सेहत अच्छी रखने के लिए ये तरीका अपना लो, कभी बीमार नहीं पड़ोगे
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
आज भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो गया है। जब से ब्रेकफास्ट, लंच वा डिनर की अवधारणा आई है, हमे भूख लगनी ही बंद हो गई। हर घंटे पानी पीने की सोच ने तो प्यास लगने पर जो आनंद जल के सेवन में आता था, वो भी अब तो कोषों दूर चला गया है। वर्तमान समय में तो खाने के लिए भूख नहीं अर्थात शरीर की जठराग्नि नहीं, समय देखा जाता है। जब से हमारी भारतीय संस्कृति में दिन में तीन समय ठूस ठूस कर खाने का चलन आया है लोग बीमार होना शुरू हो गए है। आजकल मैं जो महसूस करता हूं कि कभी भूख का अहसास या प्यास की तीव्रता लगती नहीं है, बिना शरीर के मांगे हम उसमें भोजन डालते है, बिना पानी की इच्छा के हम उसमें पानी डालते है।
आजकल हर व्यक्तिचिकित्सक बन कर घूम रहा है। कुछ महानुभाव तो ऐसे है कि हर घंटे शरीर में पानी डालने का कार्य करते है। हमारी संस्कृति में दो ही समय के खाने को उचित माना गया है। सुबह के समय अधिकतर लोग हल्का भोजन करते थे और वो भी रात का बचा हुआ, उसमें दलिया, बासी रोटी मखन के साथ, या फिर लस्सी दही के साथ या फिर लोग दूध का सेवन करते थे, या अदबीली लस्सी का सेवन भी युवाओं द्वारा किया जाता था। दोपहर का भोजन तथा शाम को ही खाना खाते थे।
इसके अलावा कुछ लोग सुबह देर से भोजन करते थे फिर शाम को भोजन करते थे। चाय का भी ग्रामीण क्षेत्र में अधिक चलन नहीं था, अधिकतर घरों में केवल दो समय ही चाय बनती थी, वो भी गुड की चाय बनती थी, उसमे एक तो प्रात: तथा दूसरी दोपहर बाद तीन वा चार बजे के बीच में बनती थी। लोग चाय का सेवन भी छोटे कप में नहीं करते थे उसके लिए भी मग या प्याले का उपयोग किया जाता था। खैर मैं यहां भूख की बात कर रहा हूं, आप भी शायद महसूस करते होंगे कि आजकल भूख से पहले ही कुछ खा लिया जाता है। मै यहां सभी से दो प्रश्न करना चाहता हूँ कि पहला, आपको बहुत तेज भूख कितने दिन पहले लगी थी? दूसरा प्रश्न यह कि आपको बहुत तेज प्यास कितने दिन पहले महसूस हुई थी,
जिसके कारण आपकी जान निकल रही हो। इसका जबाव मुझे पता है कि अधिकतर महानुभाव यही कहेंगे कि ध्यान नहीं, कब भूख लगी थी और कब प्यास लगी थी? ऐसा क्यों है, यह जानने का ना तो हम प्रयास करते है और ना ही हमारे पास ऐसे कार्यों के लिए समय ही है। मेरा ऐसा मत है कि बिना भूख के भोजन करना हानिकर है,बिना प्यास के पानी पीना नुकसान दायक है, शरीर के आंतरिक अंगों पर अत्यधिक भार डालना भी तो सेहत के लिए खराब ही है। इसे हम सब को समझना होगा। समय से भूख प्यास का कोई लेना देना नहीं हैं। ये तीन समय भोजन का कांसेप्ट विदेशों से आया है। मै आपको बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य कम खाने से नहीं बिगड़ता है,
यह सदैव अधिक खाने से ही बिगड़ता है। जीवन खाने के लिए नहीं है, भोजन केवल शरीर को चलाने के लिए किया जाता हैं। आप खुद ही विचार करों कि बिना जरूरत के ही अगर हम शरीर में कुछ भी डालेंगे तो वो स्वास्थ्य को बिगाड़ने का ही तो काम करेगा। जरूरत से अधिक भोजन, जरूरत से अधिक पानी, जरूरत से अधिक मीठा, जरूरत से अधिक नमक, जरूरत से अधिक कोई भी पदार्थ खाने से शरीर बीमार पड़ जाता हैं, इसका कारण केवल यही है कि शारीरिक सिस्टम को अधिक लोड नहीं देना चाहिए, भोजन के पाचन में भी तो ऊर्जा व्यय होती है। ये तो हम सभी जानते जीवन के लिए कोई सेट कोड नहीं है, भले ही हमारी शारीरिक संरचनाएं एक जैसी दिखती है लेकिन सभी की तासीर अलग अलग है, हम सभी के शरीर में वात पित कफ की मात्रा अलग अलग है, हमारी शारीरिक मांग भी अलग है। फिर हम सभी के लिए एक जैसा सिद्धांत कैसे लागू कर देते है। अगर हमे समय के अनुसार ही भोजन करना हैं तो फिर भूख लगने तथा प्यास की तीव्रता का क्या अर्थ निकलता है? हमारे शरीर के अलग अलग लक्षण है जो हमे बताते है कि हमे किस पदार्थ की जरूरत है। भूख भी एक लक्षण है, प्यास भी एक लक्षण है, जिसे हम सभी को फॉलो करना चाहिए। बगैर भूख लगे ही भोजन करेंगे तो शरीर बीमार होगा, बिना प्यास के ही पागलों की तरह हर घंटे पानी पियेंगे तो बीमार होंगे ही।
साथियों मै बहुत ही जागरूकता के साथ कहना चाहता हूं कि जिस प्रकार बुखार , बीमारी होने का लक्षण होता है, या घाव न भरना भी किसी बीमारी का लक्षण होता है, या सर में दर्द होना , पेट में दर्द होना, या किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति शरीर के स्वस्थ ना होने के लक्षण माने जाते है उसी प्रकार कुछ स्वस्थ लक्षण भी होते है, जैसे भूख तथा प्यास। मेरा ऐसा मानना है कि हमे अपने शरीर में दिख रहे अन्य लक्षणों को भी बड़ी गंभीरता से विचारना चाहिए, जिससे कि हम समय रहते ही, समस्याओं का समाधान कर सकें। मै अब यही कहना चाहता हूँ कि भरपूर खाना खाइए, खूब पानी पीजिए, लेकिन जब खूब भूख लगे और प्यास लगे तब ही भोजन वा पानी का आनंद लीजिए।
जय हिंद, वंदे मातरम