राजनीतिक क्षेत्र में नैतिकता, शुचिता, गरिमा और मर्यादा के पक्षधर थे स्व. वाजपेयी: रातुसरिया
Mahendra india news, new delhi
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 दिसंबर सुशासन दिवस) पर उन्हें याद करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता प्रदीप रातुसरिया ने कहा कि अटल जी राजनैतिक क्षेत्र में नैतिकता, शुचिता, गरिमा और मर्यादा के पक्षधर थे। जनसंघ से चुनकर संसद पहुंचने वाले वे सबसे कम उम्र के युवा सांसद थे।
अपनी प्रतिभा, शालीनता तथा वक्तृत्व शैली से उन्होंने संसद में अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से देश के चारों कोनों को आपस में जोडक़र प्रमुख औद्योगिक, कृषि, रक्षा, पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक केन्द्रों को संसाधन उपलब्ध कराया। अटल जी के जीवन की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में हुई और कालांतर में लेखक, कवि एवं साहित्यकार के रूप में वे ख्याति अर्जित करते गये।
जनसंघ के संस्थापक सदस्य, कई बार सांसद, विदेश मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा संसदीय दल के नेता, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। तत्पश्चात् 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी सच्चे अर्थों में साधुमना जननेता थे। इतने बड़े-बड़े पदों को सुशोभित करने के बावजूद उन्होंने अहंकार को अपने पास फटकने नहीं दिया। पद का मद कभी उनके सिर पर सवार नहीं हो पाया। राजनीति की काजल-कोठरी में अटल जी पर एक भी दाग उनके सम्पूर्ण जीवन में नहीं लगा।
रातुसरिया ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और असाधारण लेखक थे, जिन्होंने भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। एक बार अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा था कि एक दिन आप एक पूर्व प्रधानमंत्री बन सकते हैं, लेकिन आप कभी पूर्व कवि नहीं बन सकेंगे। रातुसरिया ने कहा कि अटल जी ने पारदर्शी, जबावदेह, जनहितैषी शासन व्यवस्था की आधारशिला रखी। देश के लिए उनके अतुल्य योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
