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SIRSA के नन्हें योद्धाओं का ढोल-नगाड़ों से किया जोरदार स्वागत, ग्रैंड चैंपियन ट्रॉफी अपने नाम की

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The little warriors of SIRSA were given a grand welcome with drums and trumpets, and won the Grand Champion Trophy

Mahendra india news, new delhi
सिरसा। खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं होता, वह संस्कार, अनुशासन और आत्मबल का निर्माण करता है। दिल्ली की धरती पर जब मार्शल आर्ट के नन्हें योद्धाओं ने ग्रैंड चैंपियन ट्रॉफी अपने नाम की, तो यह जीत सिर्फ पदकों की नहीं थी। यह आत्मविश्वास, परिश्रम और सही मार्गदर्शन की विजय थी। उपरोक्त बातें श्री जयदेव-सहदेव चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष व समाजसेवी ललित जैन ने दिल्ली के तालकटोरा में आयोजित प्रतियोगिता में पदक विजेता बच्चों के सम्मान में आयोजित सम्मान समारोह में कही। शहर के अनेक समाजसेवियों के साथ मिलकर जोरदार तरीके से इन नन्हें योद्धाओं का न केवल सम्मान किया, बल्कि सिर आंखों पर भी बैठाया।

The little warriors of SIRSA were given a grand welcome with drums and trumpets, and won the Grand Champion Trophy

रानियां रोड स्थित ग्रीन आईसलेंड पैलेस में आयोजित इस सम्मान समारोह में पैलेस के संचालक गुरजंट सिंह नंबरदार व जयदेव-सहदेव चैरिटेबल ट्रस्ट की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष ललित जैन ने कहा कि प्रतिभा को पहचान और संरक्षण दोनों की आवश्यकता होती है। उनका विश्वास था कि यदि समाज एक कदम आगे बढ़े, तो बच्चे सौ कदम आगे निकल सकते हैं। उन्होंने कहा कि खेल ऐसा माध्यम है,

जिससे युवा न केवल नशों से दूर रहेंगे, बल्कि मोबाइल जैसी बिमारी से भी बचे रहेंगे। ग्रीन आइसलेंड के संचालक सुखपाल सिंह पुत्र गुरजंट सिंह नंबरदार ने कहा कि जब हमारे जिले के बच्चे अपनी मेहनत से जिले का नाम रोशन कर रहे हंै तो हमारा भी फर्ज बनता है कि इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने बच्चों के लिए नि:शुल्क हॉल व भोज की व्यवस्था की। क्योंकि इस प्रोत्साहन से बच्चे आगे और अधिक ऊर्जा के साथ खेलों में जाएंगे और बेहतर प्रदर्शन कर जिले व अभिभावकों का नाम रोशन करेंगे।

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The little warriors of SIRSA were given a grand welcome with drums and trumpets, and won the Grand Champion Trophy

उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में भी बच्चे जिले का नाम रोशन कर आएंगे तो उनके दरवाजे बच्चों के लिए हमेशा खुले हंै। जिला फाऊंडर राजकुमार वर्मा ने कहा कि इन बच्चों को यहां तक ले जाने में समाजसेवी ललित जैन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने बच्चों का फुल स्पोर्ट किया। कोच सुखराज ने बताया कि मार्शल आर्ट के ये गुर बच्चों को यूं ही नहीं मिले।

उन्हें दिशा और दृष्टि प्रदान की भारतीय कौशल परिषद के चेयरमैन ने, जिनके प्रशिक्षण ने बच्चों को केवल तकनीक नहीं, बल्कि आत्मानुशासन, धैर्य और जीवन मूल्यों का पाठ पढ़ाया। यही कारण रहा कि प्रतियोगिता के मंच पर ये बच्चे आत्मविश्वास से भरे हुए, सधे कदमों से विजेता बने। खेल न केवल शारीरिक रूप से युवाओं को मजबूत बनाते हंै, बल्कि मानसिक रूप से भी परिपक्व बनाते हंै। उन्होंने बच्चों से आह्वान किया कि वे इसी प्रकार अपनी मेहनत से सफलता की नई इबारत लिखकर जिले व देश का नाम रोशन करते रहें।