Google: गूगल पर विद्यार्थियों को सब कुछ मिलेगा, लेकिन भोजन तथा वक्त नही मिल सकता, इन्हे बहुत समझदारी से उपयोग करें
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
ने आज अपने लेख में बहुत ही अच्छी बात लिखी है, उन्होंने लिखा है कि आजकल युवा पीढ़ी हो या बुजुर्ग पीढ़ी या फिर देश का बचपन हो सभी तो मोबाइल पर विभिन्न ऐप पर दुनिया भर की जानकारी लेते है, दुनियाभर की रील देखते है, दुनिया भर के कॉमेडी शो देखते हैं, दुनिया भर की व्हाट्सएप पर गलत जानकारियां लेते है, जो भी आप लोगों के दिमाग में भरी जाती है उसी को हम वर्षों से देख रहे है परंतु भला किसी का नही होता हैं। पूरा दिन लोगों द्वारा मोबाइल पर गूगल दिखाया जाता है, पहले तो इस देश के गरीब लोगों को फ्री में डेटा देना शुरू किया लेकिन आज वही डेटा लगभग 800 रुपया प्रति माह मिल रहा हैं। हमारी युवा पीढ़ी ही नही, भारत के अधिकतर नागरिक पूरा पूरा दिन मोबाइल देखने में गुजार देते है, लेकिन समय खोने के अलावा कुछ हासिल नहीं होता हैं। मैं यहां देश के विचारकों से कुछ प्रश्न करना चाहता हूं, जिसमे पहला प्रश्न है कि: क्या इस देश का हर युवा केवल मोबाइल देखने के लिए पैदा हुआ है ?
दूसरा: क्या बिना कुछ सीखे, बिना कुछ ज्ञान प्राप्त किए, सभी युवाओं को रोजगार दिए जा सकते है?
तीसरा: क्या इस रास्ते पर चलकर हम देश को विकसित कर पाएंगे, क्या हम ऐसे युवाओं की फौज खड़ी करते जा रहे है जिनके पास कोई स्किल नही है ?
चौथा: क्या हम नागरिकों को केवल यूज करने का जरिया मानना चाहते है या वो युवा विकसित भारत के लिए इंस्ट्रूमेंट है?
पांचवा: क्या युवाओं को केवल मोबाइल देख कर ही अपना जीवन जीने के लिए हुनर मंद बनाया जा पाएगा। देश का एक बड़ा युवा वर्ग विज्ञान अथवा कॉमर्स नही पढ़ना चाहते है, इसका अर्थ यह है कि वर्तमान में युवा आसन जीवन जीना चाहते हैं। युवा दोस्तों ये ऐसे प्रश्न है जो हमे विचार करने पर मजबूर करते है और विद्यार्थियों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत हैं।आप लोगों को मोबाइल पर कुछ भौंडे एक्टिंग, आनंद, कॉमेडी, रील देखने को मिल जायेगी, लेकिन मोबाइल आपको ना तो भोजन दे सकता है और ना ही जो समय गुजर रहा है उसको वापस ला सकता हैं। किसी भी इंसान के पास समय से ज्यादा कीमती कोई पूंजी नही है, जो एक बार चला गया, मुड़ कर दुबारा नहीं मिलेगा। अगर आज दिनांक 10 अक्तूबर 2024 का दिन आपके हाथ से चला गया , वो वापिस लौट कर नहीं आएगा। युवा साथियों आपकी जिंदगी में तो 10 अक्तूबर 2024 कभी नही आयेगा, आपका ये दिन कितना कीमती था जिसके भरपाई अगले दिन नही हो सकती हैं। अगर मोबाइल हमारे पैसे को खाए जा रहा है, हमारे बेहद कीमती समय को भी खत्म किया जा रहा हैं। दोस्तों, जीवन में अगर आपको आगे बढ़ना है तो केवल किसी भी कंपनी के ग्राहक बन कर रहने से अच्छा है अपने समय का सदुपयोग करें। वर्तमान में विद्यार्थियों और युवाओं का औसतन 6 से 8 घंटे मोबाइल देखने की लत में जा रहे हैं। मोबाइल फोन की लत इस कदर हावी है कि लगातार 30 मिनट भी आज का युवा बिना मोबाइल देखें नही रह सकता हैं। मेरा ऐसा मानना है कि विद्यार्थियों की पांच कमजोरियां तेजी से उनके व्यक्तित्व को क्षरण की ओर लेकर जा रही है, जैसे;
1. विद्यार्थियों में किताबे पढ़ने की आदत बहुत तेजी से कम हो रही हैं।
