भारत को विकासशील से विकसित बनाने में पशु पालकों का योगदान क्या हो सकता है
Updated: Jul 30, 2025, 09:05 IST
Mahendra india news, new delhi
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
विषय बहुत ही रोचक है , इस पर विमर्श इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि हमारा देश विकासशील से विकसित बनने की राह पर अग्रसर है। ऐसी स्थिति में हर क्षेत्र का अपना योगदान हो सकता है ये महत्वपूर्ण है। अगर सभी क्षेत्र और उस क्षेत्र में काम करने वाले नागरिक अपने अपने संस्थानों या कार्यों में कुछ अधिक योगदान करना शुरू करे तो निश्चित ही हम देश को विकसित करने के सपने में भागीदारी निभा सकते है। ये कार्य सभी का है,
हम अपने देश की जी डी पी को कैसे बढ़ाएं, अपने देश में प्रति व्यक्ति आय कैसे बढ़ाएं? इस बात पर सोचना हर उस नागरिक का कर्तव्य है जो इस भारत में रहता है। और अगर वो किसी महत्वपूर्ण पद पर है तो उसकी जिम्मेदारी इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि वह अधिक लोगो को प्रभावित करता है। मैं इस चर्चा में पशुधन और पशु पालकों को शामिल कर करना चाहता हूँ क्योंकि खाने पीने के मामले में हर भारतीय सबसे अधिक उपभोग दूध वा दुग्ध से बने उत्पादों का करते है। प्रिय नागरिकों, ये क्षेत्र ऐसा है जिसका विस्तार करने की गुंजाइश अधिक है, इसमें दो बातो को विशेष रूप से ध्यान करने की जरूरत है, एक तो हम पशुपालको की संख्या बढ़ाने पर फोकस करे तथा दूसरा पशुओं की संख्या बढ़ाने पर जोर दें। ये क्षेत्र कृषि से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, फिर भी यह अपनी अलग पहचान रखता है। जब हम देश को विकसित बनाने की बात करते है तो उसमे बहुत सी बाते शामिल होती है जैसे देश की जी डी पी कितनी है उसे बढ़ाने की आवश्यकता है, देश की जी एन आई कितनी है उसको कैसे बढ़ाया जा सकता है या फिर ऐसे भी कह सकते है जी एन पी कैसे बढ़ाएं। जी डी पी को बढ़ाने के लिए हमे पशु पालकों को निरंतर प्रेरित करने की जरूरत है।
नए पशु पालक तैयार करने के लिए उन्हें सरकार की ओर से कुछ आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराने की जरूरत है। यहां कुछ सूत्र दिए जा रहे है, जैसे;
पहला: कृषकों को जो पशुपालन भी करना चाहे तथा उनमे से कुछ जो पशुपालन को अपने खेती के साथ जोड़ना चाहे, उनको चिन्हित करने का कार्य किया जाए।दूसरा: बहुत से लोग पशु पालन के लिए सरकार से लोन लेते है लेकिन वो पशु खरीदते नही और उस पैसे को इधर उधर खर्च कर देते है, मेरा मानना है कि ऐसे लोगो की पहचान की जाए और पशु पालन विभाग तथा पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों द्वारा ऐसे लोगो के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया जाना चाहिए ताकि वो अपना दुग्ध उत्पादन का व्यवसाय आसानी से चला सके।
तीसरा: युवाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा पशुपालन प्रशिक्षण आयोजित किए जाए जिससे कि ज्यादा युवाओं को पशु पालन के क्षेत्र में लाया जा सके।
चौथा: पशु पालन शुरू करने वाले किसानों और खासकर युवा किसानों की पहचान अभियान चलाने की जरूरत है जिससे की हम ज्यादा से ज्यादा लोगो को पशु पालन की ओर आकर्षित कर सके। युवाओं को कोऑपरेटिव डेयरी जैसी अवधारणा पर कार्य करने की जरूरत है।
