विद्यार्थियों को पढ़ाई स्मृति में नहीं बल्कि अनुभव में रखने की जरूरत है, तभी सदैव याद रहेगा

 

mahendra india news, new delhi
किसी ने साइकिल चलानी सीख ली हो और कुछ दिनों में भूल गए या किसी व्यक्ति ने या किसी छोटी आयु के किशोर ने कार चलानी सीख ली और कुछ दिनों में भूल गए हो, या किसी ने मोटर बाइक चलानी सीखी हो और कुछ समय बाद भूल गए हो, क्या कभी ऐसा होता है ? नहीं होता, कभी नहीं होता है, हम कभी नहीं भूलते है, क्योंकि हमने साइकिल को चलाना सीखा ही नहीं है, बल्कि अनुभव किया है,अभ्यास किया है। हमने कार चलाने का अनुभव किया, अभ्यास किया है। अगर हम कार चलाने की प्रक्रिया को सीखते एवं उसे याद करने की कौशिश करते तो शायद उसे जरूर भूल जाते, पर हमने उसे अनुभव किया है इसी लिए हम उसे जीवनपर्यंत नहीं भूलते है।

अगर यही प्रक्रिया हमारी पढ़ाई में भी आ जाए तो कोई भी विद्यार्थी पढ़ी हुई किसी भी पाठ्य सामग्री को भूल नहीं पाएंगे। हमारे स्कूल्स, कॉलेज या विश्वविद्यालयों में पढ़ाने का कार्य अधिक किया जाता है, फिर उसे याद करने के लिए बार बार पढ़ते है, बार बार याद करते है, बार बार रटते है, फिर भी उसे कुछ दिनों में भूल जाते है, इसका सीधा सा कारण है कि हमने उसे कभी अनुभव में नही लिया, इसी लिए हमारी स्मृति विस्मृत हो जाती है।

अगर मैथ पढ़ रहे हो तो उसके आंकड़े याद नहीं करना है, उन्हें खुद हल करना है, जानना है, उनका अनुभव करना है, गणित के सवाल हल करने है, उसके नए नए फॉर्मूला से हल करने के तरीके ढूंढने है, जैसे मान लो कोई विद्यार्थी से पूछे कि 1से 100 तक गिनती में शून्य कितनी बार आता है, एक कितनी बार आता है, दो कितनी बार आता है या फिर तीन कितनी बार आता है या 360 किन किन अंकों से विभक्त होता है, तो ये खुद हल करके अनुभव कर लेना चाहिए ताकि कभी भूले नहीं। विभिन्न फॉर्मूलों के माध्यम से मैथ के सम हल करने का अनुभव करने की जरूरत है।

अगर विद्यार्थी इतिहास पढ़ते है तो उसकी घटनाओं के वर्ष याद नहीं करना है, बल्कि पढ़ते वक्त उसी घटना को जीने का प्रयास करना सीखना है, तभी वो हमारा अनुभव बनेगा। अगर कोई विद्यार्थी विज्ञान पढ़ता है तो उसे याद करने की बजाय उसे प्रैक्टिकल रूप में करने का प्रयास करेंगे तभी उस अनुभव को बच्चें आसानी से याद कर पाएंगे। अगर सोशल वर्क पढ़ना है तो उसे सामाजिक कार्यों के माध्यम से खुद आयोजित करने का अनुभव करना है, तभी वो हमारी मेमोरी में स्थाई रूप से स्थापित होगा। अगर विद्यार्थी अंग्रेजी पढ़ना चाहते है तो उसे विज्ञान की तरह अनुभव करो, उसे रटो मत, उसकी व्याकरण पढ़ो, शब्दावली का विस्तार करो, उसके टेंस को विज्ञान की तरह वाक्य बनाने का अनुभव करो, बार बार अभ्यास करना है,तभी इंग्लिश फर्राटेदार बनेगी।

