बड़ी खबर: पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा

पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा
आतंकियों के पास ्र एके-47, एम 4 राइफल्स थीं
एनआईए को ्र एके-47 और एम 4 राइफल्स के कारतूस मिले
जंगलों में 22 घंटे पैदल चलकर बैसरन पहुंचे थे आतंकी
हमले में 3 पाकिस्तानी, 1 स्थानीय आतंकी शामिल था
हमले के दौरान आतंकियों ने 2 मोबाइल छीने थे
आतंकी ने एक पर्यटक, एक स्थानीय के मोबाइल छीने थे-सूत्र
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दिल्ली रक्षा मामलों की स्थाई समिति की आज बैठक
दोपहर 3:00 बजे संसद भवन में होगी बैठक
केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह करेंगे बैठक की अध्यक्षता
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ा खुलासा
पहलगाम में चीनी सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल - सूत्र
हमले के दिन बैसरन घाटी में एक्टिव थे सेटेलाइट फोन - सूत्र
भारत में तस्करी कर ले गए थे सैटलाइट फोन - सूत्र
सेटेलाइट फोन को लेकर एजेंसी क ी जांच तेज
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हरियाणा प्रदेश को सिंधु जल समझौता रद होने से मिलेया बड़ा फायदा, इस नदी में आएगा सतलुज का पानी;
22 अप्रैल का दिन हमेशा दुख दर्द के लिए याद रहेगा। पहलगाव में आंतकी हमला किया गया। इसमें 26 भारत और विदेशी पर्यटकों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने कड़ा रूख अपनाया। इंडिया ने पाक के साथ 65 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। इसका कारण पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बताया गया है।
सिंधु जल समझौते को रद करते हुए भारत द्वारा पाक का पानी बंद करने के निर्णय के बाद सतलुज, रावी, ब्यास, सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी हरियाणा लाने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला और नाहन के रास्ते इस पानी को हरियाणा के यमुनानगर से आरंभ होकर बहने वाली सरस्वती नदी में लेकर आने की स्कीम बनाई जा रही है। इसमें शुरूआत के अंदर 50 से 100 क्यूसिक तक पानी लाने की उम्मीद तलाश की जा रही है। इसके बाद तो परियोजना सिरे चढ़ी तो पानी की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जा सकती है।
इससे हरियाणा को अपेक्षित पानी मिलेगा और उसे अपने हिस्से के सतलुज के पानी के लिए पंजाब की तरफ भी नहीं देखना पड़ेगा। आपको बता दें कि सिंधु जल समझौते के अनुसार 3 पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण इंडिया तथा 3 पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाक के पास है।
धार्मिक महत्व के साथ किसानों को होगा फायदा
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार के सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने यह पानी सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री तक पहुंचाने के लिए इसरो व रिमोट सेंसिंग के अधिकारियों के साथ आज यानि 28 अप्रैल को जयपुर में मीटिंग की जा रही है। जयपुर स्थित बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में यह मीटिंग है।
यमुनानगर के आदिबद्री से लेकर बिलासपुर, हरियाणा प्रदेश में कुरुक्षेत्र, कैथल, पंजाब का 9 किलोमीटर का एरिया, फतेहाबाद और सिरसा को होते हुए ओटू झील कर करीबन 400 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सरस्वती नदी में पानी बह रहा है।
हालांकि इस पानी का बहाव काफी कम है, लेकिन सतलुज समेत बाकी सभी नदियों का पानी विभिन्न स्रोत के माध्यम से जब सरस्वती में पहुंचाने में कामयाबी मिलेगी तो पानी का बहाव बढ़ेगा। इससे न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि सरस्वती नदी की धार्मिक महत्ता भी बढ़ेगी।