home page

संत-महापुरुष हमेशा समाज कल्याण की बात करते हैं: पूनम भारती

 | 
Important events, people born, important occasions and festivals of 28 December

mahendra india news, new delhi
 दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के बड़ागुढ़ा रोड, साहुवाला स्थित आश्रम में भंडारे का आयोजन किया गया। जिस में आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी पूनम भारती ने संगत को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संत-महापुरुष हमेशा समाज कल्याण की बात करते हैं। उनका हर कदम हमारे लिए प्रकाश पुंज हुआ करता है।

आज चार साहिबजादों का शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। शहादत शब्द फारसी भाषा से निकला हुआ है, जिसका अर्थ है सच की गवाही, जो इंसान असूलों की सच्चाई के लिए अपने आप को कुर्बान कर देता है, उसको ही शहीद कहा जाता है। हमारे आगे एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा है कि हम लोगों के लिए सत्य के लिए हमारे जीवन रक्षा के लिए उन बच्चों ने शहीदियां दी, क्या हम उनकी शहीदों को आज याद रख पा रहे हैं। कहीं हम भूल तो नहीं गए। उन्होंने हमें सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

अपने आप से हम प्रश्न करें क्या हम सत्य की खोज कर रहे हैं। अपने जीवन को उसे प्रभु की और अगर कर कर रहे हैं। अपने जीवन की यात्रा प्रभु रूपी सागर के अंदर मिलने का हम प्रयास कर रहे हैं। अगर हम आज समाज की ओर नजर दौड़ाएं तो देखेंगे कि मानव इंसान आज बाहरी दूर-दूर की ओर बेइंतहा दौड़ रहा है, मगर अंदर की यात्रा ठहर सी गई है। वह अपनी मंजिल की ओर न जाकर बाहर की सुख सुविधाओं, माया के अंदर फंस चुका है, उसे नहीं पता कि ईश्वर ने हमें 84 लाख योनियों के बाद यह मानव तन प्रदान किया है। मनुष्य जन्म 84 लाख योनियों के बाद प्राप्त हुआ है।

WhatsApp Group Join Now

परंतु मेरा-मेरा के भ्रम में फंसकर इंसान यह भूल चुका है कि इस अनमोल जीवन को सार्थक कैसे बनाना है। साध्वी जी ने समझाया कि इंसान अपने आप को भूल चुका है, लेकिन प्रश्न यह है कि सही कर्म कौन-सा है? हमारे महापुरुष बताते हैं कि वही कर्म वही सच्चा है, जो परमात्मा की प्राप्ति की ओर ले जाए। इस कर्म के लिए इंसान को एक पूर्ण गुरु की आवश्यकता होती है। संत-महापुरुषों का जीवन संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए होता है। जैसे सूर्य बिना किसी भेदभाव के सबको समान प्रकाश देता है,

उसी प्रकार महापुरुष भी सभी पर समान रूप से अपनी कृपा बरसाते हैं। पर कमी इंसान में रह जाती है कि वह उस कृपा को स्वीकार नहीं करता। आगे साध्वी जी ने कहा कि यह शरीर एक पिंजरे के समान है, जिसमें आत्मा रूपी पक्षी निवास करता है। जैसे पिंजरा टूटने पर पक्षी उड़ जाता है, उसी प्रकार मृत्यु के समय आत्मा शरीर को छोड़ देती है।

मनुष्य के सारे भ्रम इसी ग़लत धारणा से जन्म लेते हैं कि वह स्वयं को केवल शरीर समझता है। यदि हम इस मानव शरीर का वास्तविक सम्मान करना चाहते हैं तो हमें परमात्मा को पाना होगा, जो इस जीवन का परम लक्ष्य है। लेकिन दुख की बात यह है कि इंसान मोह-माया में फंसकर अनेकों अवसर गंवा चुका है। केवल गुरु ही वह मार्ग दिखाते है, जो इंसान को माया के बंधन से मुक्त कर सच्चे सुख की ओर ले जाता है। गुरु की कृपा से ही इंसान मोह-माया की गहरी नींद से जागता है और खोई हुई भक्ति को पुन: प्राप्त करता है। इस प्रकार संसार में रहते हुए भी वह अपने लक्ष्य को पूरा कर परमात्मा में एकाकार हो जाता है।