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किसान धान की फसल से होंगे मालामाल, बैंगनी चावल की किस्म तैयार, प्रति हेक्टेयर इतना होगा उत्पादन

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किसान धान की फसल से होंगे मालामाल, बैंगनी चावल की किस्म तैयार, प्रति हेक्टेयर इतना होगा उत्पादन
mahendra india news, new delhi

किसान धान की खेती कर रहे हैं। उनके लिए गुड न्यूज है। किसानों को बता दें कि असम कृषि विश्वविद्यालय ने उच्च उपज वाली बैंगनी चावल की किस्म तैयार की है। विश्वविद्यालय के द्वारा 'लाबन्याÓ विकसित की है. इसे पौध किस्मों और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण् के तहत पंजीकरण किया गया है.

इस संदर्भ में असम कृषि विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी रंजीत कुमार होउत ने बताया कि चावल की किश्म 'लाबन्या में पारंपरिक काले चावल के समृद्ध पोषण गुण हैं, इसी के साथ साथ ही दैनिक उपभोग और व्यावसायिक खेती दोनों के लिए अनुकूल और सुविधाजनक भी है। विश्वविद्यालय को यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि 'लाबन्या को हाल ही में पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण के तहत पंजीकृत किया गया है. यह एएयू के वैज्ञानिकों के लिए एक मोटी उपलब्धि है.

विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी रंजीत कुमार होउत ने आगे ये भी बताया कि एएयू के कुलपति कार्यालय के एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा औपचारिक पंजीकरण और अधिसूचना से पहले ही इस किस्म को व्यावसायीकरण के लिए आधिकारिक तौर पर पेश कर दिया गया था, ताकि इसकी व्यावसायिक क्षमता का लाभ उठाया जा सके.

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ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध
जनसंपर्क अधिकारी रंजीत कुमार होउत ने बताया कि 'लाबान्याÓ को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पेश किया गया और एक स्थानीय उद्यमी को विशेष वाणिज्यिक अधिकार प्रदान किए गए. यह किस्म 18 से ज्यादा राज्यों में बेची जा चुकी है और 30 प्रतिशत से अधिक खरीदार बार-बार आने वाले उपभोक्ता हैं, जो मजबूत बाजार मांग और उपभोक्ता संतुष्टि को दर्शाता है.

प्रति हेक्टेयर 4.5-5 टन उत्पादन क्षमता
जनसंपर्क अधिकारी रंजीत कुमार होउत ने कहा कि इस चावल की मुख्य विशेषता यह है कि इसकी उपज क्षमता 4.5-5 टन प्रति हेक्टेयर है. 'लाबान्याÓ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसके दाने सुगंधित होते हैं और इसे पकाना भी आसान होता है, जिससे यह नियमित आहार के लिए आदर्श है.

एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर
जनसंपर्क अधिकारी रंजीत कुमार होउत ने बताया कि इसमें चावल की प्राप्ति दर (60 फीसद) अधिक होती है और एमाइलोज की मात्रा (18 प्रतिशत) ज्यादा होती है, जिससे इसकी पिसाई और खाने की गुणवत्ता बेहतर होती है. यह एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनोइड, जरूरी अमीनो एसिड और खनिजों से भी भरपूर है. जनसंपर्क अधिकारी रंजीत कुमार होउत कुमार ने कहा कि इसके अलावा, 'लाबान्याÓ बेकरी उत्पादों, पारंपरिक व्यंजनों और ग्लूटेन-मुक्त आटे सहित कई तरह के मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है.