गांव निर्बाण के लालचंद भांभू के हुए थे 38 वर्ष की सेवा में 34 तबादले, अब इसलिए चर्चा में
नाथूसरी चौपटा क्षेत्र के गांव निर्बाण निवासी लालचंद एक बार फिर चर्चा में है। 38 वर्ष की सेवा में 34 तबादले होने के बाद भी कभी हिम्ममत नहीं हारने वाले, आज हमारे बीच में नहीं है। जी हां आज इसलिए ही चर्चा में है। बता दें कि
हरियाणा मार्केट कमेटियों में चार दशक से अधिक समय तक सेवाएं देकर अपनी ईमानदारी, कार्यकुशलता और सिद्धांतों के लिए पहचाने जाने वाले 85 साल के चौधरी लालचंद भाम्भू का 29 नवंबर को निधन हो गया।
आपको बता दें कि चौधरी लालचंद भाम्भू का जन्म 10 अक्टूबर 1941 को गांव निर्बान में किसान चौधरी लख्मीचंद भाम्भू के घर हुआ था। वे वरिष्ठ पत्रकार यश भाम्भू के ताऊ थे। प्रारंभिक शिक्षा ननिहाल नाथूसरी कलां में प्राप्त की। वर्ष 1966 में ग्वालियर (मध्य प्रदेश) से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की।
नौकरी की शुरुआत और प्रमोशन
वर्ष 1967 में उन्होंने हरियाणा सरकार में ऑक्सन रिकॉर्डर के रूप में नौकरी ज्वॉइन की।
1970 में पदोन्नति के बाद वे मंडी डबवाली में सुपरवाइजर बने।
1973 में हेड क्लर्क, मार्केट कमेटी हिसार में पदभार ग्रहण किया। लगभग 15 वर्षों तक हेड क्लर्क पद पर सेवाएं देने के बाद 1988 में उनका चयन असिस्टेंट सेक्रेटरी पद पर हुआ, जिसके बाद उन्होंने फतेहाबाद मार्केट कमेटी में ज्वॉइन किया।
1989 में वे मंडी आदमपुर में असिस्टेंट सेक्रेटरी रहते हुए सेक्रेटरी का चार्ज भी संभाला।
1994 में उन्हें सेक्रेटरी-कम-एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के रूप में भट्टू कलां मंडी में पदस्थ किया गया।
अपने लंबे सेवाकाल के दौरान वे भट्टू कलां, आदमपुर, ढांड, कलायत, कनीना, कालांवाली, पटौदी, बहादुरगढ़, फरीदाबाद, रोहतक, जींद, पलवल, समालखा, हांसी, डिंग, टोहाना, उकलाना, रतिया, धारसूल, भिवानी, ऐलनाबाद, डबवाली और सिरसा मंडी में जिम्मेदार पदों पर रहे। वर्ष 2005 के अक्टूबर माह में वे सेवानिवृत्त हुए।
ईमानदारी और सेवा का अनूठा रिकॉर्ड
चौधरी लालचंद भाम्भू को उनके साथियों और किसानों द्वारा एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय अधिकारी के रूप में याद किया जाता है।
38 वर्ष की सेवा में 34 तबादले — फिर भी बेदाग छवि
जहां भी रहे, मंडी का राजस्व बढ़ाया, किसी भी मंडी को घाटे में नहीं जाने दिया
किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी, खासकर फसल बिक्री के दौरान आने वाली दिक्कतों को समर्पण से हल किया किसी भी राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव में न झुकने वाले अधिकारी के रूप में उनकी विशेष पहचान रही
समाजसेवा में सदैव सक्रिय
सरकारी सेवाओं के साथ-साथ वे समाजसेवा से भी गहरा जुड़ाव रखते थे।
विभिन्न गौशालाओं में सेवा करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था
गरीब परिवारों के प्रति वे बेहद संवेदनशील—भाई-भतीजावाद से दूर रहकर गरीब घरों के युवाओं को चौथी श्रेणी की नौकरी दिलवाई
कई युवाओं की नियमित नियुक्ति के लिए स्वयं पैरवी भी की
गांव में गरीबों और किसानों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहे
परिवार में शोक की लहर
वे परिवार में सबसे बड़े थे।
उनके तीन छोटे भाई — स्व. केहर सिंह, स्व. मदन लाल और पूर्व सरपंच संतलाल भाम्भू हैं।
उनके दो पुत्र — रिटायर्ड स्ष्ठह्र सुभाष भाम्भू तथा विनोद भाम्भू, और एक पुत्री है।
रस्म पगड़ी
चौधरी लालचंद भाम्भू की रस्म पगड़ी 10 दिसंबर 2025 को गांव निर्बान में आयोजित की जाएगी।
