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गांव गुसाईयाना में ग्वार फसल, मौसम में अधिक नमी बढऩे से ग्वार फसल पर बीमारियों तथा कीटों का प्रकोप बढ़ा: डा. बी.डी. यादव

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Guar crop in village Gusaiyana, due to high humidity in the weather, the infestation of diseases and pests on Guar crop increased: Dr. B.D. Yadav
 mahendra india news, new delhi
ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बी.डी. यादव ने जिन्होंने 28 वर्ष तक चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में काम किया ने सिरसा जिले के खण्ड नाथूसरी चौपटा के गांव गुसाईयाना में ग्वार फसल पर स्वास्थ्य प्रषिक्षण षिविर में बोलते हुए kaha पिछले कुछ दिनों में मौसम में अधिक नमी बढऩे से ग्वार फसल पर सफेद मक्खी, हरा तेला तथा जीवाणु अंगमारी रोग का प्रकोप भी काफी बढ़ गया है। जानकारी के अभाव में किसान बगैर सिफारिश दवाईयों का इस्तेमाल करते हैं और उससे फसल में नुकसान होने का डर रहता है। इसलिए किसानों को कीटों व बीमारियों को ठीक से पहचान कर आवश्यकतानुसार दवाओं का उचित चयन करके प्रयोग करना चाहिए। 
ग्वार फसल में कीटों व फंगस की बीमारियों के उपाय के बारे में कृषि विज्ञानिकों व कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह पर दवाई खरीदें। यह बात सेवानिवृत ग्वार वैज्ञानिक डॉ. बी.डी. यादव ने जिन्होंने 28 वर्ष तक चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में काम किया ने सिरसा जिले के खण्ड नाथूसरी चौपटा के गांव गुसाईयाना में ग्वार फसल पर स्वास्थ्य प्रषिक्षण षिविर में बोलते हुए कही। यह प्रोग्राम एटीएम नाथूसरी डा. मदन सिंह की देखरेख में किया गया। गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य किसानों को ग्वार की मुख्य बीमारी के लक्षण व उनकी रोकथाम के बारे में जानकारी देना है।

बीमारी को कैसे पहचानें:
ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव ने बताया कि जीवाणु अंगमारी रोग की शुरूआती अवस्था में किनारी से पत्तों का पीला होना तथा बाद में धीरे-धीरे पत्तों की किनारी काली हो जाती है, अधिक बारिश होने पर मौसम में ज्यादा नमी बढऩे से पत्तों का ज्यादात्तर हिस्सा काला हो जाता है। इस तरह की बीमारी की अवस्था आने पर पैदावार को घटाने में सबसे ज्यादा नुकसानदायक है। इस तरह की स्थिति आने से पहले इस बीमारी की रोकथाम बहुत जरूरी है।

 
बीमारी की रोकथाम कैसें करें:
ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव ने जीवाणु अंगमारी व फंगस रोग की रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लिटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें अगर इन बीमारियों के साथ हरा तेला व सफेद कीड़ों का प्रकोप हो तो उसकी रोकथाम के लिए 200 मि.ली. मैलाथियोन-50 ई.सी. या डाइमेथोएट (रोगोर) 30 ई.सी. प्रति एकड़ उपरोक्त घोल में मिलाकर पहला छिडक़ाव बिजाई के 40-45 दिन पर तथा अगला स्प्रे इसके 12-15 दिन अन्तराल पर करें। इसके नियंत्रण के लिए उचित दवाईयों के नाम व उसकी मात्रा और सही घोल बनाने के बारे में अवगत करवाया।  

 
दवा खरीदते समय किसान इन बातों का रखे ध्यान:
ग्वार फसल की ट्रेनिग में बोलते हुए डॉ. मदन सिंह ने किसानों से आग्रह किया कि दवाई खरीदते समय दवा विक्रेता से पक्का बिल अवश्य लें तथा बिल पर बैच नम्बर अवश्य लिखवाएं। इसके अलावा बोतल पर दवा की समाप्ति तिथि देखकर ही दवा खरीदें। शिविर में मौजूद 55 किसानों को सैम्पल के तौर पर 5-5 स्ट्रैप्टोसाईक्लिन के पाऊच एक एकड़ के लिए एक स्प्रे तथा स्प्रे के नुकसान से बचने के लिए हर किसान को हिन्दुस्तान गम् एण्ड कैमिकल्स भिवानी की तरफ से मास्क भी दिए गये। इस प्रोग्राम को आयोजित करने में गांव के सरपंच का विशेष योगदान रहा। इसके अलावा मुंशीराम, बलवीर सिंह, हवासिंह, धन्नाराम, रामस्वरूप, प्रहलाद, अजय कुमार सहित अन्य किसान मौजूद थे।