हरियाणा में राजतिलक करने वाले शुभ सिक्का 2 लाख 11 हजार रुपये की बोली देकर समाजसेवी विनीत कटारिया ने खरीदा

हरियाणा के सिरसा मेें श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित 75वें रामलीला महोत्सव का भव्य समापन हुआ। समापन महोत्सव पर लंका विजय के पश्चात लंका के राजा के रूप में विभीषण का राजतिलक, भगवान राम का सीता से मिलना, सीता की अग्नि परीक्षा, 14 वर्ष का वनवास पूरा होने में एक दिन शेष रहने पर भाई भरत की व्याकुलता, राम-लक्ष्मण व सीता का अयोध्या प्रस्थान, हनुमान जी का अयोध्या में पहुंचकर भरत को राम आगमन का संदेश देना, राम का अयोध्या पधारना तथा भगवान राम के राज तिलक का भव्य मंचन किया गया। राजा रूप में भगवान राम विराजे हुए थे, उनके साथ उनकी पत्नी सीता, भाई लक्ष्म्ण, भरत व शत्रुघ्न तथा चरणों में हनुमान जी विराजे हुए थे जो अत्यंत मनोहक दृश्य था।
विधि विधान से भगवान राम का राजतिलक किया गया। भगवान राम के राजतिलक के पश्चात तिलक करने वाले चांदी के शुभ सिक्के की श्रद्धालुओं के द्वारा बोली लगाई गई। मान्यता है कि जो भी भगवान राम के राजतिलक करने वाले सिक्के को प्राप्त करता है, उसके लिए यह अति शुभ होता है। क्वालिटी रेस्टोरेंट के संचालक विनीत कटारिया ने सबसे अधिक 2 लाख 11 हजार रुपये की बोली देकर शुभ सिक्के को खरीदा।
राजतिलक के समय कथा व्यास धर्मवीर पाठक ने अपनी मधुर आवाज में 'राजा बने रघुराई, अवध में बाजे बधाई ' भजन गाकर सबका मन मोह लिया। क्लब के पदाधिकारियों ने नाचकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में जगतगुरु शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में स्वामी जगदीशानंद जी महाराज पधारे तथा रामलीला मंचन का आनंद लिया। उन्होंने श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट के पदाधिकारियों को भगवान राम का चरित्र जन जन तक पहुंचाने के लिए साधुवाद दिया।
विद्वान ब्राह्मण के द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से भगवान राम का राजतिलक किया गया। इस अवसर पर श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रधान अश्वनी बठला, महासचिव गुलशन वधवा सहित क्लब के सभी टस्ट्रीगणों ने पूजा में भाग लिया तथा भगवान राम का राजतिलक किया व आरती की।
क्लब के प्रधान अश्वनी बठला, महासचिव गुलशन वधवा व अन्य पदाधिकारियों ने शुभ सिक्का प्रदान किया। जिसे समाजसेवी विनीत कटारिया ने श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया। लोगों ने सिक्का प्राप्त करने पर उन्हें बधाइयां दी।
इस अवसर पर रामलीला एवं दशहरा महोत्सव के आयोजन में सहयोग देने वाले क्लब के सदस्यों व गणमान्यों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। रामलीला महोत्सव के समापन पर श्री रामा क्लब चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रधान अश्वनी बठला, महासचिव गुलशन वधवा ने महोत्सव में सहयोग देने के लिए जिलावासियों, प्रशासन व पुलिस प्रशासन का आभार जताया। इस अवसर पर बाबू लाल फुटेला, बंटी डूमरा, श्याम मेहता, ओम प्रकाश मेहता, सुरेश कालड़ा, मनीष ऐलाबादी, बिशंभर चुघ, गुलशन गाबा, राकेश मदान, नरेश खुंगर, अनिल बांगा, मिंटू कालड़ा, विजय ऐलावादी, कार्तिक कालड़ा, मंगत कुमार, संत लाल कोचर, पवन सरपंच व अन्यों सदस्य मौजूद रहे।
लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे भगवान राम, अयोध्यावासियों ने गाए मंगल गीत
लंकापति रावण, कुंभकर्ण व मेधनाथ सहित राक्षसों के संहार के पश्चात भगवान राम विजयी घोषित हुए। उन्होंने अपने वचनानुसार रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बनाने के लिए लक्ष्मण व हनुमान को लंका में भेजा तथा उनका राजतिलक करवाया। तत्पश्चात सीता भगवान राम के पास पहुंची तो राम ने उनकी अग्नि परीक्षा ली। तत्पश्चात राम विभीषण, सुग्रीव, हनुमान व अंगद इत्यादि के साथ अयोध्या वापसी की तैयारी करते हैं। उधर राम का वनवास पूरा होने में एक दिन शेष है।
भरत कहते हैं कि अगर आज राम नहीं आए तो वे अपने प्राणों को त्याग देंगे। राम के वियोग में भरत की करूण दशा का मार्मिक मंचन किया गया। तभी हनुमान जी अयोध्या पहुंचते हैं और भरत को राम के आगमन की सूचना देते हैं। राम, लक्ष्मण, सीता के अयोध्या पधारने पर भरत, शत्रुघ्न, तीनों माताएं, गुरुजन इत्यादि से भेंट करते हैं। तत्पश्चात राम के राजतिलक की तैयारी होती है। माता सीता खुश होकर हनुमान को मोतियों का हार भेंट करती है, जिस पर हनुमान उस माला को घूमा फिरा कर देखते हैं और बाद में एक एक मोती तोड़कर फैंकते जाते हैं। इसके पश्चात विभीषण कहते हैं कि हनुमान यह क्या कर रहे हो तो हनुमान कहते हैं कि जिस माला में राम सीता नहीं वो उनके किसी काम की नहीं। इसके पश्चात हनुमान जी अपना सीना चिर कर सबको राम सीता के दर्शन करवाते हैं। भगवान राम के राजतिलक के समय गुरु विशिष्ट भगवान को तिलक कर राजा बनाते हैं। इसके साथ ही सीता, लक्ष्मण, हनुमान जी इत्यादि को तिलक करते हैं।