हजार रुपये प्रति घटना, दो से पांच एकड़ भूमि तक दस हजार रुपये प्रति घटना व पांच एकड़ भूमि से ज्यादा पर तीस हजार रुपये प्रति घटना के हिसाब से जुर्माना वसूल किया जाएगा व एफआईआर दर्ज की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इन किसान की जमीन की रेड एंट्री भी की जाएगी जिस कारण संबंधित किसान दो वर्ष तक विभागीय स्कीमों का लाभ नहीं ले पाएगा और न ही अपनी फसल एमएसपी पर बेच पाएगा।