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World Water Day: जोहड़ तालाबों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की जरूरत है,ताकि बरसात के पानी को संचित किया जा सके

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 World Water Day
mahendra india news, new delhi 

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर
जीवन जीने की सुंदर कला किन के  पास है, ग्रामीण लोगों के पास या फिर शहरी में निवास करने वाले लोगों के पास, इसका सीधा सा उत्तर सादगी में मिलता है अर्थात गांव में जो लोग रहते है उन्हें प्रकृति के साथ रहने की कला आती है। शहरीकरण का अर्थ है नेचर से दूर चले जाना, प्रकृति से दूरी बना लेना। गांव के बच्चों को जोहड़ तालाब, पेड़ पौधों, नहर, खेतखलिहान तथा वन जंगल के विषय में अधिक जानकारी होती है जबकि शहरी बच्चों के पास जोहड़ तालाब या अन्य प्राकृतिक संसाधनों का ज्ञान कम ही होता हैं। शहर के बच्चे तो पेड़ पौधों को पहचानने का ज्ञान भी खो देते है। विश्व में हर वर्ष आज के दिन यानि 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। हम वर्षों से विश्व जल दिवस मनाते आ रहे है परंतु आजतक भी हम पानी के प्रति संवेदनशील नहीं हो पाए है, हम पानी को वैसे तो देवता मानते है लेकिन उसी पानी को हम सड़कों पर अपनी गाड़ी धोने के लिए बहाते हैं, पानी जिन स्थानों पर संचित किया जाता है उन्ही स्थान को लोग कब्जा किए जा रहे है, 

नदियों में बहने वाले देवतुल्य पानी में गंदगी डालने में लगे हुए है, एक तरफ लोग गंगा जल से अपने पाप धुलवाना चाहते हैं लेकिन कितना जहर के रूप में सीवरेज का पानी, उद्योगों की गंदगी खुद ही डालने में लगे हुए है। विश्व जल दिवस मनाते हुए , क्या हम सभी नहीं जानते हैं कि जल को संरक्षित करने के लिए क्या क्या कदम उठाने चाहिए? हम सभी, सब कुछ जानते है लेकिन क्रियान्वयन करने में सदैव पीछे ही रहते है। हमारे जोहड़ तालाब प्रत्येक गांवों की जीवन धारा है जिन्हें हम गांवों की गंगा यमुना भी कह सकते है लेकिन कितने लोग ऐसे है जो जोहड़ तालाबों की पूजा करते हैं? कितने लोग ऐसे है जो जोहड़ तालाबों की खुदाई छटाई में भाग लेते है? आज भी जब थोड़ी अधिक बरसात होती है तो सारा पानी जोहड़ तालाबों या सरोवरों में ही इक्कठा होता है, अगर इनको नहीं बचाया गया तो ये सारा पानी बाढ़ की स्थिति ही पैदा करेंगे। विश्व जल दिवस मनाने का अर्थ है कि हम जल संरक्षण से जुड़ी हुई छोटी छोटी गतिविधियों के माध्यम से पानी का संरक्षण करें।

