धान की फसल के अवशेष का प्रबंधन पर किसान को मिलेगी 1200 रूपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की टीमों ने रविवार को गांव झोरडनाली, देसू मलकाना, मल्लेकां, कालांवाली आदि में पहुंच कर किसानों को जागरूक करते हुए पराली प्रबंधन के उपाय बताए। किसानों को बताया कि पराली को खेतों में मिलाकर मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है। इससे न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ेगी बल्कि रासायनिक खादों पर खर्च भी कम होगा।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा सुखदेव सिंह ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन करने पर किसानों को 1200 रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। सरकार द्वारा पराली प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। इसमें सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर और बेलर-कम-रीपर बाइंडर जैसे आधुनिक यंत्र शामिल हैं। किसान इन उपकरणों का उपयोग कर पराली को खेत में ही समेट सकते हैं या उसकी गांठें बनाकर विभिन्न उद्योगों को बेच सकते हैं।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने से वातावरण में जहरीली गैसें निकलती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। धुएं से सांस, आंख और त्वचा संबंधी रोग फैलते हैं। इतना ही नहीं, पराली जलाने से खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता घट जाती है और उसमें मौजूद उपयोगी कीट व सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं।
इसका सीधा नुकसान अगली फसल की पैदावार में उठाना पड़ता है। किसान पराली को आय का साधन बनाएं, पराली की गांठें बनाकर बिजली संयंत्र, पेपर मिलों और मशरूम उत्पादन इकाइयों को बेचा जा सकता है। इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी होगी और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा।
