health skills: युवाओं के लिए हेल्थ स्किल्स कितना है जरूरी इसके लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी 

पहला सुख निरोगी काया की अवधारणा को जीना
 

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नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव ने बताया कि हेल्थ इज वेल्थ, ये मुहावरा है या जीवन की सच्चाई इसको जानना प्रत्येक इंसान के लिए उतना ही जरूरी है जितना सांस लेना। पहला सुख निरोगी काया, हम हमेशा से इस लाइन को अपने बुजुर्गों से सुनते आए है लेकिन जब युवा थे तो कभी इसका अर्थ समंझ में नही आया परन्तु आज जरूर इसका अर्थ, सोंचने पर मजबूर करता है जब हम चारो ओर लोगो को बीमारी से घिरा हुए पाते है। 

युवाओं की जीवन शैली देखते है
उन्होंने बताया कि जब हम बच्चो का भोजन देखते है, युवाओं की जीवन शैली देखते है। तो पाते है कि युवा किस दिशा में जा रहा है। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके फ़ूड से तय होता है ऐसा माना जाता है। एक कहावत है "जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन" यानी कि शरीर का निर्माण कैसे सामग्री लगी है वो ही मायने रखती है। युवा के लिए जब हम हेल्थ स्किल्स की बात करते है तो इसमें जो फूड है वो महत्वपूर्ण अंग है। हमे प्रकृति से तीन गुण मिले है वो है:-
1. सत्व 
2. रजस
3. तमस

इन तीनो गुणों की वजह से ही हमारी सारी क्रियाएं तय होती है। तीनो प्राकृतिक गुणों का बैलेंस रहना सबसे आवश्यक है जब कोई भी एक गुण घटता, बढ़ता है, उसी से हमारा स्वस्थ्य तय होता है। और उसी से हमारा व्यवहार तय होता है। अगर आप मे तमस ज्यादा है तो क्रोध, पीड़ा, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या जैसी परवर्ती बढ़ती है, और अगर अगर दूसरे गुण बढ़ते है तो दूसरे प्रकार का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। और उसी से हमारा स्वाथ्य भी तय होता है। 

अगर युवाओं या बच्चो या फिर किशोरों की अपनी हेल्थ का ख्याल रखना है तो चार बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
1. खानपान
2. व्यायाम
3. सोने व उठने का समय
4. नशे से दूरी रखनी है।


व्यायाम करें युवा एक घंटा 
युवाओं को प्रतिदिन एक घंटा कम से कम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम या फिर एक्सरसाइज पर लगाना है, किसी प्रकार का भी बहाना नही चलेगा। सभी को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देना है, नमक, चीनी व मैदा की इन्टेक पर पाबन्दी लगानी होगी, अगर स्वस्थ जीवन जीना चाहते हो। गोल गप्पे, पिजा, बर्गर, मैदा से बने उत्पाद को बंद करना होगा। ये पेट कोई डस्टबिन नहीं है ये हमारा पूजनीय स्थल है जिसमे भोग लगाया जाता है , साथियों हमारा पेट, भगवान गणेश का परिचायक है उसमे भोग लगता है वो भी शुद्ध, और पौष्टिक पदार्थो का ही होता है। 


स्वाद के लिए प्रयोग होती है
भोजन सदैव पौष्टिक एवं पचने योग्य ही होना चाहिए। हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग होता है वो है जिव्हा, वैसे तो सभी जानते है कि खाने में और स्वाद के लिए प्रयोग होती है लेकिन बहुत कम लोग ये जानते है कि जिव्हा हमारे फ़फूड को पचाने के लिए लार भी पैदा करती है जो क्षारीय होती जो हमारे पाचन क्रिया को तेज करने के काम आता है। इससे भी ज्यादा जो जिव्हा का काम कार्य ये है कि हमारे पेट, आंतो को कैसा भोजन चाहिए उसका भी बताने का करती है जैसे कितना तीखा हो, कितना गरिष्ठ हो, कितना मीठा हो, कितना कड़वा हो या फिर कितना नमकीन हो, हमारी जीभ सब कुछ संकेत करती है लेकिन हम उस पर ध्यान कहाँ देते है। हमारा शरीर भी संकेत करता है परंतु हम उसकी भी कहाँ सुनते है। क्योंकि युवाओं में जोश ज्यादा होता है तो वो न तो जिव्हा की सुन पाते है और न ही वो शरीर की सुन पाते है, न ही वो विवेक का प्रयोग करते है तथा न ही शरीर के स्पंदन सुन  पाते है जो हमे हिदायत देता है कि ये गलत है और ये सही है।


युवाओं के लिए निम्न हेल्थ स्किल्स प्रस्तुत है:--
1. आत्म जागरूकता
दैहिक
मानसिक
बौद्धिक
आध्यात्मिक
नैतिक
पौष्टिकता
व्यवहारिक
2. रिफ्यूजल कौशल
3. क्रिटिकल थिंकिंग
4. आत्म प्रबंधन
5. सिलेक्शन ऑफ फूड स्किल
6. मैडिटेशन
7. साइलेंस कौशल
8. स्माइलिंग कौशल
9. वर्कआउट स्किल्स
10.उपवास कौशल
11. सलीपिंग कौशल


यह ग्यारह हेल्थ स्किल्स है जिनको सभी युवाओं को अपनाना चाहिए अगर वो कामयाब जीवन जीना चाहते है। युवाओं की शक्ति जब ही उपयोगी होती जब वो स्वस्थ है। स्वामी विवेकानन्द जी कहते थे कि युवाओं को सदैव निर्भीक, हिम्मती, साहसी व ताकतवर होना चाहिए। जब युवा शारीरिक रूप से मजबूत होता है तो उसकी बुद्धि भी तेज होती है और बुद्धि से तेज व्यक्ति ही विवेक का प्रयोग कर सकता है। 


युवाओं द्वारा जब विवेक का प्रयोग किया जाएगा तभी वो सक्षम बनेगा, शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से, सामाजिक रूप से ,  बौद्धिक रूप से और आध्यात्मिक रूप से। इसी लिए कहा जाता है कि पहला दुख निरोगी काया। इसी लिए कहा जाता है हेल्थ इज वेल्थ। इसी लिए कहा जाता है शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम। और सदैव ये भी कहते है कि स्वस्थम च जीवनम।
डा. नरेंद्र यादव, उपनिदेशक, नेहरू युवा केंद्र हिसार