खानपान हुआ जहर, मार्केट में बिक रही जहरीली चीजों से बचे, रहना है स्वस्थ तो सीधा किसानों से खरीदें दूध, अनाज समेत सारी वस्तुएं
आज के समय में अपनी सेहत का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी हो गया है। इसके लिए सबसे जरूरी है खानपान, जी ये वास्तम में ही सही है। वैसे तो इस विषय को बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था, लेकिन ये मुद्दा फिसलता गया। आम व्यक्ति तथा किसान वर्ग दोनो ही एक दूसरे के पूरक होने के बावजूद भी संपर्क नही साध पाए। मार्किट में 400 , 500 रुपए किलो देशी घी बेचा जा रहा है, और हम उसे असली समझकर खा रहे है।
खाने पीने की अन्य चीजे भी जैसे मशाले, चीनी वा नमक के सैंपल में पाए जाने वाले प्लास्टिक के कणों से लगता है कि किसी व्यक्ति को खाने पीने की चीजों में शुद्धता के लिए अपनी अवधारणा बदलनी पड़ेगी। बाजार में जो खाद्य पदार्थ किसानों के घर से आता है, वो निश्चित तौर पर एक दम 100 फीसद शुद्ध होता हैं।
यही पदार्थ चाहे वो दूध हो, घी, दही, आटा हो, मसाले हो, या फिर चीनी हो , नमक हो, दालें हो, तेल हो, या फिर मावा हो। और जो किसान के घर से नही आते है, वो मिलावटी बन कर आते है। ऐसे कितने ही धूर्त लोग है जो अपने घर में बैठ कर, नकली घी बनाते है, नकली दूध बनाते है, मसालों में मिलावट कर बेचे जाते है।
बहुत सी खाने पीने की चीजों को मिलावट करके बेचते है, वो लोग दो तरह से भारत को नुकसान पहुंचा रहे है लेकिन कोई सुधरने के लिए तैयार नहीं है। इन दो तरीकों में पहला ऐसे लोग नकली सामान बेचकर देशवासियों की सेहत को खराब करने का कार्य कर रहें है, दूसरा इससे भी बड़ी बात यह है कि वो लोग हमारे भारत के किसानों को भी बहुत बड़ा चुना लगा रहे हैं।
एक तरफ देश डायबिटीज की राजधानी बनता जा रहा है, दूसरी तरफ देश में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, किडनी के रोग बढ़ते जा रहे है, नकली घी तथा नकली दूध का सेवन करते है। जो लोग नकली घी तथा नकली दूध मावा बेचते है, तो क्यों नही ऐसे लोगों को फांसी की सजा दी जाती हैं। मैं आज बहुत ही ईमानदारी के साथ विमर्श करना चाहता हूं कि देश के हर नागरिक के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए ऐसी नकली खपत को रोकना ही पड़ेगा।
आपको बता दें कि यहां एक ही रास्ता है जिससे हम देश में बन रही नकली खाद्य पदार्थों को रोक सकें, इसके लिए हम सभी को एक नागरिक होने के नाते "हमारा पारिवारिक किसान" की अवधारणा शुरू करनी पड़ेगी। इसमें जैसे हम रोगी होने पर अपनी पसंद के डॉक्टर के पास जाते है और ऐसा सदैव के लिए कर लेते है कि जब भी हमारे परिवार में कोई रोग ग्रस्त हो तो उसी चिकित्सक से सलाह लें, उसी से दवाई लेने, उसी को अपने रोगी को दिखाने का कार्य करते हैं। लेकिन मुझे आश्चर्य होता है कि बीमार होने पर, हम डॉक्टर के पास तो खुश होकर चले जाते है।
परंतु हम सभी इस बात पर विचार नहीं करते है कि हमारा खानपान ऐसा हो , कि हम बीमार ही ना हो, हमारी जीवन शैली निरोगी हो, हमारा भोजन स्वास्थ्य वर्धक हो, हमारा भोजन हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले हो। क्योंकि जब हमारा भोजन उचित नहीं होता है तो हम बीमार पड़ते है, जब हम मिलावटी खाना खाते है तो भी हम बीमार पड़ते है। इससे निपटने के लिए हमे शुद्ध खानपान रखना होगा।
इसका केवल एक ही रास्ता बचता है कि हम अपने लिए एक एक फैमिली किसान तय करें, वही से सभी खाने पीने की चीजे खरीदें। अगर आपका पारिवारिक किसान दूध का उत्पादन नही करता है तो उसे दूध उत्पादन के लिए आर्थिक सहयोग करे, जिससे हमे शुद्ध दूध, शुद्ध घी, शुद्ध सब्जियां , शुद्ध आटा, तथा शुद्ध दाल मिल सकें। हर नागरिक को अपने लिए, अपने परिवार के लिए , उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखने के लिए शुद्ध खानपान का उपयोग करना चाहिए।
इसके लिए हमें एक एक किसान को अपनाना चाहिए। अगर किसी एक किसान के पास खाने पीने के सभी खाद्य पदार्थ का उत्पादन नही होता है तो एक की बजाय दो किसानों परिवारों को अपने साथ जोड़ने का कार्य करों। अगर दो के पास भी सभी खाद्य पदार्थो का उत्पादन नही है तो तीन किसानों को अपने परिवार के साथ जोड़ो तथा उन किसान परिवारों के साथ पारिवारिक रिश्ते बनाने की कौशिश करनी चाहिए।
हम बहुत ही खुशी से गौरवान्वित होकर कह देते है कि फलां चिकित्सक, हमारा फैमिली डॉक्टर है, हम उन्ही से इलाज कराते हैं। परंतु जो सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ है जो हमारे स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालती है, जो हमे सदैव सेहतमंद रख सकते है, उस पर ध्यान ही नही देते हैं। अरे भाई बहनों, अगर आपका भोजन शुद्ध हो गया, तो चिकित्सक की तो आपको जरूरत ही नही पड़ेगी।
अगर हम अपने भोजन, जिसमे विरुद्ध आहार न हो, मिलावटी आहार ना हो, जिसमें पेस्टीसाइड ना हो, जो केमिकल से ना पकाया गया हो, अनाज जो प्राकृतिक खेती से पैदा किया हुआ हो, अगर ऐसी सभी चीजे खाने को मिल जाए तो हम बीमार ही नही पड़ेंगे। इसलिए मैं इस लेख के माध्यम से सभी से विनम्र प्रार्थना करता हूं कि हम सभी अपने अपने फैमिली फार्मर का चयन करें, उन्ही के द्वारा उत्पादित खाद्य पदार्थ ही खरीदे तथा खाए पिए।
इससे हम अपने भारत के किसान वर्ग को सशक्त बनाएंगे। सीधा किसानों से जुड़े और सीधा उन्ही से गेंहू खरीदे, दूध खरीदें, घी भी उनसे बनवाएं और खरीदे, चावल खरीदे, सब्जियां तथा फल आदि भी उन्ही से खरीदें।
तीज त्यौहार पर मिठाइयां भी उन्ही से बनवाएं, जिससे हमे शुद्ध पदार्थ मिल सके और किसान भाईयों को उनके उत्पादन का सही दाम मिल सकें। इससे हमारी किसान फैमिली चेन आगे से आगे बढ़ाने में हमे सहयोग मिलेगा। हमे "कनेक्ट योर फैमिली फार्मर कार्यक्रम" चलाने की जरूरत हैं। आओ मिलकर ये पुण्य का कार्य करें, जिससे किसानों के साथ साथ सभी का भला हो सकें और भारत के सभी नागरिक स्वस्थ बनें।
जय हिंद, वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवार्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर