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कारगिल में देश के लिए शहीद हुआ खेड़ी गांव का निहाल सिंह गोदारा, गांव का पहला सरंपच

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Nihal Singh Godara of Khedi village, the first Sarpanch of the village, was martyred for the country in Kargil
mahendra india news, new delhi
जम्मू कश्मीर में कारगिल के अंदर शहीद हुए निहाल सिंह  गोदारा का  गांव खेड़ी  426 वर्ष पूराना इतिहास समेटे हुए है। करीब 3500 की आबादी वाले गांव खेड़ी में 1650 के करीब वोट हैं। राजस्थान की सीमा से सटा होने के  कारण गांव में राजस्थानी व बागड़ी भाषा बोली जाती है। बुजर्गों ने बताया कि करीब 425 साल पहले यहां पर बैनीवाल गोत्र के लोगों ने इस जगह पर डेरा डाला। लेकिन यहां पर रहने वाले बैनीवाल गौत्र के लोग तो यहां से चले गऐ और उनके भांनजे पूनिया गोत्र के 4 भाई  राजस्थान के राजगढ तहसील के लदी लटाणा गांव से आकर बस गए व उनके साथ झुंझनू क्षेत्र के चिचड़ोली गांव से बुडाणिया गोत्र के लोग आकर बस गए। तथा बाद में बीकानेर के लूणियासा गांव से गोदारा गोत्र के लोग आकर बस गए।


गांव में 70 प्रतिशत जाट बिरादरी के लोग रहते हैं। गांव के नाम के बारे में पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि इस जगह को दौलत राम पूनियां की खेड़ी बोलते थे। कालान्तर में  गांव का नाम खेड़ी पड़ गया। गांव के लोगों में भाईचारा पूरी तरह कायम है। इस बार पंचायत चुनाव में पूरी पंचायत सर्वसम्मति बनाई गई। गांव में अब एक भी घर बैनीवाल गौत्र का नही है।


धार्मिक आस्था
 गांव में श्री कृष्णजी मन्दिर, ,शिवजी मन्दिर,जाहरवीर गोगा जी की गोगामेड़ी है। गांव के लोग पूरी आस्था के साथ यहां पूजा अर्चना करते हैं। इसके अलावा ग्रामीण श्रीश्याम सेवा सदन गोशाला  में करीब &00 गौवंशो की देखभाल करतें हैं।  यहां पर एक अति प्राचीन कुआं व तीन जोहड़ भी है। जो गांव की शोभा बढाते हैं।


गांव का पहला सरंपच
गांव में सबसे पहला सरंपच सम्पत सिंह पूनिया को बनाया गया व उसने सबसे सरपंच पद की बागडोर संभालतें हुए गांव में विकास कार्य करवाए। वर्तमान में गांव का  निर्विरोध निर्वाचित सरपंच बलबीर सिंह गांव में विकास कार्यों को करवाने में जुटा हुआ है। इस बार गांव में पूरी पंचायत निर्विरोध चूनी  गई है। गांव के लोगों ने बताया की जब गांव में प्राईमरी स्कूल बना तो सबसे पहले स्कूल में कृष्ण कुमार अध्यापक आया । अध्यापक कृष्ण कुमार की पढानें की लगन,मेहनत को ग्रामीण बहुत याद करतें हैं। इनकी बदौलत गांव के कई व्यक्ति आज बड़े पदों पर सरकारी नौकरी कर रहें हैं।

देश के लिए शहीद हुआ निहाल सिंह
ग्रामीणों ने बताया कि सीमा सुरक्षा बल क ी 21वीं बटालियन का जवान निहाल सिंह गोदारा निवासी खेड़ी 11 नवम्बर 1999 को कश्मीर में देश की सीमा की रक्षा करते हुए आंतकवादियों की गोली का शिकार हो गया था पिछले 15 वर्षो से गांव खेड़ी में शहीद निहाल सिंह गोदारा की पुण्यतिथि पर स्मारक स्थल पर शहीद की पत्नी,पुत्र,पुत्री व शहीद निहाल सिंह युवा कल्ब खेड़ी के सदस्यों ने ही शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण  व पुष्प अर्पित करते आ रहें है। लेकिन सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं पहुंचता। शहिद के अन्तिम संस्कार के समय   सरकार ने कई घोषणा की थी की खेड़ी के राजकीय स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाएगा। व खेड़ी से कागदाना जाने वाली सड़क का नाम भी शहीद के नाम पर रखा जाएगा। लेकिन एक भी घोषणा पर अमल नहीं हुआ। इसके अलावा गांव चार रिटायरर्ड फौजी सूबेदार राम सिहं, राममूर्ति,सुभाष चंद्र व रामप्रताप ने देश सेवा में अपना अहम योगदान दिया है। अन्य सरकार सेवाओं में डीडीए बलवंत सहारण,सीओ जयकरण,वेटरनीटी सर्जन महावीर,सारिका व रामनिवास उ"ा पदों पर कार्य कर देश सेवा कर रहें हैं।


सुविधाओं की मांग
गांव  में एक  राजकीय मिडल विद्यालय है।उसमें भी अध्यापको की अक्सर कमी रहती है। तथा एक भी महिला शिक्षक नहीं है।  जिससे विशेषकर लड़कियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। आठवीं के बाद पढाई के लिए दूसरे गावों में जानापड़ता है कालेज स्तर की पढाई के लिए तो गांव से 40 किलोमीटर दूर सिरसा जाना पड़ता है। बस सुविधा का अभाव होने के कारण अधिकतर मा-बाप अपनी लड़कियों की पढाई छुड़वा लेते है। गांव का सरपंच व युवा कल्ब के सदस्य स्कूल का दर्जा बढानें के लिए प्रयासरत हैं। इनके अलावा दो निजी सकूल भी हैं।आंगनबाड़ी केंद्र , पशु हस्पताल बना हुआ है। लेकिन उप स्वास्थ केंद्र नहीं है जिसके चलते काफी परेशानी उठानी पड़ती है। गांव में खेल प्रतिभा की कमी नही है लेकिन खेल सुविधा न होने के कारण खिलाड़ी आगे बढने से वचिंत रह जाते है।