पांचवा। ये बहुत ही महत्वपूर्ण प्वाइंट है इसमें पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों द्वारा जिला स्तर पर संचालित पशु विज्ञान केंद्रों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को और किसानों को पशुपालन के क्षेत्र में लाने की कौशिश करनी चाहिए। इसके लिए प्रसार शिक्षा के सभी महानुभावों को इसके कुछ टारगेट भी दिए जा सकते है, जिससे परिणाम बेहतर आ सके।
छटा: पशु पालन विभाग और पशु चिकित्सा तथा पशु विज्ञान विश्वविद्यालयों, विभिन्न गांवों में ऐसे मेले आयोजित करे जिसमे पशु पालन करने के लिए लोगो को प्रेरित करके आगे लाया जा सके।
सातवां: वर्तमान में सी सी एफ आधारित डेयरी स्थापित करने की अवधारणा की जरूरत है जिसमें कंज्यूमर भी अपना दूध देने वाला पशु कुछ भुगतान के साथ डेयरी में रखे, ताकि युवाओं डेयरी चलाने में सुविधा हो।
इस प्रकार से हम इस क्षेत्र के माध्यम से पशुपालन के क्षेत्र से ज्यादा उत्पादन कर सकते है चाहे दूध का उत्पादन, दही, लस्सी का उत्पादन,घी का उत्पादन और इसमें भी ऑर्गेनिक दूध, दही, लस्सी, और घी का उत्पादन कर, ज्यादा आय की जा सकती है। इस क्षेत्र के महानुभावों से मेरा निवेदन है की जब हम देश को विकासशील से विकसित करने में अपना योगदान देना चाहते है तो उसके लिए तय फार्मूले पर भी कार्य करना पड़ेगा, इसलिए इसका भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है जिसमे पहला हम अपने उत्पादन को बढ़ाएं, नए उत्पादक तैयार करे। दूसरा जब उत्पादन बढ़ेगा तो हमारी जी डी पी प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ेगी। इसमें तीसरा प्वाइंट यह है कि हमे अपनी सकल नेशनल आय भी बढ़ानी होगी जिसे हम जी एन आई भी कहते है।
इसमें चौथी विशेष बात यह है कि हमे अपना एच डी आई अर्थात ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स या मानव विकास इंडेक्स भी अच्छा करना पड़ेगा, जिसमे मुख्य रूप से तीन विषय आती है पहली, हमारे नागरिकों की आयु तथा स्वास्थ्य, दूसरा, इंटेलिजेंस जिसमे स्कूलिंग एक पैरामीटर है तथा तीसरा पहलू है जी एन आई की बेहतरी भी इसमें गिनी जाती है। मैं यहां एक विशेष बात और करना चाहता हूं कि हमे अपने पशु पालकों का रहन सहन का स्तर भी उठाना पड़ेगा , उनको नागरिकता का ज्ञान हो , इसके भी प्रशिक्षण देने पड़ेंगे ताकि पशु पालन करने वाले सभी नागरिक आधुनिक व्यवसाय करे तथा खुद को भी शिक्षा से जोड़े। उन्हें राष्ट्र को विकसित करने के लिए जरूरी पहलुओं का ध्यान रखने को प्रेरित किया जा सके।
इसमें स्वच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा, घर वा आसपास की स्वच्छता, सड़क पर चलते हुए ट्रैफिक नियमों का पालन किया जा सके, देश को स्वच्छ रखने में सहयोग हो, मुख्य रूप से मैं ये कहना चाहता हूं कि अगर देश को विकसित बनना है तो मानव विकास को भी तरजीह देनी चाहिए। चाहे वो आर्थिक रूप से हो, चाहे वो सामाजिक तौर पर हो , चाहे वो स्वास्थ्य के रूप में हो, चाहे नियमो के पालन के रूप में हो। हर नागरिक को देश के लिए पढ़ना, देश के लिए स्वस्थ रहना है, देश के लिए कमाना, राष्ट्र के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना है, अपने को पशुपालन जैसे महत्वपूर्ण रोजगार में लगाकर देश को राजस्व देना है तथा देश के लिए अपनी आय भी बढ़ाने का प्रयास करना है। आओ सभी पशु पालक साथी मिल कर देश को विकसित बनाने में अपना भरपूर सहयोग प्रदान करे और अपना जीवन स्तर भी बेहतर करें।
जय हिंद, वंदे मातरम
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