युवाओं को योग निद्रा के सहारे अपनी ऊर्जा को पुनः विकसित करने की जरूरत

 

Mahendra india news, new delhi
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
वर्तमान काल बहुत ही भागदौड़ तथा तनाव वा दबाव का माना जाता है। ऐसे समय में सबसे अधिक दबाव युवा पीढ़ी पर है जिसमें किशोरावस्था भी शामिल है, जिसे हम टीनएज भी कहते है। अगर अधिक गहराई से देखो तो हम इस आयु को और भी कम करके देख सकते है, क्योंकि धीरे धीरे इस किशोरावस्था की उम्र घट रही है। हर बच्चा दस ग्यारह वर्ष की उम्र में ही पेरेंट्स की दबी छुपी इच्छाओं तथा करियर बनाने के नाम पर अनेक प्रकार के दबाव को झेलने को विवश किया जाता है अर्थात डॉक्टर इंजीनियर या सिविल सर्वेंट बनाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने को बोला जाता है। उसी की चिंता करते हुए बच्चे बड़े होते है, जीवन की उमंग को कहीं खो देते है, हंसना बोलना छूट जाता है। ऐसी स्थिति में हमारे पास योग ही एक सहारा है, हमारे किशोर अपने जीवन में पुनः उमंग वा ऊर्जा का संचार कर सकते है। हम यहां योग निद्रा की बात इसलिए कर रहे है

क्योंकि यही एक विधि है जिससे हमारे किशोर होते बच्चों को रिलेक्स तथा तनावमुक्त करेगी। योग निद्रा योग का एक कंपोनेंट है जिसके माध्यम से हम जब थक हार जाते है तो उस स्किल का उपयोग करना चाहिए। भले ही युवा पीढ़ी को ये शब्द योग निद्रा समझ ना आती हो, परंतु यौगिक भाषा में तो इसे यही बोला जाता है। आप आधुनिक भाषा में इसे सेल्फ अवेयर्ड रिलेक्सिंग नैप कह सकते है क्योंकि आजकल युवाओं को इंग्लिश के शब्द अधिक अच्छे लगते है। भारतीय भाषाओं का तो आनंद ही अलग है इन्हें समझने में कोई मुश्किल नहीं है लेकिन हम थोड़ा दिखावा करते है, जिसके कारण हिंदी शब्दों को बोलने में शर्माते है। योग निद्रा क्या है इसे समझने की जरूरत है। जब हम व्यायाम करते है, या कोई थकाने वाले कार्य करते है या पूरा दिन कार्य करके थक जाते है या पूरा दिन या किसी भी समय मन भटकने लगता है तो योग निद्रा हमे पुनः उर्जित करने का काम करती है। योग का अर्थ है सजगता पूर्ण जुड़ने की कला। आमतौर पर हम लोग बहुत से कार्य करते रहते है लेकिन सजगता के साथ नहीं करते है, सजगता के साथ करना ही योग है, चाहे वो व्यायाम हो, जिन्हे हम आसन कहते है, चाहे वो सजगता से की गई सामाजिक जिम्मेदारी हो जिन्हे हम यम कहते है, चाहे वो व्यक्तिगत जिम्मेदारी हो जिन्हे हम नियम कहते है, चाहे वो सांसों के साथ सजगता से जुड़ना हो, जिन्हें हम प्राणायाम कहते है,

