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महासाध्वी सर्वज्ञ प्रभा व महासाध्वी नमिता जी के सानिध्य में कालांवाली में हुआ भव्य आयोजन:‌ क्षमा का पर्व, आत्मशुद्धि का संकल्प है संवत्सरी पर्व:‌ सर्वज्ञ प्रभा महाराज

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A grand event was organized in Kalanwali under the guidance of Mahasadhvi Sarvagya Prabha and Mahasadhvi Namita ji: Samvatsari festival is a festival of forgiveness and a resolution for self-purification: Sarvagya Prabha Maharaj
mahendra india news, new delhi

एस.एस. जैन सभा कालांवाली द्वारा गुरु जितेंद्र कैलाश दरबार में संवत्सरी पर्व बड़े ही उत्साह और भक्ति भावना से मनाया गया। इस पावन अवसर पर हरियाणा सिहनी एवं पंजाब वीरांगना महासाध्वी श्री सर्वज्ञ प्रभा जी महाराज साहब तथा महासाध्वी नमिता जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।

संवत्सरी पर्व: जैन धर्म का मुख्य उत्सव

साध्वी श्री ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि संवत्सरी पर्व जैन धर्म का प्रमुख पर्व है। यह पर्व आत्मशुद्धि, क्षमा और अहिंसा का संदेश देता है। पर्युषण पर्व के दौरान अंतगढ़ सूत्र की वाचना की जाती है, जिसमें महान तपस्वियों के जीवन, त्याग और साधना की चर्चा सुनने को मिलती है।
साध्वी श्री ने आगे कहा—
“पर्युषण पर्व का आठवां दिन क्षमा का दिन है। इस दिन हमें अपने सभी परिचितों, मित्रों और समाज के प्रत्येक व्यक्ति से क्षमा याचना करनी चाहिए। क्षमा ही आत्मा की सबसे बड़ी शक्ति है। हमारे पुण्य का ही प्रताप है कि हमें जैन धर्म जैसा महान मार्ग मिला है।

जैन ध्वजा रोहन व समारोह का शुभारंभ

इस अवसर पर जैन समाज के संरक्षक पारस जैन के पिता वरिष्ठ श्रावक मोहनलाल जैन ने जैन ध्वजा रोहन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
समारोह की शुरुआत वैरागन अन्नया जैन ने नवकार महामंत्र की शानदार प्रस्तुति से की, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और लघु नाटिका
कार्यक्रम में श्रावक पुनिया व सोमा सती नामक लघु नाटिकाओ का आयोजन किया गया। इस नाटिका के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि बुरे कर्मों से अर्जित नर्क से मुक्ति पाना असंभव है।
इसके अतिरिक्त ग्लोबल कैंब्रिज स्कूल के बच्चों ने गुरु-श्रद्धा पर भजन प्रस्तुत कर वातावरण को और भी भक्ति से सराबोर कर दिया। इस मोके पर भजन सम्राट संजीव जैन ने दिन  क्षमा पर्व का आया,अंजू जैन ने हम तुम को क्षमा देंगे,लवलेश जैन ने भी भजन कि प्रस्तुति दी।

समाज के प्रमुख लोग रहे उपस्थित

समारोह में जैन समाज के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप में नवकार समिति के प्रधान दीपक फता और गौतम जैन उपस्थित रहे। स्वागताध्यक्ष की भूमिका में भी उन्होंने आयोजन को सहयोग दिया।
इस मौके पर जैन सभा के प्रधान संदीप जैन, महामंत्री राकेश जैन, उपप्रधान भूषण जैन, संरक्षक नरेश गर्ग जैन, समाज रत्न साई दास सेतिया, सुखराम फत्ता, मखन जैन, पवन जैन, महिंदर जैन, प्यारा जैन, अंग्रेज बांसल जैन, संजीव जैन, मास्टर योगेश जैन संचालक, ग्लोबल कैंब्रिज स्कूल, शम्मी जैन और अन्य गणमान्य सदस्य मौजूद रहे।

महिला मंडल की सक्रिय भागीदारी

महिला मंडल की प्रधान सहित कई महिलाओं ने भी आयोजन में भाग लेकर समाज सेवा व क्षमा पर्व के महत्व को रेखांकित किया। इसमें वाल तपस्वी सीरत जैन, निर्मला जैन, बबली जैन, मीनू जैन, बबीता जैन, मंजू जैन, अंजू जैन, तनुजा जैन, कंचन जैन, वंदना जैन और निधि जैन ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।


क्षमा पर्व का संदेश:“मिच्छामि दुक्कड़म्”

इस अवसर पर समाज के सभी पदाधिकारियों और श्रावकों ने संवत्सरी पर्व पर एक-दूसरे से क्षमा याचना की और कहा कि यदि वर्ष भर में हमसे वाणी, मन या कर्म से किसी को भी ठेस पहुंची हो तो हम दिल से क्षमा चाहते हैं। मिच्छामि दुक्कड़म्।”
प्रधान संदीप जैन, महामंत्री राकेश जैन, नवकार समिति के प्रधान दीपक फता, संरक्षक नरेश गर्ग जैन, शम्मी जैन सहित अनेक श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर क्षमा पर्व की भावना को आत्मसात किया।


पर्व का महत्व और प्रेरणा

साध्वी श्री ने कहा कि संवत्सरी केवल उत्सव नहीं बल्कि आत्ममंथन का पर्व है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में विनम्रता, संयम और क्षमा भाव कितना आवश्यक है। क्षमा केवल दूसरों को नहीं, बल्कि स्वयं को भी शुद्ध करने का माध्यम है। जब हम दूसरों को क्षमा करते हैं, तभी आत्मा का वास्तविक उत्थान होता है।


श्रद्धालुओं की आस्था और उल्लास

कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु पूरे समय भक्ति और आध्यात्मिकता में लीन रहे। बच्चों की प्रस्तुतियों, लघु नाटिका और साध्वी श्री के प्रवचनों ने सभी के मन में आत्मचिंतन और सदाचार के भाव जागृत किए।
गुरुजनों के आशीर्वाद से यह आयोजन एक प्रेरणादायी स्मृति के रूप में सभी के हृदयों में अंकित हो गया।
स्मारोह के अन्त मे मंत्री राकेश जैन ने कहा कि संवत्सरी पर्व केवल जैन समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता को यह संदेश देता है कि क्षमा सबसे बड़ी शक्ति है। जब हम आपसी द्वेष, क्रोध और अहंकार को त्याग कर क्षमा की भावना अपनाते हैं, तभी समाज में शांति और सद्भाव का वातावरण बन सकता है।
कालांवाली में हुआ यह आयोजन समाज के लिए एक आदर्श उदाहरण रहा, जिसमें भक्ति, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम दिखाई दिया।