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सिरसा जिला के गांव जमाल में फिल्म दादा लखमी चंद की शूटिंग की यादें हुईं ताज़ा, हरियाणा फिल्म नीति के तहत 'दादा लखमी चंदÓ को मिली 1 करोड़ की सब्सिडी, गांव जमाल में खुशी का माहौल

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Memories of the shooting of the film Dada Lakhmi Chand were refreshed in Jamal village of Sirsa district, 'Dada Lakhmi Chand' got a subsidy of 1 crore under Haryana Film Policy, there is an atmosphere of happiness in Jamal village
mahendra india news, new delhi

हरियाणा के गांव जमाल में मंगलवार का दिन बहुत ही खुशी का था। हरियाणवी संस्कृति और लोक संगीत के प्रतीक दादा लखमी चंद पर आधारित फिल्म 'दादा लखमी चंद' को हरियाणा सरकार द्वारा 1 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दिए जाने के बाद, गांव जमाल में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस फिल्म की कई महत्वपूर्ण दृश्य इसी गांव में शूट किए गए थे, और अब यह सम्मान मिलने से गांववासियों की पुरानी यादें ताज़ा हो गई हैं। गांव के राजेंद्र कस्वां, दिवान खां, बशीरद्दीन, संजय शर्मा,  भगत सिंह, जगसीर सहित बुजुर्गों और युवाओं ने बताया कि जब फिल्म की शूटिंग गांव में हो रही थी, तब पूरे इलाके में उत्सव जैसा माहौल था। फिल्म की टीम ने यहां की गलियों, चौपालों और खेतों में फिल्मांकन किया था। कई स्थानीय लोग भी एक्स्ट्रा कलाकारों के रूप में फिल्म का हिस्सा बने थे, 

Memories of the shooting of the film Dada Lakhmi Chand were refreshed in Jamal village of Sirsa district, 'Dada Lakhmi Chand' got a subsidy of 1 crore under Haryana Film Policy, there is an atmosphere of happiness in Jamal village


जिससे गांव को एक नई पहचान मिली। सरकारी सम्मान से गांववासियों को गर्व की अनुभूति हो रही है। गांव के कलाकार जगत परदेशी ने कहा, "यह सिर्फ फिल्म की नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और गांव की पहचान को सम्मान मिला है। सरकार द्वारा दी गई यह राशि हमारे लिए प्रेरणा है कि हम अपनी लोक कला को और आगे बढ़ाएं।" गांववासियों के अनुसार, जब फिल्म की शूटिंग जमाल में हुई थी, तो पूरा गांव उमंग से भर गया था। कई स्थानीय लोगों ने शूटिंग में भाग भी लिया था, जिससे गांव को फिल्मी दुनिया में पहचान मिली। अब जब सरकार ने फिल्म को सम्मानित किया है, तो जमाल के लोग एक बार फिर उन सुनहरी पलों को याद कर रहे हैं।

 

 Memories of the shooting of the film Dada Lakhmi Chand were refreshed in Jamal village of Sirsa district, 'Dada Lakhmi Chand' got a subsidy of 1 crore under Haryana Film Policy, there is an atmosphere of happiness in Jamal village

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 6 फिल्मों को सब्सिडी प्रदान की

हरियाणा सरकार द्वारा लागू की गई हरियाणा फिल्म नीति के तहत प्रदेश में फिल्मों के निर्माण को बढ़ावा देने और राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 6 फिल्मों को सब्सिडी प्रदान की है। इनमें लोकगाथा 'दादा लखमी चंदÓ को 1 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई है। इस घोषणा से गांव जमाल में हर्ष और गर्व का माहौल है, क्योंकि फिल्म के कई अहम दृश्य इसी गांव में फिल्माए गए थे। मुख्यमंत्री द्वारा सोमवार को आयोजित प्रोत्साहन वितरण समारोह में 'छलांगÓ, 'तेरा क्या होगा लवलीÓ, 'तेरी मेरी गल बन गईÓ और 'फुफड़ जीÓ जैसी फिल्मों को 2-2 करोड़ रुपये, और फिल्म '1600 मीटरÓ को 50 लाख 70 हजार रुपये की सब्सिडी दी गई। इस अवसर पर मीता वशिष्ठ, यशपाल शर्मा, एमी विर्क, नुसरत भरूचा जैसे नामचीन कलाकार भी उपस्थित रहे। सरकार अब पंचकूला और गुरुग्राम में दो चरणों में फिल्म सिटी विकसित करने जा रही है, जिससे हरियाणा में फिल्म निर्माण को और बढ़ावा मिलेगा। जमाल गांव के लोगों को उम्मीद है कि उनकी सांस्कृतिक धरोहर अब राष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक सराही जाएगी।

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जब जमाल में सूर्य कवि पंडित लखमीचंद के जीवन पर बनी फिल्म 'दादा लखमीचंदÓ, शूटिंग हुई तब गांव में था  उमंग का माहौल

राजस्थान की सीमा से सटे हरियाणा के ऐतिहासिक गांव जमाल में उन दिनों एक खास उत्साह का माहौल था ।  सूर्य कवि पंडित लखमीचंद के जीवन पर आधारित फिल्म 'दादा लखमीचंदÓ की शूटिंग हुई थी. इसकी शुरुआत 16  मई 2019 को हुई थी और 47 दिन तक चली थी । हरियाणवी संस्कृति को पर्दे पर उतारने की इस अनूठी पहल की कमान संभाली मशहूर अभिनेता और निर्देशक यशपाल शर्मा ने। यशपाल शर्मा न सिर्फ इस फिल्म के निर्देशक हैं, बल्कि वे जवानी के दौर के लखमीचंद की भूमिका भी निभाई। लखमीचंद के जीवन के तीन मुख्य पड़ाव — बचपन, किशोरावस्था और युवावस्था — को फिल्म में दर्शाया गया। फिल्म में लखमीचंद की मां का किरदार प्रसिद्ध अदाकारा मेघना मलिक निभाया था , वहीं बचपन और किशोरावस्था के किरदार योगेश वत्स और हितेश शर्मा ने निभाए। इस फिल्म की खास बात यह है कि इसमें पहली बार सिंक साउंड तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, जिससे संवाद अधिक वास्तविक लगते हैं। स्क्रिप्ट तैयार करने में हरियाणवी लेखक राजू मान और रोशन शर्मा ने तीन वर्षों तक गहन शोध किया। फिल्म का संगीत उत्तम सेन ने तैयार किया है। शूटिंग के लिए जमाल गांव को चुनने के पीछे इसका ऐतिहासिक महत्व है। यहां के करीब सौ साल पुराने मकान और पारंपरिक परिवेश फिल्म की पृष्ठभूमि के लिए उपयुक्त बताया। इस चयन में हरियाणवी कलाकार जगत परदेशी की अहम भूमिका रही, जिन्होंने यशपाल शर्मा को जमाल आमंत्रित किया था । फिल्म की शूटिंग जमाल, बकरियांवाली, नाथूसरी कलां, दादा लखमी के गांव जाटी (सोनीपत) और मालकौष व खरक कलां (भिवानी ) में हुई थी । शूटिंग में गांववालों का भरपूर सहयोग मिला । हरियाणवी फिल्म 'चंद्रावलÓ के बाद 'दादा लखमीचंदÓ को हरियाणवी सिनेमा में एक नया मील का पत्थर माना जा रहा है, जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान देगा।