अगर विद्यार्थी को फाइन आर्ट पढ़नी है तो चित्रकारी का आनंद लो, चित्रकारी करो, बार बार करो, तभी हम उसे सीख पाएंगे। जीवन का अर्थ याद करना नहीं बल्कि अनुभव करना है, उसे हर दिन जीने का अभ्यास करना है। विद्यार्थियों में अनुभव ही पक्की स्मृति बनती है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। स्मृति विकसित करना अच्छी बात है परंतु रटा लगाने की आदत डालना हानिकर है। हर कार्य को खुद करके देखना, हर कार्य को स्वयं करने की इच्छा रखने से ही स्मृति विकसित होती है। बिना अनुभव किए आत्मविश्वास न होने के कारण बार बार भूल लगती है। अभ्यास ही आत्मविश्वास को डेवलप करता है। यहां कुछ स्टेप्स बताएं जा रहे है अगर उन्हें फॉलो किया जाए तो विद्यार्थी अपने हर

कार्य को अनुभव बनाने के प्रयास करेंगे, इनमें कुछ इस प्रकार है, जैसे;
1. कक्षा तीन से आठ तक स्मृति बढ़ाने के लिए न केवल पढ़ना चाहिए बल्कि उसे बोल बोल कर दोहराना भी चाहिए, जैसे पहले के समय में पहाड़े याद कराए जाते थे, क्योंकि यही आयु स्मृति विकसित करने की है ,व्यक्तित्व विकसित करने व उनके भीतर से अभिव्यक्ति का डर भी निकालने की भी है।
2. दूसरे स्टेप पर विद्यार्थियों को किसी विषयवस्तु  को न केवल पढ़ना है बल्कि उसे करके भी देखना है। उसे अनुभव करने से ही उसकी स्मृति पक्की बनेगी।

 

3. पुस्तक याद करने के लिए नहीं पढ़नी है, इन्हें अनुभव व आनंद के लिए पढ़ना है, जिससे रीडिंग की आदत विकसित हो सकें। प्लेजर व हैप्पीनेस की आदतों में पहली आदत पुस्तके पढ़ना होना चाहिए, ये तभी होगा जब बुक्स को कहानियों के रूप में बढ़ा जाएगा।
4. विज्ञान और गणित ऐसे विषय है जिन्हें बार लिख लिख कर अनुभव किया जाए, अधिक से अधिक सवाल हल किए जाएं, विज्ञान को प्रैक्टिकल के माध्यम से समझना होगा, वो सामान्य जीवन में कैसे काम करते है, उसे समझने की कौशिश करना होगा।
5. स्टोरी राइटिंग तथा स्टोरी टेलिंग की आदत विकसित करने के लिए हर दिन इसे अभ्यास में लेना चाहिए, इससे विद्यार्थियों में आउट ऑफ बॉक्स जाकर सोचने की क्षमता विकसित होती है, दूसरा विद्यार्थियों में अनुभव के माध्यम से स्मृति बढ़ाने का अवसर भी मिलता है।

 

6. पुस्तके पढ़ते वक्त उनमें से प्रश्न निकालने का भी अभ्यास करना चाहिए, जब बच्चें प्रश्न बनाना सीख जाते है तो उनका हल निकालना तो बेहद आसान हो जाता है।
7. स्मृति व अनुभव बढ़ाने का एक बेहतर तथा सशक्त तरीका एक से सौ तक के पहाड़े को याद करना व उनमें से अलग अलग सम बनाने की आदत विकसित करना चाहिए। उन्हें तेज आवाज में बोल बोल कर याद कराना भी एक सशक्त माध्यम है।
 

रटने से विद्यार्थियों में समझ विकसित नहीं हो पाती है और बिना अंडरस्टैंग के याद की गई विषय वस्तु बार बार भूली जाती है। यहां ये विमर्श अवश्य करना चाहिए कि बिना अभ्यास के याद की गई कोई भी विषय वस्तु में से अगर एक शब्द भी भूल गए तो पूरा याद किया हुआ चला जाता है और बच्चें खुद को असहाय महसूस करते है, लेकिन अगर उसे अनुभव किया हो, उसका अभ्यास किया हो,तो उसी विषय वस्तु या प्रश्न को वे अपने तर्क से भी हल कर सकते है, और पढ़ने लिखने का असली उद्वेश्य भी यही होता है। इसी से विद्यार्थियों की समझ का विस्तार होता है। जिन विद्यार्थियों ने प्रश्न बनाने सीख लिए वो वैज्ञानिक बनते है और वो सशक्त व्यक्तित्व के धनी बनते है।
जय हिंद, वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर