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Girls Questions Before Marriage: शादी से पहले लड़कियों के मन में कैसे कैसे सवाल उठते हैं, जानिए...

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 Girls Questions Before Marriage: शादी से पहले लड़कियों के मन में कैसे कैसे सवाल उठते हैं, जानिए...
Girls Questions Before Marriage: कोई लड़की शादी देर से करे या ना करें, यह फैसला पूरी तरह लड़की पर डिपेंड करता है. शादी को लेकर लोगों की सोच बदलने के बावजूद अभी भी शादी को जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा माना जाता है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है. 

आज के बदलते दौर में लड़किया काफी हद तक आजाद हुई हैं.आज परिवार वालों की तरफ से लड़कियों को जो सपोर्ट मिल रहा है उसी की बदौलत लड़कियां अपने मन की बातें घरवालों के सामने खुलकर रखती हैं. 

चाहे वो शादी से जुड़ी कोई बात हो या करियर से जुड़ी बात ही क्यों ना हो. इसके बावजूद लड़कियां बहुत सारी बातों को अपने परिवार वालों के सामने खुलकर नहीं बता पाती. अगर किसी लड़की की शादी हो रही है तो शादी की खुशी के साथ शादी का साइड इफेक्ट भी पड़ता है.  

मेंहदी की डिजाइन की कल्पानाओं में खोई लड़कियां एक तरफ तो नए परिवार और दुल्हन बनने के सपने देखती हैं तो वहीं दूसरी तरफ जिंदगी की नई शुरूआत को लेकर काफी चिंतित भी रहती है. 

मेरे बाद मायके का ख्याल कौन रखेगा

हमारे समाज में ऐसी कई लड़कियां हैं जो अपने घर की जिम्मेदारी उठाती हैं. मां-बाप से लेकर छोटे भाई बहनों तक की जिम्मेदारी लड़की के कंधे पर होती है. ऐसे में इस तरह की लड़कियां ये सोचती हैं कि ससुराल जाने के बाद उसके घर का यानी मायके का ख्याल कौन रखेगा.

कुछ लड़कियों के लिए शादी मतलब अलादीन का चिराग

आज भी हमारे समाज में  कुछ लड़कियां अलादीन का चिराग मानती हैं. और इसमें उन लड़कियों की कोई गलती नहीं है, अगर किसी की गलती है तो हमारे समाज की है, हमारे परिवार की है. कई बार लड़कियों को ना जाने कितनी ही चीजों से महरूम रखा जाता है , लड़कियां अगर किसी चीज की मांग करें तो उन्हें समझाया जाता है कि ससूराल में सारे सपने पूरे करना. लड़कियां भी छोटी मोटी आजादी के लिए ससूराल के सपने देखने लगती हैं. 

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ससुराल में एडजस्ट कर पाउंगी या नहीं

आजकल लगभग हर घर में बेटे और बेटियों को एक जैसा प्यार मिल रहा है, एक तरह की आजादी मिल रही है. लड़कियां बिना किसी डर के अपनी जिंदगी जी रही हैं. लेकिन जैसे ही बात शादी की आती है ये आजाद ख्याल लड़कियां कहीं ना कहीं ये सोचने लगती हैं कि ''शादी के बाद मैं एडजस्ट कर पाउंगी या नहीं. सबको अपनाने में कितना समय लगेगा.

मायके की तरह इतनी छूट मिलेगी या नहीं. इतने अच्छे कपड़े पहन पाऊंगी या नहीं. ससूराल वालों को इम्प्रेस करने में कितना टाइम लगेगा, इम्प्रेस कर भी पाऊंगी या नहीं.

शादी के बाद हमसफर बदल गया तो

रिश्ता तय होते ही लड़की के ससुराल से फोन आने लगते हैं. ऐसे में लड़कियां ये भी सोचती हैं कि क्या शादी के बाद पति का नेचर ऐसा ही रहेगा. कहीं पति बदल गया तो. पता नहीं तब इतना ही समझेगा या नहीं. लड़ाई झगड़ा तो नहीं करेगा,  बात बात पर ताना तो नहीं मारेगा. सास मां जैसी होगी या नहीं. मां पर गुस्सा भी हो जाऊं तो भी वो कुछ नहीं कहती . क्या मेरा पति मेरे पापा की तरह बर्ताव करेगा.. मेरे पापा मेरे हीरो हैं. क्या इतने रिश्तों के साथ मैं घुलमिल पाउंगी.

विवाह प्रोटोकॉल' मेंटेन कर पाऊंगी या नहीं

शादी के बाद लड़कियों से बहुत उम्मीदें की जाती है. बचपन से लड़कियों को ये बताया जाता है कि वो पराया धन हैं.उन्हें बताया जाता है कि शादी के इतने साल बाद बच्चे पैदा करने ही चाहिए, साथ में ससूराल वालों की देखभाल, बच्चे की जिम्मेदारी , पैसों की बचत वगैरह.. ऐसे में आज की ''मेरी लाइफ मेरी च्वाइस'' वाली लड़कियां उलझन में डूब जाती हैं. वो कहीं ना कहीं ये सोचने लगती हैं कि मेरा शादी करने का फैसला कहीं गलत तो नहीं.. कहीं ऐसा ना हो की मैं अपनी जिम्मेदारी ठीक से उठा ही ना पाऊं

करियर खत्म हो गया तो 

कामकाजी लड़कियों के लिए ये सबसे बड़ी परेशानी है. अक्सर ये देखा जाता है कि शादी के बाद लड़कियों का करियर खत्म हो जाता है. नया शहर , नई जगह पर जॉब की दिक्कतें पेश आती हैं. ऐसे में लड़कियां सोचती हैं कि जिस  करियर के लिए उन्होंने इतनी मेहनत की है, उसमें कोई भी रोकावट तो नहीं आ जाएगी. 

पहचान बदलना

भारत में, महिलाओं की शादी होने के बाद सरनेम बदल दिए जाते है. कई जगह तो लड़कियों का असली नाम भी बदल कर नया नाम रखा जाता है. ऐसे में लड़कियां सोचती हैं कि  आज तक जो पहचान लेकर चलती आई हूं, वो खत्म कैसे कर दूं.

शादी में होने वाले खर्चे को लेकर भी होती हैं परेशान

जैसे-जैसे शादी की तैयारियां होती है, लड़कियां ये देख कर परेशान होती हैं कि मेरे पापा का कितना पैसा लग रहा है, बजट से बाहर पैसे का खर्च होना, बाकी बहनें भी तो हैं, वगैरह.  

इन बातों को सुनकर  हम ये कह सकते हैं कि शादी को लेकर हर लड़की के मन में एक तरह की घबराहट होती है. कभी सुंदर दिखने की चाह तो कभी मेहंदी के डार्क रंग से लेकर ससूराल के तमाम झंझट से लड़कियां बहुत घबराती हैं.

ये कहना गलत नहीं होगा  कि बाज़ार और हमारे समाज के पुरुष प्रधान सोच ने लड़कियों को भले ही कितनी भी शिक्षा क्यों ना दे दी हो, मां -बाप और समाज ने मिल कर लड़कियों को लहंगे और मेंहदी के सपने देखने भी सिखा दिए लेकिन  शादी के बाद ज़िंदगी की चुनौतियों और बदलावों को अपनाने की ट्रेनिंग किसी ने नहीं दी.