चाहे बाहरी नकारात्मकता को सजगता के साथ बाहर ही रोकना हो जिसे हम प्रत्याहार कहते है, चाहे वो सजगता पूर्ण मन का संकल्प हो जिसे हम धारणा बोलते है, चाहे मन से परे जाकर चित्तवृत्ति निरोध के माध्यम से एकाग्रता की स्थिति में जाते हो जिसे हम ध्यान कहते है, चाहे हम मुक्ति की अवस्था में जाते है जिसे हम समाधि बोलते है, सभी कुछ तो योग के द्वारा ही संभव है। जहां योग नहीं है वहां सजगता नहीं है, वहां जुड़ाव का कोई महत्व नहीं है, वहां नकारात्मकता के साथ जुड़ने की स्थिति उत्पन्न होती है। जीवन को साधने का नाम ही योग वृत्ति है। योग निद्रा का जो लाभ युवा पीढ़ी को लेना चाहिए था, शायद उतना लिया ही नहीं गया। वर्तमान में युवाओं की तनाव युक्त जिंदगी को देखते हुए योग हमारी युवा पीढ़ी के लिए अमृत के समान है, योग संजीवनी है, इसे जीवन की मुख्यधारा में जोड़ने की जरूरत है। योग निद्रा भी इसी का पार्ट है, योग के माध्यम से एक छोटी सजगता पूर्ण रिलेक्सिंग नैप लेने की विधि है। इसमें युवाओं को प्रातः और संध्या समय में करना चाहिए। इसमें किसी भी युवा को जमीन पर मैट बिछा कर, उसपर सीधा लेट जाएं। लेटने के उपरांत आंखे बंद करके अपने शरीर को ढीला छोड़ दे, और साक्षी भाव से शरीर को देखें।

मन को एकाग्र करते हुए अपने ध्यान को बाएं पैर के अंगूठे पर टिकाए, उसके बाद पूरा पंजा, टखना, घुटने पर होते हुए जंगा तक जाए और महसूस करें कि मेरा पूरा बायां पैर स्वस्थ वा तनावमुक्त है, उसके बाद पेट पर, नाभि पर होते हुए चेस्ट पर ध्यान करे कि मेरा हृदय भी सशक्त है, संवेदनशील है, उसके बाद बाएं हाथ पर उंगलियों से लेकर कंधे तक सजगता से महसूस करे, सभी संपादनों को महसूस करे और गले, दाहिनी आंख पर से ऊपर माथे तक जाए और महसूस करे कि मेरा मस्तिष्क चमक रहा है। इसी प्रकार दाहिनी ओर ऊपर से नीचे की तरफ ध्यान करे और शरीर में हो रहे संपादनों को महसूस करते हुए दाहिने पैर के अंगूठे तक आए। अपने मन के पार जाकर, अपने ही शरीर को दूर बैठ कर महसूस करे तथा शरीर की सभी व्याधियों को छुटकारा पाने की चेष्टा करें। यह प्रक्रिया पूरी होने पर आंखों पर हाथ रखकर धीरे धीरे आंखे खोलें तथा धीरे धीरे बाईं करवट लेते हुए बैठ जाएं। इस प्रक्रिया से युवाओं को ना केवल तनाव से मुक्ति मिलेगी बल्कि शरीर का स्वास्थ्य के साथ साथ मन की एकाग्रता भी मिलेगी। नई ऊर्जा का संचार शरीर में होगा, जीवन में शक्ति का संचार होगा। तनाव से मुक्ति मिलेगी, अवसाद जीवन में कभी नहीं आएगा। रात में नींद अच्छी आयेगी।

योग निद्रा से युवा पीढ़ी अपने जीवन की ह्रास हुई ऊर्जा को हर रोज पुनः जागृत कर सकते है। हम योग निद्रा से सीधे सीधे पांच लाभ ले सकते है, जैसे;
1. मन का विचलन वा भटकाव दूर होगा।
2. शरीर वा मन को स्थिर कर ऊर्जावान बनने का अवसर मिलेगा।
3. मन को नियंत्रित करने में सहयोग मिलेगा।
4. जीवन में हर तरह से सजगता का अहसास होगा।
5. मन से पार जाने का रास्ता प्रशस्त होगा, जिससे युवा पीढ़ी शारीरिक सुख से ऊपर उठकर अपने वास्तविक लक्ष्य की प्राप्ति कर सकेगी।
   यही तो जीवन की सार्थकता है, जिसके लिए हम भटकते रहते है। आओ योग की ओर कदम बढ़ाए ताकि जीवन सजग बने।
जय हिंद, वंदे मातरम