ओलंपियनों के मार्गदर्शक, चैंपियनों के निर्माता हैं डॉ. बलदेव सिंह, शानदार सेवाओं के बाद डॉ. बलदेव सिंह हुए सेवानिवृत्त
mahendra india news, new delhi
सिरसा। गवर्नमेंट नेशनल कॉलेज, सिरसा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बलदेव सिंह चार दशकों से अधिक की उल्लेखनीय सेवा के बाद शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गए हैं। चैंपियनों को गढऩे वाले मार्गदर्शक के रूप में पहचाने जाने वाले उनके सफर ने भारतीय हॉकी में अमिट छाप छोड़ी है।
हॉकी कोचिंग में विशेषज्ञता और खेल मनोविज्ञान में पीएच.डी. हासिल करने वाले डॉ. सिंह ने दो ओलंपियन तैयार किए जिनमें भारत के पूर्व हॉकी कप्तान और पद्मश्री सम्मानित सरदार सिंह, तथा एथेंस ओलंपिक (2004) में खेलने वाले हरपाल सिंह शामिल हैं। उन्होंने आठ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भी तैयार किए और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की महिला हॉकी टीम को 2007-08 में ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में पहला स्वर्ण पदक दिलाया।
उनके मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय ने सात पदक जीते, जिनमें पांच स्वर्ण शामिल हैं। गवर्नमेंट नेशनल कॉलेज, सिरसा में उन्होंने 12 हॉकी खिलाडिय़ों को तैयार किया, जिनमें से छह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले, जिनमें भारत की महिला टीम की पूर्व कप्तान ऋतु रानी भी शामिल हैं। उनके शिष्यों में अर्जुन पुरस्कार विजेता मुक्केबाज मनीष जांगड़ा और अंतरराष्ट्रीय पहलवान अनमोल भी हैं। उनके नेतृत्व में कॉलेज के खिलाड़ी ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी खेलों में 10 से कम प्रतिभागियों से बढक़र हर साल लगभग 80 तक पहुंच गए। डॉ. सिंह के योगदान को अनेक स्तरों पर सराहा गया। उन्हें हरियाणा सरकार ने 2010 में 2 लाख रुपए के पुरस्कार से सम्मानित किया, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने 9 बार सम्मानित किया।
सिरसा प्रशासन ने 2011 के गणतंत्र दिवस पर उन्हें गौरव प्रदान किया और 2019 में ‘सिरसा गौरव पुरस्कार’ से नवाज़ा गया। कोचिंग के साथ-साथ उन्होंने खेल शिक्षा में शोध-पत्र प्रकाशित किए और 2024 में मैनेजमेंट इन स्पोट्र्स एंड फिजिकल एजुकेशन नामक पुस्तक का सहलेखन भी किया। सेवानिवृत्ति के इस क्षण पर डॉ. बलदेव सिंह को केवल पदक और पुरस्कारों के लिए ही नहीं, बल्कि पीढिय़ों को प्रेरित करने और यह साबित करने के लिए याद किया जाएगा कि खेल और शिक्षा साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं। उनकी विदाई एक गौरवशाली युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन उनकी विरासत आने वाले वर्षों तक भारतीय हॉकी को दिशा देती रहेगी।
