केएल थियेटर: भावी पीढ़ी में रंगमंच से ही कला के बीज अंकुरित किए जा सकते है: डा. ढींढसा

चौथे अनुभाव रंग महोत्सव के अंतर्गत चल रहे दस वर्ष दस नाटक कार्यक्रम संपन्न
 

mahendra india news, new delhi

हरियाणा के सिरसाा में KL थियेटर प्रोडक्शंस द्वारा इस वर्ष दस सालों का सफर पूरा होने की खुशी में हरियाणा कला परिषद, हिसार मंडल के संयुक्त संयोजन में चौथे अनुभाव रंग महोत्सव के अंतर्गत चल रहे दस वर्ष दस नाटक कार्यक्रम जेसीडी विद्यापीठ सिरसा के डा. एपीजे अब्दुल कलाम, सभागार में संपन्न हुआ। 

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इस कार्यक्रम में जननायक चौधरी देवीलाल विद्यापीठ सिरसा के महानिदेशक डा. कुलदीप ढींढसा ने बतौर मुख्यातिथि व कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव डा. सुधांशु गुप्ता ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में जेसीडी बीएड कॉलेज ऑफ एजुकेशन के प्राचार्य डा. जय प्रकाश और प्रख्यात साहित्यकार प्रो. आरपी सेठी कमाल मौजूद रहे। समापन दिवस मुख्य रूप से दो चरणों में विभाजित रहा। 

कार्यक्रम के पहले चरण में सुबह 10 बजे से 12 बजे तक इंटर स्कूल में गायन, नृत्य, रांगोली, चित्रकारी आदि प्रतियोगिताएं रही। जिसमें जिला भर के विभिन्न स्कूलों से छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में निर्णायक मंडल की भूमिका में ब्रह्मजीत सिंह कांग, अनिल शर्मा मौजूद रहे। 


इसी तरह कार्यक्रम के द्वितीय चरण की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके की गई। साथ ही केएल थियेटर प्रोडक्शंस के कलाकारों द्वारा पंजाबी व हिंदी गीतों की बेहतरीन प्रस्तुतियां दी गई। इसके उपरांत केएल थियेटर प्रोडक्शंस के कलाकरों द्वारा डा. पाली भूपिंदर द्वारा लिखित नाटक मिट्टी द बावा का मंचन किया गया, जिसका निर्देशन केएल थियेटर प्रोडक्शंस के निदेशक कर्ण लढा द्वारा किया गया। 

नाटक मिट्टी दा बावा जो हिंदुस्तान के बंटवारे की दास्तां को बयां करता एक मार्मिक और प्रत्येक इंसान की झकझोर कर रख देने वाला नाटक है। इस नाटक के दृश्यों के माध्यम से दिखाया गया कि सैंकड़ों वर्षों के बाद हमारी मातृभूमि भारत मां को अंग्रेजों से आजादी तो मिल गयी, लेकिन हिंदुस्तान को दो हिस्सों में बांट दिया गया, जो इस देश के इतिहास की बहुत दुखांत घटना है। इस बंटवारे के वक्त देशवासियों को न जाने कैसे-कैसे हालातों से गुजरना पड़ा, कितने ही लोग बेघर हुए। अपनों से बिछुड़े, कितनों को ही जान से हाथ धोना पड़ा। जिसकी भरपाई शायद कभी ना हो पायेगी। मौजूदा सभी दर्शकों ने नाटक के प्रत्येक किरदार के साथ-साथ नाटक की खूब सराहना की।

नाटक मंचन के उपरांत कार्यक्रम विशिष्ट अतिथि डा. JAI प्रकाश ने कहा कि नाटक निर्देशक कर्ण लढा ने नाटक मिट्टी दा बावा का बहुत ही शानदार निर्देशन किया है। नाटक के सभी कलाकरों ने बड़ी संजीदगी के साथ अपने अपने किरदार बखूबी निभाया। उनके बाद मुख्यातिथि डा. कुलदीप ढींढसा ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस तरह के संदेशात्मक नाटक आप विद्यापीठ में समय-समय पर करते रहें, ताकि विद्यार्थियों को इस तरह की बेहतरीन प्रस्तुतियों को देखने और उनसे सीखने का अवसर मिलता रहे और भावी पीढ़ी में रंगमंच कला के बीज को अंकुरित किया जा सके। क्योंकि रंगमंच ही एक ऐसा माध्यम है, जो विद्यार्थियों को उन्हें स्वयं की चरित्र भूमिका का बोध करवा कर उन्हें अपने लक्ष्य की ओर और अधिक अग्रसर करता है। साथ ही केएल थियेटर प्रोडक्शंस को दस साल का ये कलात्मक सफर पूरा करने पर बधाई दी। 


मुख्यातिथि ने अपनी ओर से एक साऊंड सिस्टम उपहार स्वरूप भेंट किया। इसके उपरांत KL थियेटर प्रोडक्शंस द्वारा कला साधक विभूति, प्रख्यात साहित्यकार प्रो. RP सेठी कमाल को अनुभाव रंग महोत्सव के श्रंग सम्मान से सम्मानित किया गया। साथ ही इस महोत्सव में हुई नृत्य, गायन, चित्रकला, रंगोली व थियेटर प्रतियोगिता