बरसात के जल को संचय करना ही तो सबसे अधिक जरूरी है, उसी पानी के संरक्षण के लिए हमे जोहड़ तालाब सरोवर चाहिए। हमारे हरियाणा में लगभग बारह हजार के जोहड़ तालाब थे परंतु जैसे जैसे शहरीकरण बढ़ रहा है जोहड़ तालाबों का गला घोटा जा रहा है, उन्हें मारा जा रहा है। शहरीकरण के नाम पर क्या जीवन को चलाने वाले तत्वों को भी छोड़ दिया जाएगा या भुला दिया जाएगा। अगर मैं गुरुग्राम जैसे मिलेनियम सिटी की बात करूं तो वहां सैंकड़ों जोहड़ तालाबों को बिल्डर्स ने खत्म कर दिया है, किसी भी बिल्डर ने अपने आवासीय प्रोजेक्ट में कोई तालाब या जोहड़ बनाने की जगहन ही रखी है। जीवन बिना पानी और वन के नहीं चलेगा, ये सभी जानते है लेकिन फिर भी हमने ऐसी व्यवस्था ही नहीं की है। अगर समय रहते नहीं चेते तो भूमिगत जल के लिए तरस जाएंगे। पूरी धरती का पानी खारे पानी में बदल जाएगा। जो लोग शहरीकरण के प्रस्तावों के प्राधिकरणों में बैठे है या जो महानुभाव वाटर कंजर्वेशन प्राधिकरण में बैठे है, क्या उन्हें ऐसी स्थिति का आभास नहीं है? हमारे जोहड़,  तालाब, पोखर तथा सरोवर ही तो कैच द रेन कार्यक्रम के आधार है अगर इन्हें ही नहीं बचाया गया तो फिर इस बरसात के पानी को क्या गटर में रोकने की व्यवस्था करेंगे? आओ मिलकर कर कैच द रेन कार्यक्रम को सफल बनाने किए कुछ जतन करे, केवल भाषण या प्रदर्शनिक कार्यक्रमों से काम नहीं चाहेगा। 

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कुछ सुझाव है जिन्हें सभी अपनाएंगे तो वर्षा जल का संचय तथा संरक्षण हो पाएगा, जैसे;
1. जोहड़ तालाबों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए।
2. सभी आवासीय प्रोजेक्ट में अमृत सरोवर बनाने पर ध्यान दिया जाए।
3. शहरीकरण के नाम पर किसी भी जोहड़ तालाब पोखर को खत्म न किया जाए, उन्हें जिंदा रखने की व्यवस्था करनी चाहिए।
4. नए तालाब जोहड़ बनाने के लिए कैचमेंट क्षेत्र की जानकारी जरूर रखनी चाहिए जिससे उस क्षेत्र का पानी वहां इक्कठा किया जा सकें।
5. वर्षा के जल को सीवरेज में जाने से रोकने के लिए ड्रेनेज की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए।
6. हर चौक चौराहे पर, जहां पानी अधिक इक्कठा होता है वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करनी चाहिए।
7. हर जिले में एक बड़ा सरोवर बनाने की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए,जिससे कैच द रेन कार्यक्रम सफल हो सकें।
8. उन सभी ट्यूबवेल पर रोक लगाने का कार्य किया जाए, जो व्यवसायिक गतिविधियों में शामिल है।
9. सड़क के साथ साथ छोटे छोटे टैंकनुमा चौके बनाने चाहिए जिससे पानी वहां संरक्षित किया जा सकें।
10. कृषि तालाब बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे बरसात के पानी को इक्कठा किया जा सकें।
11. खेत का पानी खेत में ही रोकने के लिए छोटे छोटे कृषि तालाबों को बनाना होगा।
12. शहर के हर पार्क में एक छोटा तालाब बनाने की परियोजना पर कार्य करने की जरूरत है।
13. सभी विश्वविद्यालय, महाविद्यालय तथा ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में एक एक छोटा तालाब बनाया जाए, जिससे पानी की आपूर्ति के साथ साथ वहां पर बरसे पानी को उसी स्थान पर संचय किया जा सकें।
14. वर्षा के पानी को इक्कठा करने के लिए सभी जोहड़ तालाबों में गंदगी डालने पर रोक लगनी चाहिए।
15. हर जिले में 30 प्रतिशत वन क्षेत्र तथा 10 प्रतिशत जल क्षेत्र घोषित किया जाए।
16. सभी शहरों में ड्रेन को सीवरेज सिस्टम से अलग करना चाहिए , जिससे बरसात के पानी को गटर में जाने से रोका जा सकें
जल ही जीवन है, पानी से ही जीवन चलता है, इसलिए इस ईश्वरीय तत्व को संचय तथा संरक्षित करना हम सभी का कर्तव्य है।
जय हिंद, वंदे मातरम