माता पिता या ग्रैंडपेरेंट्स अपने बच्चों के हर दिन के खाने पीने में नमक और चीनी को नियंत्रण करना होगा
mahendra india news, new delhi
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
हम अक्सर सुनते है कि किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य को ये थ्री व्हाइट यानी तीन श्वेत अस्वस्थ बना देते है, ये ना केवल हमारी हड्डियों को खोखला करते है बल्कि शरीर के भीतर सभी वाइटल्स को भी बीमार करते है। कहते है हमारा शरीर पंच महाभूतों से बना है, ऐसा हमारे शास्त्र वा ऋषि मुनि कहते है, क्योंकि उनका वैचारिक स्तर वर्तमान आमजन से लाखों गुना अधिक था, इसलिए लिए उन्होंने शरीर के निर्माण को भूमि तत्व, जल तत्व, अग्नि तत्व, आकाश तत्व और वायुतत्व से जोड़ा है, ये बात वर्तमान पीढ़ी को समझ में आनी आती है। इसका कारण केवल आधुनिकता नहीं है बल्कि इग्नोरेंस है, हम अपनी शारीरिक संरचना को समझने का प्रयास ही नहीं करते है, इन पांचों तत्वों को भी समझना नहीं चाहते है,
जबकि उम्रदराज लोगों ने अपनी सेहत को लेकर इन तीनों सफेद पदार्थ की वजह से बहुत कठिनाइयां झेली है फिर भी हम सतर्क नहीं है। तीन श्वेत पदार्थों जिनकी हम बात कर रहे है वो है मैदा, चीनी और नमक जिनका उपयोग स्वाद अनुसार नहीं बल्कि स्वास्थ्य अनुसार करना चाहिए। वर्तमान बाजारों में अगर आप आंखे खोलकर देखेंगे तो पाएंगे कि अधिकतर खाद्य पदार्थ नमक, चीनी और मैदा के मिश्रण से ही बन रहे है।
शहरी क्षेत्र में अधिकतर घरों में जो अगर हम आधुनिक युवा पीढ़ी की समझ के अनुसार समझे तो हमारा शरीर प्रोटीन, कैल्शियम,आयरन, विटामिन्स, कार्बोहाइड्रेट, वॉटर, जिंक, मिनरल्स, आदि पदार्थों से बने है और हमारे भीतर जो पाचन तंत्र है वो अग्नि से संचालित है, वायु से हमारा सारा नर्वस सिस्टम चलता है। है तो ये पंच महाभूत ही, जिनसे शरीर बना है, यही सब मिनरल्स पृथ्वी से ही तो मिलते है, यही तो समझने की जरूरत है। तीन सफेद पदार्थ जिनकी हम बात कर रहे है, उनमें अगर चीनी की बात करे तो इससे केवल कार्बोहाइड्रेट मिलता है, जिसकी अधिक मात्रा शरीर के लिए हानिकर है, नमक में सोडियम है जिसकी अधिक मात्रा हमारे रक्तचाप को बढ़ाता है
और हमारी हड्डियों के लिए घातक है, मैदा केवल जंक है जिससे पेट तो भर जाता है परंतु कोई फाइबर तथा पौष्टिक पदार्थ न होने के कारण शरीर को बीमार ही करती है। इन तीनों के मिश्रण से जो भी पदार्थ बनते है वो शरीर के लिए अत्यधिक घातक है क्योंकि अधिक नमक हमारे हार्ट वा रक्तचाप के लिए खतरनाक है, अधिक मीठा हमारी पाचन के लिए अधिक घातक है, मैदा से हमारा पाचनतंत्र विकृत हो जाता है, बीमार हो जाता है। जब पाचन ठीक नहीं, हमारी आंत स्वस्थ नहीं होगी तो पूरा शरीर बीमार होगा।
जितने भी प्रसाधन है उपयोग करते है वो आंत के खराबी के कारण ही तो है, क्योंकि डाइजेशन ठीक ना होने के कारण शरीर में रूखापन, बालों का रूखापन, पित्त का बढ़ना, वात के रोग,कफ के रोग शुरू होते है, रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है, फैटी लीवर की समस्या बनती है, इसी प्रकार बहुत सी बीमारियां शरीर को घेर लेती है और फिर शुरू होता है महंगे महंगे सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग जो हर घर से हजारों रुपए प्रति माह उड़ा देते है। अगर हम अपनी सभी बीमारियों के तल पर जाकर देखें तो ये तीनों पदार्थ ही जिम्मेदार मिलेंगे। हमारी चीनी नमक की खपत जरूरत से बहुत अधिक हो रही है। उदाहरण के तौर पर एक 250 एम एल की कोल्डड्रिंक्स की बोतल में तीस से पचास ग्राम तक चीनी होती है जो शरीर को बीमार बहुत बीमार करती है, अगर नमक की बात करे तो हमारे बच्चे चिप्स, कुरकुरे, नमकीन, पिज़ा बर्गर या नमक व चीनी से बनी हुए पदार्थ खाते है तो एक बार में एक महीने में जितना नमक खाया जाता है उतना हमारे बच्चे एक दिन में खाते है।
