सिरसा के सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में पहुंचे स्वामी अविमुक्तेस्वरानंद सरस्वती महाराज

बोले विद्यार्थी जीवन का एक-एक क्षण कीमती
 
 

mahendra india news, new delhi
स्वामी अविमुक्तेस्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि विद्यार्थियों को समय का सदुपयोग करना चाहिए। विद्या का समय ऐसा है, जो एक बार चला जाए तो फिर वापस लौट कर नहीं आता। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए बिना समय गंवाए ज्ञान-विज्ञान को समझ लेना चाहिए। जो विद्यार्थी समय की कीमत समझता है, समय उसकी कदर अवश्य करता है और जो समय की कदर नहीं करता, उसका जीवन व्यर्थ हो जाता है। स्वामी श्री 1008 ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री अविमुक्तेस्वरानंद सरस्वती महाराज श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में पहुंचे। उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों व गणमान्य लोगों से कही। 

श्री सनातन सभा के कार्यकारी अध्यक्ष नवीन केडिया ने 100 सालों से संचालित श्री सनातन धर्म सभा व महाविद्यालय का परिचय करवाया गया तथा पूर्व में आये हुए शंकराचार्य व संत महात्माओं के बारे में बताया। उन्होंने भगवान शंकराचार्य के जीवन काल का एक उदाहरण देते हुए बताया कि जब भगवान शंकराचार्य गुरुकुल में पढ़ रहे थे, उनकी प्रतिभा को देखते हुए वहां के प्रदेश के राजा ने उन्हें ससम्मान लाने के लिए अपने सहयोगियों को हाथी देकर भेजा। लेकिन भगवान शंकराचार्य ने उनके आमंत्रण को ठुकरा दिया। हालांकि उस समय उनकी अवस्था 5 वर्ष की थी। 


भगवान शंकराचार्य ने राजा के सहयोगियों से कहा कि वे राजा के इस भाव का सम्मान करते हैं, लेकिन में गुरुकुल से निकलकर नहीं आ सकता। सम्मान पाने के लिए मेरे पास पूरी जिंदगी है। विद्यार्थी सयम है और मेरा एक-एक क्षण कीमती है। श्री 1008 ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री अविमुक्तेस्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि विद्या प्राप्त करने वाले लोंगों का एक-एक क्षण कीमती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी जीवन में रोजाना दो श्लोक याद करने का नियम बना ले तो साल में हजारों श्लोकों का अध्ययन कर लेता है।


इस अवसर पर महाविद्यालय समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र बांसल, सनातन धर्म सभा के उप प्रधान रामावतार हिसारिया, प्रमोद मोहन गौतम, केके शर्मा, सचिव बजरंग पारीक, जयगोविंद गर्ग,  सनातन धर्म मंदिर के प्रधान अशोक तलवाडिय़ा, सह सचिव महेश भारती, अंजनी कनोडिया, हंसराज बिश्नोई, रामकुमार, ट्रैफिक पुलिस इंचार्ज धर्मचंद, प्राचार्य गणेश शंकर, आचार्य विक्रम शास्त्री, आचार्या पुष्पा, आचार्या पूर्वा शास्त्री, मोना, लिपिक आजाद शास्त्री, पुजारी हंसराज, सुरेंद्र, सेवादार नीरज, शिल्पा  सहित छात्र-छात्राएं एवं शहर के सभी गणमान्य व्यक्ति व मातृ शक्ति उपस्थित रहे।