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गांव दड़बा कलां में 4 डिग्री तापमान में ठंडे पानी की जलघारा के बीच बाबा योगी जिंद्रनाथ की तपस्या

गांव में सुख शांति के लिए उनकी तपस्या 41 दिनों तक यानि 22 जनवरी तक चलेगी
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जलघारा के बीच बाबा योगी जिंद्रनाथ की तपस्या

mahendra india news, new delhi

इस सर्दी के मौसम में लोंगों का घरों से निकलना मुश्किल हो रहा है। इस मौसम में 4 डिग्री तापमान के अंदर सिरसा जिले के गांव दड़बा कलां स्थित अखाड़ा में बाबा योगी जिंद्रनाथ पिछले 39 दिन से ठंडे पानी की धारा में तपस्या कर रहे हैं। उनकी तपस्या के चलते दिनभर श्रद्धालुओं का तांता तपस्या स्थल पर लगा रहता है। बाबा योगी जिंद्रनाथ ने दिनांक 13 जनवरी से सुबह 28 मटकों में भरे गए ठंडे पानी की धारा लगाकर उसके नीचे तपस्या कर रहे हैं। इसके बाद प्रतिदिन दो मटक बढ़ रहे हैं। शनिवार को उन्होंने 104 ठंडे पानी के मटकों की जलघारा के नीचे तपस्या की। गांव में सुख शांति के लिए उनकी तपस्या 41 दिनों तक यानि 22 जनवरी तक चलेगी। 

गांव में सुख शांति के लिए उनकी तपस्या 41 दिनों तक यानि 22 जनवरी तक चलेगी

 


अखाड़ा में 22 जनवरी के दिन जलधारा की समाप्ति पर मंदिर परिसर में विशेष पूजा होगी तथा हवन यज्ञ के साथ भंडारा भी लगाया जाऐगा। बाबा योगी जिंद्रनाथ की तपस्या के लिए सांय के समय साफ व नये मटकों में ठंडा पानी भरा जाता है। रात भर खुले आसमान के नीचे मटकों को रखा जाता है तथा सुबह मटके के नीचे से निकलने वाली पानी की धारा में बाबा योगी जिंद्रनाथ बैठ जाते हैं। मटकों में भरे पानी की धारा जब तक चलती है तब तक महंत उसके नीचे बैठकर ध्यान में रहते हैं। 

 

 

अखाड़ा से लोगों की काफी आस्था 
दड़बा कलां के अखाड़ा से लोगों की काफी आस्था है। यहां पर शीशनाथ, बधाईनाथ व सुकराई नाथ की सामधी बनी हुई हैंं। जहां पर सुबह शाम लोग माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं। गांव के लोगो की अपार श्रद्धा है और खुद गांव के लोगो का मानना है यहां पर माथा टेकने से उनके काम सफल हुए हैं। 

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5 धूनों के बीच गर्मी में की थी तपस्या 
बाबा योगी जिंद्रनाथ ने बताया कि हमेशा उनके ऊपर गुरु शीलनाथ का आशीर्वाद बना रहता है। इसी के चलते ठंडे पानी की जलधारा में स्नान कर रहे हैं। गांव में ठंडे पानी की धारा के नीचे बैठकर तपस्या करके समाज में सुख शांति लाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी में 5 धूनों के बीच तपस्या कर रहे हैं। गांव में सुख शांति के लिए 41 दिन तक धूनों के बीच बैठकर तपस्या की थी।