जानिए योग का स्पोर्ट्स में योगदान, तथा एथेलेटिक्स के विभिन्न इवेंट्स में योग कैसे लाभकारी हो सकता हैं

एथेलेटिक्स के अलग अलग इवेंट्स को और बेहतर किया जा सकता है जैसे 
 

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डा. नरेंद्र यादव, नेशनल वाटर अवॉर्डी
सी इ ओ, भारतीय फुटबाल बैंक
यूथ डेवलपमेंट मेंटर ने बताया है कि वैसे तो योग को कुछ माननीयों ने स्पोर्ट्स में शामिल करा दिया है परंतु योग को कभी भी इतना छोटा नहीं हो सकता है, योग ,स्पोर्ट्स नहीं हो सकता, योग का एरिया बहुत ही बड़ा हैं, इसे खेलकूद कह कर इसका दर्जा नीचा नहीं किया जा सकता है। योग , भारत ही नही विश्व को शांति और ऊर्जा  प्रदान करने का  टूल है, यह ना केवल स्पोर्ट्स, शांति, सद्भावना, विनम्रता , व्यवहार, व्यक्तित्व विकास, रिश्तों में माधुर्य तथा ध्यान , धारणा,अपरिग्रह, प्रत्याहार और समाधि के लिए भी उपयोग किया जाता हैं। खेलकूद तो एक छोटा सा हिस्सा हैं। 


चलो फिर भी अगर कुछ एक्सपर्ट योग को स्पोर्ट्स भी मानते है तो शायद कोई बुराई नही हैं परंतु अगर योग की कुछ विधाओं को स्पोर्ट्स के उत्थान के लिए उपयोग किया जाए तो स्पोर्ट्स को और बेहतर किया जा सकता हैं। अगर हम योग की विभिन्न विधाओं पर विमर्श करें, जो स्पोर्ट्स और खास कर एथेलेटिक्स के अलग अलग इवेंट्स को और बेहतर किया जा सकता है जैसे ;
1. ध्यान से कंसंट्रेशन पावर बढ़ाना
2. धारणा से स्पोर्ट्स में खेल की स्पिरिट्स पैदा करना।
3. प्राणायाम से लंग्स की शक्ति बढ़ाना, सांस की गति को साधना, हार्ट की शक्ति को बढ़ाने का कार्य करना।
4. ध्यान से कंसंट्रेशन बढ़ाना, तथा मन को कंट्रोल करें


5. धारणा से प्रतिस्पर्धा करने की बजाय अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने का प्रयत्न करना।
6. योग में उपलब्ध यम के ब्रह्मचर्य से कोई भी एथलीट अपने शरीर और मन को सशक्त कर सकते हैं, जिससे बेहतर रिजल्ट आ सकें।
7. प्राणायाम में पूरक , कुंभक तथा रेचक के माध्यम से अपने सांस के फ्लो को पढ़ाने का अभ्यास करें जिससे एक सांस में ज्यादा ऑक्सीजन भीतर जाए और आपकी स्पीड ज्यादा बनें।
8. अगर कोई एथेलेटिक्स में रनिंग की बजाय जंप या थ्रो करते है तो प्राणायाम के अभ्यास से जब खिलाड़ी जंप करें तो उस समय ज्यादा सांस भीतर भरने का अभ्यास करके , खिलाड़ी अपने जंप का उछाल ज्यादा कर सकते हैं और ज्यादा देरी तक हवा में रहने का अवसर मिल सकता है जिससे जंप की लंबाई और ऊंचाई अधिक होगी।


9. अगर कोई भी एथलीट थ्रो करते है तो प्राणायाम के द्वारा सांस को साधने का अभ्यास करने पर , जब कोई भी खिलाड़ी गोला, डिस्कस या जेवलिन फेंकते है तो फेकने के समय सांस का फ्लो अंदर की तरफ खींचने का अभ्यास अधिक से अधिक करें जिससे एथलीट का थ्रो दूर तक जाएं।
10. अगर कोई खिलाड़ी हैमर थ्रो करते है तो हैमर को घुमाते वक्त ध्यान और धारणा के द्वारा मन केंद्रित करके तथा थ्रो करते व्यक्त प्राणायाम के द्वारा पूरक क्रिया के अभ्यास से सांस भीतर खींच कर थ्रो करेंगे तो बेहतरीन फेंक होगी।
11. इसी प्रकार अगर कोई लंबी दूरी का धावक है तो उन्हे आसनों तथा प्राणायाम के द्वारा अपने फेफड़ों की शक्ति तथा दिल की पंपिंग की शक्ति को बेहतर बनाने का अवसर मिलता हैं। बार बार पूरक, कुंभक तथा रेचक और फिर बाह्य कुंभक के अभ्यास से कोई भी खिलाड़ी लंबी दूरी की दौड़ को कम समय तथा बिना थकान के पूरी कर सकते हैं।


12. ध्यान द्वारा मन को केंद्रित करके एथेलेटिक्स में कोई भी खिलाड़ी किसी भी इवेंट्स के दौरान किसी भी प्रकार की इंजरी से भी बच जाता है क्योंकि इंजरी सदैव लापरवाही से ही होती हैं।
13. एथेलेटिक्स का एक इवेंट है जिसे हम मैराथन कहते हैं, जिसमे 42 किलोमीटर 195 मीटर की दूरी तय की जाती है अथवा 26 मील 385 मीटर की दूरी की दौड़ होती हैं। यह सबसे लंबी दौड़ होती है जिसके लिए खिलाड़ियों को बहुत मशक्कत करनी पड़ती हैं। इस दौड़ के लिए किसी भी खिलाड़ी को तीन प्रकार की स्ट्रेंथ की जरूरत होती है, पहली लंग्स की शक्ति, हार्ट की शक्ति।


        दूसरी लेग्स की शक्ति तथा 
        तीसरी ऊर्जा का बड़ा भंडार, इसके लिए प्राणायाम का अभ्यास, आसन तथा यम में उपलब्ध ब्रह्मचर्य के द्वारा शक्ति का संवर्धन किया जाता है और फिर कोई भी खिलाड़ी अपनी मैराथन को बड़ी आसानी से बेहतरीन समय में पूरा कर सकते हैं।
13. दोस्तो, योग से किसी भी खिलाड़ी में उत्साह जागृत होता है और आप जानते ही है बिना उत्साह के उत्सव नही मनाएं जाते है, इसलिए योग की अलग अलग विधा , खेलों में उत्साह का संचालन करती है।
साथियों, मैं इस लेख के माध्यम से कहना चाहता हूं कि योग ना केवल ध्यान ,साधना या साधु संत बनने के लिए ही नही हैं अपितु ये तो आमजन मानस के उत्थान का साधन हैं। योग कोई निवृति मार्गी नही है बल्कि प्रवृति मार्गी हैं। ये जितना सन्यास के लिए आवश्यक है उतना ही ये गृहस्थ के लिए, ब्रह्मचर्यो के लिए, विद्यार्थियों के लिए , खिलाड़ियों के लिए, कामगारों के लिए, किसानों के लिए, डॉक्टर्स के लिए , टीचर्स के लिए तथा योग तो अपनी विभिन्न विधाओं के द्वारा जन जन के जीवन में उजाला , स्फूर्ति, ऊर्जा, तप, विनम्रता , उत्साह लेकर के आता है।
और इन सभी से एक खिलाड़ी अथवा एक एथलीट अपने प्रदर्शन में सुधार के साथ आगे पढ़ते जाते हैं।
जय हिंद , वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
सी इ ओ, भारतीय फुटबाल बैंक
यूथ डेवलपमेंट मेंटर