स्वाद अनुसार नमक सभी को बीमार कर रहा है, स्वाद अनुसार चीनी सभी को बीमार कर रही है, स्वाद अनुसार मैदा बीमारी को आमंत्रण दे रही है लेकिन हम बड़े होने के नाते कभी बच्चों के खाने पीने का ध्यान ही नहीं रखते है। हमे ये देखना होगा कि जो भी जंक फूड है उनके परिरक्षण के लिए जिन पदार्थों का उपयोग किया जाता है वो शरीर को अधिक बीमार करते है। छोटे बच्चों के पालन पौषण की जिम्मेदारी जिन महानुभावों के ऊपर है वो ही उन्हें लाड़ प्यार में अधिक नमक चीनी व मैदा परोस रहे है, वो ही उनकी आदत को बीमार करने वाली बना रहे है। आधुनिक युवा विद्यार्थियों में कोल्डड्रिंक्स तथा जंक फूड का बहुत खतरनाक कॉम्बिनेशन खाने की आदत बढ़ती जा रही है, व्यायाम की आदत को मोबाइल फोन ने ग्रहण लगा दिया है। आधुनिक पेरेंट्स के पास अपने बच्चों की तरफ ध्यान देने का समय ही नहीं है, उनके भोजन की क्या खाक देखभाल करेंगे। हम अपनी जिम्मेदारी से पला झाड़ते हुए कोविड जैसी त्रासदी को जिम्मेदार ठहरा देते है कि अगर युवाओं में हार्ट अटैक बढ़ रहे है तो कोविड के कारण हो रहा है। बाहरी वायरस किसी भी व्यक्ति को तभी अपनी गिरफ्त में लेते है जब हमारा शारीरिक इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इम्यून सिस्टम तभी क्षीण होता है जब हम अपने दोस्त बैक्टीरिया को भी मार देते है, और ये हमारे बड़े बुजुर्गो के अवहेलना के कारण हो रहा है। घर के बड़े बुजुर्गो को बहुत ही सरल भाव से अपने बच्चों, किशोरों तथा युवाओं के जीवन के मन को नियंत्रित करने का काम करना होगा, चाहे उनका भोजन हो, चाहे मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग हो, चाहे शराब के सेवन का आकर्षण हो, चाहे स्मोकिंग की आदत हो, चाहे हार्मोनल चेंज के कारण विपरीत सेक्स की ओर आकर्षण हो, सभी विषयों पर अपने जीवन के अनुभव को बच्चों के साथ साझा करने का समय जरूर निकालना चाहिए। अपने बच्चों के प्रतिदिन के खाने पीने के पदार्थों का आंकलन करने की जरूरत है कि बच्चों के फूड में नमक कितना है, मीठा कितना है, मैदा कितनी है। हम सभी को तीन कार्य करने हैं कि पहला हमारे बच्चे बिस्कुट ,नमकीन, रस, ठंडे पेय, डब्बों में बंद जूस, चिप्स, वा किसी भी प्रकार के जंक फूड का ध्यान रखें। दूसरा हमारे बच्चे घर में प्रॉपर नाश्ता, दोहपर का खाना तथा शाम का भोजन अपने परिवार के साथ बैठ कर करे, इसका ध्यान रखना है। तीसरा अपने बच्चों के भोजन में पौष्टिक पदार्थ है या नहीं, इसकी जानकारी सभी बच्चों को दी जानी चाहिए। अगर ऐसा हम अपने बच्चों को समझा पाएंगे, तो फिर हम अपने शास्त्रों में लिखे भोजन ग्रहण करने के नियमों का पालन किया जा सकेगा। हमारे बच्चों का भोजन देर रात ना किया जाए। यहां एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि इस राष्ट्र का एक एक बच्चा हमारे राष्ट्र की धरोहर है, वो एक परिवार के सदस्य के साथ साथ, समाज का महत्वपूर्ण अंग है, राष्ट्र को विकसित करने के लिए हर बच्चा, किशोर तथा युवाओं का स्वास्थ्य बेहतरीन होना चाहिए, इसका ध्यान मातापिता वा दादा दादी को रखना चाहिए।
