ब्रह्मज्ञान प्रदाता गुरु में विश्वास उस नींव की तरह है, जिस पर शिष्यत्व की अटूट इमारत खड़ी होती है: स्वामी विज्ञानानंद
Mahendra india news, new delhi
सिरसा। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा हुड्डा सेक्टर-20 में स्थित अपने स्थानीय आश्रम में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान की ओर से दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद ने मानव जीवन में विश्वास का महत्व समझाते हुए कहा कि विश्वास मन की वह शक्ति है, जो असंभव कार्य को भी संभव बना सकती है।
आगे स्वामी जी ने विस्तार पूर्वक समझाते हुए कहा कि हमें अपने जीवन में इस बात का अन्वेषण करना अति आवश्यक है कि हमारे विश्वास का आधार क्या है। यदि विश्वास का आधार नश्वर और नकारात्मक होगा तो कदाचित जीवन में उसका परिणाम भी नकारात्मक ही प्राप्त करेंगे किंतु विश्वास का आधार शाश्वत एवं अलौकिक हो तो वह मानव जीवन के लिए एक सीढ़ी का कार्य करता है, जो उसे जीते जी मुक्ति प्रदान करने के लिए पर्याप्त है। एक व्यक्तिए जिसने अपने नेत्रों से कभी सूर्य को देखा ही नहीं, लेकिन वह सूर्य के अस्तित्व पर विश्वास करता है तो उस व्यक्ति के विश्वास का आधार अति दुर्बल है, जो क्षणिक संशय से ही ध्वस्त हो सकता है।
लेकिन जो व्यक्ति सूर्य के अस्तित्व से भलीभांति परिचित है तो कदाचित वह किसी और के कहने से कभी भ्रमित नहीं हो सकता, क्योंकि उसका विश्वास सत्य की प्रत्यक्ष अनुभूति पर आधारित है। इसी प्रकार बिना आत्मसाक्षात्कार के जब मनुष्य परमात्म सत्ता में विश्वास करता है तो विपरीत परिस्थितियां अथवा किसी दूसरे संशय युक्त व्यक्ति का हस्तक्षेप ही उसके विश्वास को खंडित करने के लिए पर्याप्त होगा। ब्रह्मनिष्ठ गुरु से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति करने के पश्चात जब एक साधक निरंतर ध्यान साधना की गहराइयों में उस परमात्मा के प्रकाश स्वरूप में दर्शन कर लेता है तो कदाचित उसका विश्वास एक मज़बूत चट्टान की तरह होता है, जो तीव्र भूकंप में भी स्थिर रहती है।
क्योंकि ब्रह्मज्ञान प्रदाता गुरु में विश्वास उस नींव की तरह है, जिस पर ज्ञान की अटूट इमारत खड़ी होती है। एक साधक, जो अपने मन वचन कर्म को गुरु के महान आदर्शों में ढाल लेता है, तब परमात्मा की दिव्यता उसके रोम-रोम से झलकती है और उसका सम्पूर्ण जीवन ही उस ब्रह्म सत्ता की अभिव्यक्ति हो जाता है। जब हमारी श्वास एक विशेष लक्ष्य को लेकर स्पंदित हो तो उसे ही विश्वास का नाम दिया जाता है। जैसे श्वास के बिना जीवन संभव नहीं है, इसी प्रकार विश्वास के बिना भक्ति असंभव है। सत्संग कार्यक्रम में साध्वी पूजा भारती व पूनम भारती ने सुमधुर भजनों का गायन करके समूह संगत को कृतार्थ किया।
