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हरियाणा के गौरव का वर्णन किया गहलोत ने बोले, अल्प समय में जुटाई उपलब्धियां समूचे देश के लिए मिसाल

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Gehlot described the pride of Haryana and said that the achievements made in a short time are an example for the entire country

mahendra india news, new delhi
सिरसा। आर्यसमाज बेगू रोड के कार्यकारी प्रधान भूपसिंह गहलोत ने कहा कि महर्षि दयानंद के अनुसार वेदों में किसी का इतिहास नहीं बल्कि वेद के शब्दों को लेकर ही प्रत्येक वस्तु का नाम, उसके गुण, उसके कर्म के अनुसार ही रखे गए हैं। हमारे प्रदेश का नाम हरियाणा यहां के लोगों के पवित्र चरित्र, आचरण तथा प्रकृति के सुंदर गुणों के कारण ही हरियाणा रखा गया है।

दिल्ली के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित रखे एक शिलालेख में एक श्लोक है जिसमें हरियाणा की प्रशंसा में लिखा गया है। देसा अस्ति हरियाणा ख्य, पृथ्वीव्याम स्वर्ग सनिभ: अर्थात पृथ्वी पर एक हरियाणा नामक देस है जो स्वर्ग के समान है। यह हरियाणा पुण्यभूमि है। यह भूमि स्वर्ग, सूर्य व सौंदर्य से सदा संपन्न है। राजा कुरु की यह धरती है, यह कुरुक्षेत्र है। यह श्रीकृष्ण का युद्धक्षेत्र है। यह गीता का उपदेश क्षेत्र है, यह धर्मक्षेत्र है।

महर्षि पतंजलि ने महाभाष्य में लिखा है कि 88 हजार ऋषि कुरुक्षेत्र में हुए हैं और वे इसी प्रदेश के ऋषियों से चरित्र की शिक्षा लेने के लिए विश्वभर से आते रहे थे। वर्ष 1857 तक यमुना नदी के दोनों ओर के प्रदेश हरियाणा में सम्मिलित थे। मेरठ, आगरा, रूहेलखंड, कमिश्ररियां व दिल्ली भी इसमें शामिल थी।

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उन्होंने बताया कि हरियाणा प्रांत 1857 के प्रथम स्वतंत्रता युद्ध तक बहुत बड़ा प्रांत रहा। जब अंग्रेजों ने दिल्ली पर अधिकार किया तो 1858 में इसे अनेक खंड़ों में विभाजित कर दिया। इस प्रकार 1858 में हरियाणा का नाम मिटा दिया। हजारों लोगों को गोली मारी गई, वृक्षों से बांधकर कोड़ों से मारा गया। पराधीनता में जकडक़र रखा गया और अनेक लोगों को काला पानी भेजा गया। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रांतों के पुनर्निर्माण का कार्य आरंभ किया गया। देश में अनेक प्रांत बने और एक प्रांत आयोग भी बनाया गया।

गहलोत ने बताया कि 1 नवंबर 1966 को हरियाणा नया प्रदेश बना जिसमें प्रमुख आर्यसमाजी स्वामी ओमानंद सरस्वती व अन्य आर्यजनों का योगदान रहा। हरियाणा के 100 ग्राम हिंदीभाषी थे जिनमें पंजाब के अबोहर और फाजिल्का भी थे, पंजाब में ही रह गए। गहलोत ने बताया कि देश के उत्तरोत्तर विकास में हरियाणा की ओर से अपने गठन के बाद से ही अल्प समय में कृषि, खेल, सेना, राजनीति व धार्मिक सहित तमाम क्षेत्रों में जो योगदान दिया है, वह वैश्विक स्तर पर वर्णनीय है।