Passion: जोश में युवाओं को किन बातों का जीवन में रखना होगा ध्यान, जोश है तो ताकत है

जोश में ऐसे लगता है जैसे क्रांति भरी हुई है नरेंद्र यादव 
 

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नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव ने कहा कि जब भी हम युवाओं की बात करते है तो बहुत से प्रश्न हमारे मन मे उठने लगते है, बहुत सी जिज्ञासाएं हमारे मन मे उठने लगती है। एक तरफ जहां हम अपने देश को युवाओं का देश कहते है वहीं दूसरी ओर हमे यह भी चिंता है कि जिन लोगो की ज्यादा संख्या हमारे राष्ट्र में है वो युवा है जिनके पास शक्ति, मेहनत, कर्मठता, सच्चाई, ईमानदारी, देशभक्ति, स्वाभिमान , होना चाहिए, वो आज होंश पूर्ण जीवन नही जी रहे  है। 

जोश में अनुशासन नहीं होता
जब मैं, युवाओं की बात करता हूँ तो दो व्यक्तित्व मेरे सामने आते है, एक जोश वाले युवा और दूसरी ओर होंशपूर्ण युवा। जोश में ऐसे लगता है जैसे क्रांति भरी हुई है, जोश है तो ताकत है, शक्ति है, निर्भयता है, सब कुछ है लेकिन जो चाहिए शायद वो नहीं होता है, जोश में अनुशासन नहीं होता, जोश में सयंम शायद नहीं होता, जोश में सम्मान भी शायद नही होता, परंतु हमे इन सभी की आवश्यकता होती है। हमें युवाओं में होंश चाहिए, हमे युवाओं में स्वाभिमान चाहिए, हमें युवाओं में जागरूकता चाहिए, हमें युवाओं में निर्भीकता चाहिए, हमें युवाओं में ईमानदारी चाहिए, हमें युवाओं में परिश्रम चाहिए, और हमें युवाओं में न्याय के प्रति संवेदना चाहिए अगर ऐसा है तो युवा कहलाने का फायदा है नही तो बिल्कुल नही है। 

जिन युवाओं से मेरे देश की बहन, बेटियां, माताएं को डर लगता हो वो युवा कहलाने लायक नही है, जिन युवाओं को देख कर मेरी माताएं, बहने अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करती, वो युवाओं की श्रेणी में आने लायक नहीं है और जिन युवाओं को देखकर उनके मातपिता, तकलीफ महसूस करे वो युवा कहलाने लायक कदापि नही है। अगर आप आयु से युवा वर्ग में आते हो तो युवा होंश को भी जगाओ जो युवाओं के लिए अति आवश्यक है। साथियों,  गलत को गलत , कहने की आदत युवाओं में होनी ही चाहिए, और सही को सही कहने का मादा भी एक युवा में होना ही चाहिए। 

स्वामी विवेकानंद ने कहा था 
युवाओं को जागना ही चाहिए, स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था युवाओं उठो, जागो व लक्ष्य की प्राप्ति तक मत रुको। हमारे महापुरुषों ने यही कहा है। स्वामी दयानंद ने भी कहा कि अपने को अंधविश्वास से बहार निकालकर जागरूक बनो, भगवान महावीर जी ने कहा कि सभी को विवेक से जीना चाहिए, विवेक का अर्थ है होश में आकर जीये, भगवान बुद्ध ने कहा होंश में रह कर जीवन जीना चाहिए। व्यक्ति को सोते हुए भी जागते हुए रहना चाहिए। किसी भी व्यक्ति के जीवन के दो पहलू होते है ,
1. अंधकार
2. प्रकाश


प्रकाश का अर्थ होंश के साथ
 यानी कि अंधकार का मतलब बिना होंश के और प्रकाश का अर्थ होंश के साथ।  दोनों ही पहलू युवा के जीवन मे होते है, जब हम प्रकाश को प्राप्त करना चाहते है तो अंधकार को जान कर , युवाओं को प्रकाश के तरफ बढ़ना चाहिए। इसका अर्थ ये है कि बिना होंश के युवाओं में वासना, झूँठ, बेईमानी, अधर्य, हिंसा , आलस्य, अनादर, समय का पालन नही करना , और जीवन मे कोई लक्ष्य न होना भी इसकी पहचान है। तथा जब होंश में युवा जीवन जीता है तो वो जागरूकता के साथ कार्य करता है जिसमे जागना, उठना, बैठना, बातचीत करना, भोजन करना, व्यवहार करना, पढ़ना लिखना, चलना  सभी कुछ होंश में अगर करने लगे तो कोई गलती ही न हो। 

