महापरिनिर्वाण दिवस पर मुख्य डेरा बाबा भूमणशाह में हुए अनेक धार्मिक आयोजन
Mahendra india news, new delhi
जीवन में सत्संग सुनने, गुरबाणी, श्रीमद्भागवत पढऩा सबसे कीमती समां होता है। सत्संग में आना ही बड़ी बात नहीं है, बल्कि सत्संग में ध्यान लगाकर उसे सुनना और सुनी हुई बातों पर अमल करके उसे अपने जीवन में धारण करना ही सत्संग का सबसे बड़ा फल है। यह विचार मुख्य डेरा बाबा भूमणशाह ग्राम बाबा भूमणशाह, संगर साधा, सिरसा के गद्दीनशीन संत बाबा ब्रह्मदास महाराज ने उदासीन संत बाबा भूमणशाह महाराज के 278वें महापरिनिर्वाण दिवस पर देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कहे।
प्रवचनों के दौरान बाबा ब्रह्मदास महाराज ने देशभर से अनेक साधु-संतों को पटका पहनाकर सम्मानित किया और इस धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए आभार व्यक्त किया। इस मौके पर बाबा ब्रह्मदास महाराज ने कहा कि कुछ लोग मोह माया के चक्कर में पडक़र परमात्मा को भूलते जा रहे हैंै। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कभी किसी चीज का अंहकार नहीं करना चाहिए। जो कुछ भी हमारे पास है, वो उस परमपिता परमात्मा का दिया हुआ है। जो मिला है, उसी में ही अपने आप को खुश रखना चाहिए।
उन्होंने युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अगर नशा करना ही है तो देशभक्ति का करें। युवा वर्ग में देश के प्रति जुनून होना चाहिए। अपने आप में अच्छे संस्कार पैदा करें। अपने माता-पिता, गुरुजनों व बहन-बेटियों का सदैव सम्मान करें। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अगर अपनी मानसिकता बदलनी है तो उसे संतों व गुरुओं की शरण में आना ही पड़ेगा।
बाबा ब्रह्मदास महाराज ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि अपने सामथ्र्य के अनुसार गौसेवा, किसी बेसहारा की मदद व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयास करें। इससे पूर्व सुबह अखंड पाठ का भोग डाला गया। सुबह से ही डेरा परिसर में श्रद्धालुओं की लाइनें दर्शनों के लिए लगी रही। श्रद्धालुओं के लिए डेरा प्रबंधन की ओर से दिनभर लंगर की सेवा चलती रही।
कार्यक्रम में अनेक धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने पहुंचकर बाबा ब्रह्मदास महाराज से आशीर्वाद लिया और प्रवचनों का श्रवण किया। डेरे के सेवक सचिव विनोद एडवोकेट ने जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के साथ-साथ सभी सेवादारों का महापरिनिर्वाण दिवस पर सहयोग करने के लिए आभार जताया।