2. विद्यार्थी डिजिटल के नाम पर विषय से ज्यादा दूसरी सामग्री अधिक देखते हैं।
3. विद्यार्थियों में पढ़ने वा लिखने की आदत कम होने के कारण मस्तिष्क सुस्त होता जा रहा हैं,उसका सिकुड़न शुरू हो गया हैं।
4. किसी भी प्रकार की गतिविधियों में सबसे आसान गतिविधि, देखना होता है और सबसे मुश्किल कार्य पढ़ना होता है, उसको याद करना होता है। मोबाइल में देखने पर अधिक ध्यान रहता है इसलिए विद्यार्थी में पेशेंस, मौन तथा ज्ञान की कमी आ रही हैं।
5. गूगल दुनिया की सभी इन्फॉर्मेशन तथा ज्ञान उपलब्ध कराता है परंतु उसमें रील देखना सबसे आसान कार्य लगता है, इसीलिए युवा विद्यार्थियों में साइंस तथा कॉमर्स पढ़ने की आदत तेजी से गिर रही है।
मानव जीवन में अगर हम प्रेय तथा श्रेय मार्ग में से श्रेय मार्ग इसलिए नही चुनते है कि यह मुश्किल है तो फिर जीवन में कुछ आसान नहीं हैं। कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है अगर व्यक्ति अपने आसन जीवन जीने की आदत को अलग कर दें। युवाओं को मोबाइल फोन से इतना नुकसान नहीं है जितना उसमे पिक्चर देखने में हैं। आप मोबाइल को ज्ञान के इंस्ट्रूमेंट के रूप में देख रहे है तो बेहतर परिणाम आ सकते हैं। हां अगर विद्यार्थी इसे केवल मनोरंजन के लिए उपयोग में ला रहे है तो फिर उससे खरनाक कुछ भी नही हैं। भारतीय संस्कृति में जीवन में चार पुरुषार्थ हमारे जीने के सिद्धांत है, जिसमें पहले नंबर पर धर्म , दूसरे पर अर्थ , तीसरे पर काम तथा चौथे पर मोक्ष आता है, परंतु हमारी नई पीढ़ियों को इसका ज्ञान तक नही हैं। हम अगर शिक्षा के क्षेत्र में इसका अध्ययन करना सीख ले तो जीवन बहुत सरल तथा प्रोग्रेसिव हो जायेगा। मैं यहां संक्षिप्त में कुछ कहना बताना चाहता हूं, मान लो जब हम धर्म की बात करते है तो इसके 14 अर्थ है जिसमें कर्तव्य सबसे महत्वपूर्ण है, धैर्य, इंद्रियों को वश में करना आदि है। हमारा जीवन पहले इतना सक्षम जरूर बने जिससे हमारे विद्यार्थी अर्थ और काम को सही से हैंडल कर सकें, हमारे विद्यार्थियों तथा युवाओं में ना तो धन शक्ति को हैंडल करना आता है और ना ही काम वासना को, क्योंकि हमने कभी उसको जाना ही नही और धर्म को पढ़े ही धन संपत्ति तथा काम वासना की तरफ दौड़ने लगे। जिनके भीतर धर्म नही है वो भ्रष्टाचार करेंगे, वो चोरी करेंगे, वो अहंकार करेंगे, वो अन्याय करेंगे, वो सेक्स की तरफ दौड़ेंगे। इसीलिए जीवन में सबसे पहले हमे अपने व्यक्तित्व को धर्म के सिद्धांत पर खरा उतारना पड़ेगा। मेरा मन उद्वेलित है कि आज की युवा पीढ़ी सारा सारा दिन मोबाइल से चिपकने के कारण अपना सारा समय डस्टबिन में डाल रहे हैं। युवा विद्यार्थी दोस्तों, आप अपने जीवन की लीक बदलो अन्यथा ये प्रैक्टिस जीवन को बर्बाद कर देगी। इसकी लत सबसे पहले तो आपको प्रात: जल्दी नही उठने देती है, दूसरा मेहनत से दूर करती है, तीसरा आपके व्यक्तित्व को कमजोर करती है। जीवन में बिना मेहनत के कुछ भी नही मिलेगा चाहे कुछ भी कर लीजिए। बिना मेहनत के आप हर प्रकार से भिखारी बन जायेंगे, अगर भोजन तथा सम्मान चाहिए, तो इस लत को छोड़ कर एक नए जीवन की शुरुआत करनी होगी, वरना ये रील आपके जीवन के महत्वपूर्ण वर्षो को बिना किसी परिणाम के बर्बादी की ओर लेकर जायेगी। जीवन में समय से कीमती कुछ नही है और इसी का सदुपयोग करने की बात मैं कर रहा हूं। जो दिन चला गया ,वो लौट कर नहीं आता है, बस इसे समझ लो।
जय हिंद, वंदे मातरम