जागरूकता के साथ कार्य करता है
जब युवा होंश या जागरूकता के साथ कार्य करता है तो उसके जीवन में धीरज, ईमानदारी, सत्यता, सौहार्द, शौम्यता, शीलता, परिश्रम, कर्मठता, सहनशीलता, सभ्यता, विराटता, विस्तारित, जीवन मे स्फुर्ति, समय की पालना, बड़े बुजुर्गों प्रति आदर भाव, संवेदनशीलता ये सारे गुण जागरूकता पूर्ण जीवन जीने से आने लगते  है। सभी युवाओं को मैं यही आग्रह करना चाहता हूँ कि " असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय"  युवाओं को इस संस्कृत के श्लोक से ज्ञान लेना चाहिए कि असत्य से सत्य की ओर तथा अंधकार से प्रकाश की ओर चलो परन्तु ये तभी हो पायेगा जब सभी युवा होंशपूर्वक जिएंगे, जब कोई भी व्यक्ति जागरूकता या होंश के साथ जीवन जीता है तो निम्न फायदे होते है:-

1. हर कार्य के प्रति 100 प्रतिशत ध्यान लगता है।
2. हर कार्य होंश में होने से गलती नही होती ।
3. होंश पूर्ण जीवन से मोबाइल फ़ोन से पीछा छूट जाता है।
4. होंश से जीवन जीने से क्या खा रहे है, क्या पी रहे है इसका ध्यान रहता है।
5. होंशपूर्ण जीने से क्रोध पर काबू किया जा सकता है।
6. जागरूकता से जीवन जीने से जीवनशैली में परिवर्तन आता है।
7. जागरूकता के साथ जीने से आप क्या कर रहे हो उसका ज्ञान होता है।
8. होंश पूर्ण बोलने से आपकी भाषा भी सुधरती है।
9. होंश पूर्ण जीने से आप अपनी भाषा में अज्ञानतावश दिए जाने वाले अपशब्द पर रोक लगती है।
10. हर व्यक्ति , अगर जागरूकता के साथ प्रत्येक कार्य करे तो कोई भी गलत कर्म हो ही नही सकता।
11. युवाओं को चाहिए कि वो अपने जीवन को चारों ओर से जागरूकता के प्रकाश से घेरे रखे।
12. चार स्तर के होंश की जरूरत है
 ्र. व्यक्तिक जागरूकता
ए पारिवारिक जागरूकता
बी सामाजिक जागरूकता
सी राष्ट्र स्तरीय जागरूकता
डी व्यक्तिक में अपने शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक, सामुदायिक होंश के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए। 


सामाजिक होंश की जब मैं युवाओं से बात करता हूँ तो समाजिक जिम्मेदारियों की बात कर रहा हूँ जिस समुदाय ने युवाओं को सब कुछ दिया उस का उऋण करना युवाओं की जिम्मेदारी है। समाज ने युवाओं को क्या क्या दिया है उस पर भी चर्चा हो जाये।
1. समाज ने सभी को बोलना सिखाया।
2. समाज ने स्कूल, जोहड़ , तालाब दिए।
3.समाज ने हमे पेड़ पौधों की छाया दी, ऑक्सीजन दी जिसकी वजह से सभी सांस ले पाते है।
4. समाज ने हमारे सुख दुख में सहयोग किया, हमारी खुशियों में भागीदारी की, हमारे दुखो में साथ खड़े रहे।
5. हमे हंसना, बोलना , नाचना, कूदना, हिम्मत देना सिखाया।
6. जीवन को सदैव होंसला, साहस और उत्साह दिया।
7. सदैव समाज ने आर्थिक, समाजिक, मानसिक, व आध्यात्मिक रूप से सहयोग दिया।
8. सदैव व्यक्तित्व विकास हेतु अपना प्रोत्साहन दिया।
9. दुख तकलीफ में सदैव सांत्वना, संवेदना देने का कार्य किया।
 

राष्ट्र स्तरीय जागरूकता:- ये एक बहुत महतवर्ण विषय है जिसमे सभी युवाओं को अपने मन से , मष्तिष्क से  अवेयर रहना चाहिए ताकी जीवन को सही दिशा में ले जाया जा सके। राष्ट्र के प्रति सभी युवाओं को कृतज्ञ रहना चाहिए क्यों कि राष्ट्र की बदौलत युवाओं को बहुत कुछ मिलता है जो निम्न है।
1. राष्ट्र हमे सुरक्षा प्रदान करता है।
2. राष्ट्र हमे राष्ट्रीय पहचान देता है।
3. राष्ट्र हमे विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है।
4. राष्ट्र हमे अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति बनाने का अवसर प्रदान करता है।
5. हमे एक निश्चित भूभाग में रहने, उसकी प्राकृतिक का आनंद लेने तथा गौरव का अनुभव देता है।
6. राष्ट्र हमे मौलिक अधिकारों से लाभान्वित करता है।
7. राष्ट्र हमे हर प्रकार से जीवन को तरासने व खिलाने के अवसर प्रदान करता है।


मैं , अंत मे सभी युवाओं का आह्वान करता हूँ कि आपका जीवन होंश पूर्ण , तथा जागरूक अवस्था मे रहे ताकि आप भूल कर भी कोई गलती न करे और आप लोगो का व्यक्तित्व ऐसा हो कि आपको देखकर , हमारी सभी बहन, बेटियों को सुरक्षा महसूस हो और गौरव लगे।
लेखक नरेंद्र यादव, उपनिदेशक, नेहरू युवा केंद्र हिसार व राष्ट्रीय जल पुरुस्कार विजेता।