home page

यमुना का पानी पहुंचाया जाएगा राजस्थान, हरियाणा प्रदेश के 4 जिलों में डाली जाएगी बड़ी पाइप लाइन, डीपीआर होगी तैयार

 | 
यमुना का पानी पहुंचाया जाएगा राजस्थान, हरियाणा प्रदेश के 4 जिलों में डाली जाएगी बड़ी पाइप लाइन, डीपीआर होगी तैयार
mahendra india news, new delhi

बारिश के मौसम में यमुना नदी भी उफान पर होती है। इससे हमेशा बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। इससे काफी नुकसाान भी झेलना पड़ता है। अब बरसात सीजन में यमुना नदी में बहने वाले अतिरिक्त पानी को संरक्षित कर उसका उपयोग राजस्थान में सिंचाई की जाएगी। इसके लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है।


जानकारी के अनुसार दरअसल हथिनी कुंड बैराज से राजस्थान के सीकर जिले तक बड़ी पाइप लाइन बिछाने की स्कीम पर हरियाणा सरकार ने औपचारिक सर्वे शुरू कर दिया है। इसके आधार पर डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोट) तैयार की जाएगी, जिससे प्रोजेक्ट की व्यवहारिकता और लागत का सटीक आकंलन हो सकेगा।

 हरियाणा सिंचाई विभाग की इस कार्य के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है। इस टीम में यमुनानगर, करनाल, कैथल और हिसार सर्किल के सिंचाई विभाग के अधिकारी शामिल हैं। अधिकारियों की यह टीम अपने-अपने क्षेत्रों में पाइप लाइन के संभावित मार्ग का व्यापक सर्वे कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। 

WhatsApp Group Join Now

इंजिनियर फील्ड पर कर रहे क्रॉस-वेरिफाई
आपको बता दें कि इस स्कीम के लिए राजस्थान की ओर से पहले ही एक कंसल्टेंसी एजेंसी द्वारा प्राथमिक सर्वे किया जा चुका है, इसकी रिपोर्ट को अब हरियाणा के इंजीनियर वास्तविक स्थल पर जाकर क्रॉस-वेरिफाई कर रहे हैं। यमुनानगर में यह कार्य करीबन पूरा हो चुका है, जबकि अन्य जिलों में प्रक्रिया जारी है। जगाधरी सर्कल के एसई रवि शंकर मित्तल के मुताबिक वर्तमान में राजस्थान की रिपोर्ट को आधार बनाकर परियोजना का विस्तृत तकनीकी अध्ययन किया जाएगा। 

पाइप लाइन का दायरा बढ़ा
सिंचाई विभाग के अधिकारियों की तैयार रिपोर्ट के अनुसार प्रारंभिक प्रस्ताव पाइप लाइन करीबन 263 किलोमीटर लंबी होनी थी और 2700 एमएम व्यास के पाइप प्रयोग किए जाने थे। लेकिन सर्वे में सामने आया कि कई गांव व शहर पाइप लाइन के मार्ग में आ रहे हैं, इसी कारण से पाइप लाइन की लंबाई बढक़र 300 किलोमीटर से अधिक हो गई है और पाइप का आकार भी बढ़ाकर 3600 एमएम कर दिया गया है। 

लागत 28 हजार करोड़ तक अनुमानित
जानकारी के अनुसार जमीन अधिग्रहण, पाइप लाइन बिछाने और सिविल वर्क पर करीबन 28 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। जानकारी के अनुसार अंतिम लागत डीपीआर तैयार होने के बाद तय होगी। यह स्कीम राजस्थान, हरियाणा में जल प्रबंधन को नई दिशा दे सकती है और सिंचाई के लिए स्थाई समाधान प्रदान कर सकती है।