personality development: व्यक्तित्व विकास हेतु किशोरावस्था के लिए कंबाइंड फैमिली की जरूरत है
mahendra india news, sirsa नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेश डा. नरेंद्र यादव बातते हैं कि व्यक्तित्व विकास और संयुक्तपरिवार एक दूसरे के पूरक है। क्या है व्यक्तित्व विकास, ये तो लगभग सभी जानते है अगर मैं सिंपल रूप में बताऊं तो व्यक्तिक योग्यता को विकसित करना होता है, अब हम व्यक्तिक विकास में कई प्रकार की योग्यताओं का ही विकास करना पड़ता है, इसमे शैक्षणिक, शारीरिक आउटलुक, व्यवहारिक ज्ञान और स्वास्थ्य को विकसित करने के लिए अलग अलग प्रकार से हर बच्चे को, किशोर को कार्य करना पड़ता है। यहां उनको खुद भी मेहनत करनी पड़ती है साथ ही साथ परिवार के लोगो मे माता पिता को भी सहयोग करने के लिए आगे आना पड़ता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य की बात
उन्होंंने बताया कि वैसे तो व्यक्तित्व विकास में शिक्षा और शारीरिक स्वास्थ्य को छोड़ कर एक विषय जो बहुत महत्वपूर्ण बचता है जिसको हम व्यवहारिकता कहते है, और ये जीवन मे अभ्यास से आती है। अभ्यास तभी ही हो पाता है जब कोई भी बच्चा, या किशोर ज्यादा लोगो के बीच मे रहता है। रही शिक्षा और स्वास्थ्य की बात, वैसे तो ये छोटे परिवार में रहो तो भी बच्चे व किशोर प्राप्त कर सकते है लेकिन ये भी संयुक्त परिवार में रहने से अच्छे ढंग से ले सकते है तथा प्रेरणा व प्रतिस्पर्धा की भावना से भी अवगत हुआ जाता है।
बेहवीयर में अंतर होता है
वैसे तो ज्यादा लोगो से सम्बन्ध तो उसके दोस्तों की वजह से भी हो सकता है लेकिन सभी दोस्त एक परिवार के नही होते है उनकी सोंच में अंतर होता है उनके बेहवीयर में अंतर होता है, उनके संस्कारो में अंतर होता है, उन सब के विचारों का स्तर अलग अलग हो सकता है। व्यवहारिक ज्ञान की जब हम बात करते है तो उसमे पहला पहलू जो होता है वो निम्न बातों पर आधारित है,
किसी का भी सोंचने का तरीका
रहने का तरीका
बोलने का तरीका
समझने का स्तर
सहन करने की ताकत
धर्य का स्तर
सहअस्तित्व की भावना
इंटर एक्शन
निभ्यता की शक्ति
दुख सुख बांटने के संस्कार
खानदानी एसन्स
रिश्ते निभाने की क्षमता
बड़े बुजुर्गों का सम्मान
बड़े कुटुंब का स्वाभिमान
सीखने की क्षमता
सांझा करने की आदत
सबके साथ चलने की आदत
सबके साथ पलने बढ़ने की क्षमता
संयुक्त परिवार में रहने के तरीके
हर तरह की क्षमता में विस्तार होगा
जब कोई भी बच्चा बड़े परिवार या संयुक्त परिवार में रहता है तो उसकी हर तरह की क्षमता में विस्तार होगा, उसके विचारों में संकीर्णता नहीं होगी, उन्हें बून्द से दरिया व दरिया से समुंदर बनने में संकोच नही होगा बल्कि वो इसे गौरव मानते है परंतु इसके विपरीत जब कोई बच्चा या किशोर न्यूकिलियर फैमिली में रहता है तो उनमें बहुत सी बातों की कमी होती है। सबसे बड़ी कमी तो ये की वो सदैव संकीर्णता में जीता है, उसमे धर्य, खुलापन, सांझा करना, सहअस्तित्व, सबके साथ चलना, बोलना , सबके लिए सोंचने का अभ्यास नही होता है तो उसका जो विकास होना चाहिए वो नही हो पाता है। उनकी विचारों की संकीर्णता की वजह सदैव उसको समाज, समुदाय व राष्ट्र के बारे में सोंचने में अड़चन पैदा करती है। किसी भी अडोलोसेंट के लिए पर्सनालिटी डेवलपमेंट की एबीसीडी पढ़नी व जाननी बहुत जरूरी है जिससे वो अपने को विस्तारित मानसिकता का व्यक्तित्व का धनी बना सके।
जो गुण, किसी विशेष व्यक्तित्व के लिए चाहिए वो सब ऊपर दिए गए है और कोई भी बच्चा या किशोर या युवा इनका अभ्यास करता है वो परिपूर्ण व्यक्ति बन पाता है। आओ सब मिल कर ऐसा वातावरण बनाये जिससे हम अपने परिवारो को बड़ा कर सके। ये होगा सिर्फ बड़े दिल से, चलो सब को साथ रखे । और नई शुरुआत करें।
लेखक डा. नरेंद्र यादव, उपनिदेशक, नेहरू युवा केंद्र हिसार व राष्ट्रीय जल पुरस्कार विजेता