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अपनी आत्मा का कल्याण नहीं कर रहा मनुष्य: साध्वी पूजा भारती

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Man is not doing good for his soul: Sadhvi Pooja Bharti

mahendra india news, new delhi
सिरसा। दिव्या ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से गाबा पार्क, आरएसडी कॉलोनी, सिरसा में तीन दिवसीय सुंदर कांड कथा प्रसंग का आयोजन किया गया। कथा प्रसंग करते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज की शिष्या  साध्वी पूजा भारती ने कहा कि सुंदरकांड प्रसंग, जिसमें एक भक्त के भक्ति मार्ग पर किए जा रहे संघर्ष की चरम सीमा को भक्त हनुमान के माध्यम से प्रतिपादित किया गया है।

पूजा भारती ने बताया कि इंसान का जीवन नदी की तरह है एक नदी जिसे पता है कि मुझे सागर में मिलना है अपने अंदर उमंग लिए आगे बढ़ती जाती है। उसके मार्ग में चट्टानें आती है। पत्थर आते हैं, अनेक रुकावट आती है पर नदी उसकी परवाह न करती हुई उन्हें तोड़ती हुई आगे बढ़ जाती है। इसी प्रकार की ही बाधाओं को पार करते भक्त हनुमान जी जब माता सीता जी की खोज में लंका के लिए प्रस्थान करते हैं।

साध्वी जी ने बताया कि हनुमान जी ने मैना पर्वत सुरसा सिहिंका जैसी बाधाओं को पार करते हुए लंका में प्रवेश किया, जो बाहर से देखने पर सुंदर प्रतीत होती है पर भीतर पापाचार अनाचार हो रहा है। प्रत्येक मानव की यह स्थिति है, बाहर से व्यक्ति अपने शरीर को सजा संवार कर रखता है, पर अपनी आत्मा का कल्याण नहीं करता तो उसका शरीर लंका की भांति ही है।

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यदि अंत:करण में कपट बुराइयां है तो व्यक्ति कभी भी शांत में जीवन यापन नहीं कर सकता। इसीलिए आज संसार में बाहर से संतुष्ट दिखने वाले लोग हैं, पर अंदर से जानते हैं कि अंदर द्वंद ही चल रहा है। यही कुछ आज हनुमान जी देख रहे हैं, इसीलिए कहा कि यदि आप आत्म कल्याण करवाना चाहते हैं तो भीतर की बुराइयों को पाप को समाप्त करना चाहते हैं तो एक पूर्ण गुरु की शरण में जाना होगा, जो आपके भीतर ईश्वर का दर्शन करवा दे।

इसके अतिरिक्त साध्वी जी ने कहा कि जब श्री राम जी राज्य आसन पर बैठे तो उनके राज्य में चारों ओर सुख शांति भाईचारा था, लेकिन आज के दौर में इसका अभाव नजर आ रहा है, जिसके कारण हमारे समाज की तस्वीर दिन प्रतिदिन धूमिल होती जा रही है और अगर हम सभी फिर से राम राज्य के सपने को साकार करना चाहते हैं तो उसके लिए श्री राम के प्राकट्य की जो कहीं बाहर नहीं हमारे भीतर होगा। प्रत्येक दिन की भांति कथा प्रसंग के अंतिम दिवस में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने आकर कथा का रसपान किया और ब्र्म ज्ञान के संदेश को प्राप्त कर जीवन की श्री मार्ग को पाया।