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HARYANA NEWS, गांव पोहडक़ां के निर्मल धालीवाल पशु चारे के लिए कर रहे हर साल दो लाख क्विंटल पराली का प्रबंधन

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HARYANA NEWS, Nirmal Dhaliwal of village Pohadkan is managing two lakh quintals of straw every year for animal fodder
mahendra india news, new delhi

फसलों के मित्र कीट बचाने की सोच के साथ आगे बढने वाले गांव पोहडक़ां के निर्मल धालीवाल पराली प्रबंधन कर 40 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। निर्मल धालीवाल ने वर्ष 2018 में पराली से गांठे बनाने की शुरूआत की और अब करीबन आठ हजार एकड़ एरिया से पराली का प्रबंधन कर पशुचारे की किल्लत को दूर कर रहे हैं।

 

HARYANA NEWS, Nirmal Dhaliwal of village Pohadkan is managing two lakh quintals of straw every year for animal fodder
निर्मल सिंह के पास अब तीन बड़े राउंड बेलर है, जो एक दिन में ढाई सौ एकड़ भूमि से पराली उठाकर उसकी गांठे बनाते हैं। फिर इन गांठों को दोबारा से मशीनों में प्रोसेस किया जाता है ताकि उनकी और छोटी गांठे बन पाए और यहां पराली से तूड़ी बनाने का कार्य भी किया जाता है।

 HARYANA NEWS, Nirmal Dhaliwal of village Pohadkan is managing two lakh quintals of straw every year for animal fodder
42 वर्षीय निर्मल धालीवाल बताते हैं कि पराली का समुचित प्रयोग हो तो फसलों के मित्र कीट बचाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के अलावा काफी हद तक पशु चारे का प्रबंध हो सकता है। निर्मल सिंह पराली उठाने के बाद उसे प्रोसेस कर उसे गुजरात व राजस्थान की गौशालाओं को उपलब्ध करवाते हैं ताकि वहां गायों को पशुचारा उपलब्ध करवाया जा सके। वे स्वयं भी अपनी 20 एकड़ भूमि पर धान की बिजाई करते हैं और पराली प्रबंधन भी कर रहे हैं। निर्मल धालीवाल कई बार जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा सम्मानित भी हो चुके हैं।

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प्रदूषण रोकने की है सोच, हर साल बढ़ते गए कदम
निर्मल धालीवाल ने बताया कि आरंभ में उसने खेतों में अवशेष जलाने से मित्र कीट नष्ट होने का आभास हुआ, जिसके बाद सोचा कि पराली का प्रबंध करेंगे और इसे किसी और प्रयोग में ले लेंगे। इसी सोच के साथ वर्ष 2018 में एक बेलर खरीदा, जो एक दिन में 20 एकड़ से पराली उठा सकता था। अधिक संसाधन नहीं थे, धीरे-धीरे इस काम को आगे बढाते रहे और फिर बेलर की संख्या में बढती की और तूड़ी बना कर बेचना शुरू कर दिया। अब उनके पास सभी बड़ी मशीनें हैं, जो एक दिन में 250 एकड़ एरिया को कवर कर सकती है।

 

दो लाख क्विंटल पराली का करते हैं प्रबंधन, 40 लोगों को रोजगार
निर्मल धालीवाल ने बताया कि एक एकड़ से लगभग 25 क्विंटल तक पराली निकलती है और वे करीबन दो लाख क्विंटल पराली का प्रबंधन कर रहे हैं। इस पराली में कुछ की गांठे बनाते हैं तो शेष की तूड़ी बनाई जाती है। सालभर उनके यहां प्लांट में काम चलता रहता है और उन्होंने 40 लोगों को रोजगार दिया हुआ है। उन्होंने बताया कि राजस्थान के सांचौर के समीप पथमेड़ा गौशाला में ही करीबन एक लाख क्विंटल पराली से बनी तूड़ी की डिमांड रहती है। उन्होंने बताया कि वे गुजरात व राजस्थान की गौशालाओं को पराली की तूड़ी उपलब्ध करवाते हैं। उन्होंने कहा कि पावर प्लांट से भी पराली की डिमांड आती है, लेकिन वे उन्हें उपलब्ध नहीं करवाते है, क्योंकि उनका मकसद पशु चारे के प्रबंधन का है।