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Gokhru : गोखरू यानि भाकड़ी खरपतवार किसी दवा से कम नहीं ये जड़ी बूटी, भाव सुनकर उड़ जाएंगे होश

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 Gokhru : गोखरू यानि भाकड़ी खरपतवार किसी दवा से कम नहीं ये जड़ी बूटी, भाव सुनकर उड़ जाएंगे होश 

Gokhru ke fayde : खेतों में गोखरू यानि भाकड़ी किसानों के लिए तो ये मुसीबत पैदा करती है। क्योंकि ये उत्पादन पर असर डालती है। मगर कई लोगों को ये अच्छा रोजगार दे रही है। खेतोंं से इनको उखाड़कर कई लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हरियाणा की चौपटा अनाज मंडी में अनेक गांवों के लोग गोखरू यानि भाकड़ी खेतों से लाकर इक्टठी कर रहे हैं।

इसके बाद राजस्थान के नोहर में अच्छे दामों पर बचे रहे हैं। नोहर से गोखरू यानि भाकड़ी पंजाब के अंदर अमृतसर में आर्यवैदिक महंगी दवाईयां बना कर मार्केट में बेची जा रही है। 

कांटा बिकता है महंगा

गांव कुम्हरियां निवासी मनीराम ने बताया कि खेतों में उगने वाला भाकड़ी यानि गोखरू उखाड़ कर लाते हैं। इसके बाद इनकी सफाई करते हैं। गोखरू का कांटा 7 हजार रुपये से 8 हजार रुपये प्रति क्विंटल व इसके पत्ते 800 रुपये प्रति क्विंटल बिकते हैं। खरीफ फसलों के दौरान उगाने वाले इस खरपतवार से अच्छी कमाई हो जाती है। सीजन में एक दो महीने में एक व्यक्तिडेढ़ से दो लाख रुपये कमा लेते हैं। 

 ये काम की चीज 

आर्यवैदिक डा. पवन कुमार ने बताया कि गोखरू एक ऐसी जड़ी बूटी है जो सदियों से मानव की सेहत के लिए फायदेमंद ही साबित हुआ है। ये उन जड़ी बूटियों में से एक है जो वात पित्त और कफ तीनों को नियंत्रित करने में मदद करती है।

गोखरू का फल, पत्ता और तना आयुर्वेद में औषधि के रूप में प्रयोग किये जाता है। ये सिर्फ बीमारियों के लिए नहीं बल्कि यौन समस्याओं को ठीक करने में बहुत फायदेमंद साबित होता है। 

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----ये हैं गोखरू के फायदे 

गोखरू का उपयोग और गोखरू के फायदे 

मानसून की बरसाती सीजन में गोखरू अधिकता से फलते-फूलते हैं। इसके पौधे भूमि पर छत्ते की तरह फैले रहते हैं। चरक-संहिता में इसका मूत्र संबंधी रोग तथा वात रोग में उपचार स्वरुप उपयोग करने का उल्लेख मिलता है।

ये सूजन कम करने में भी गोखरू का प्रयोग होता है। गोक्षुर के जड़ को दशमूल में और फल को वृष्य के रुप में प्रयोग करते है। इसके पत्ते चने के जैसे होते हैं। इसलिए संस्कृत में इसे चणद्रुम कहते हैं।

आपको बता दें कि भाकड़ी यानि गोखुर के गुण अनगिनत है। इसके कारण ही यह सेहत और बीमारी दोनों के लिए औषधि के रुप में काम करता है। गोक्षुर या गोखरू वातपित्त, सूजन, दर्द को कम करने में सहायता करने के साथ-साथ, रक्त-पित्त(नाक-कान से खून बहना) से राहत दिलाने वाला, कफ दूर करने वाला, मूत्राशय संबंधी रोगों में लाभकारी, शक्तिवर्द्धक और स्वादिष्ट  होता है।

सिरदर्द में गोखरू काढ़ा के फायदे  

डा. ने ये भी बताया कि आजकल के तनाव भरी जिंदगी में सिर दर्द की रोगों का शिकार ज्यादा से ज्यादा लोग होने लगे हैं। 10-20 मिली गोखरू काढ़ा को सुबह-शाम पिलाने से पित्त के बढ़ जाने के कारण जो सिर दर्द होता है उससे आराम मिलता है। इस तरह गोखरू का उपयोग करने से फायदा होता है। 

गोखरू चूर्ण के फायदे

डा. ने बताया कि दमा से राहत गोखर दिलाता है। गोखरू का सेवन इस तरह से करने पर दमे से जल्दी आराम मिलता है।  2 ग्राम गोखुर के फल चूर्ण को 2-3 नग सूखे अंजीर के साथ दिन में 3 बार कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से दमा में फायदा होता है।

गोक्षुर तथा अश्वगंधा को समान मात्रा में लेकर उसके सूक्ष्म चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिलाकर दिन में दो बार 250 मिली दूध के साथ सेवन करने से सांस संबंधी समस्या एवं कमजोरी में लाभ मिलता है।

हाजमा बढ़ाये गोखरू

डा. पवन कुमार ने बताया कि गोखरू का काढ़ा पिलाने से जिस व्यक्तिकी हजम शक्ति कमजोर है उसको खाना हजम करने में आसानी होती है। गोखरू के 30-40 मिली गोखरू काढ़ा में 5 ग्राम पीपल के चूर्ण का मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। 

दस्त रोकने में फायदेमंद

इसी के साथ ही दस्त हो रहा है तो गोखरू बहुत काम आता है। 500 मिग्रा गोक्षुरफल चूर्ण (गोखरू चूर्ण पतंजलि) को में के साथ दिन में दो बार खिलाने से अतिसार और आमातिसार में लाभ होता है।

नोट : ये समाचार पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद, ये समाचार हमने घरेलु व आर्यवैदिक जानकारी के आधार पर लिखा है। अपनी सेहत के लिए कुछ भी अपनाने से पहले चिकित्सक की मदद लें।